स्टालिन ने कुरंगनी वन क्षेत्र में लगी आग के मुद्दे पर सरकार को घेरा
स्टालिन ने कुरंगनी वन क्षेत्र में लगी आग के मुद्दे पर सरकार को घेरा
चेन्नई। सोमवार को विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम(द्रमुक) के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने आरोप लगाया कि राज्य के वन अधिकारियों ने कुरंगनी वन क्षेत्र में लगी आग के दौरान भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा दी गई सूचना के अनुरुप कार्य नहीं किया था। उन्होंने कहा कि राज्य के वन अधिकारियों को एफएसआई द्वारा पहले ही आगाह किया गया था कि वन क्षेत्र में आग लग सकती है लेकिन इसे वन अधिकारियों द्वारा हलके में ले लिया गया और ट्रैकिंग करने वालों को वन क्षेत्र में जाने की अनुमति दे दी गई।उन्होंने कहा, यह दुख की बात है कि कुरंगनी जंगल में लगी आग ने १७ लोगों की जान ले ली। वन अधिकारियों और एफएसआई के बीच समन्वय की कमी होने के कारण इतनी ब़डी संख्या में लोगों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि मुझे पता चला है कि एफएसआई ने आग लगने से काफी पहले इसकी जानकारी दे दी थी। उन्होंने कहा कि एफएसआई अधिकारियों ने कुछ दिन पहले यह जानकारी दी है कि दूसरे राज्यों के ५००० से अधिक सदस्यों ने आग लगने की घटना के बारे में जानकारी देने के लिए उनके समक्ष पंजीकरण करवाया है लेकिन तमिलनाडु में, पंजीकरण करवाने वालों की कुल संख्या लगभग २५० है जो मेरे अनुसार अस्वीकार्य है। इसलिए, मैं सरकार से इस मुद्दे का समाधान करने और वन क्षेत्रों में अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने का अनुरोध करता हूं।स्टालिन ने इस घटना के लिए वन क्षेत्रों में आए लोगों पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस प्रकार की जानकारी सामने आ रही है कि इरोड के लोगों के समूह ने टिकट लिया था लेकिन चेन्नई की २७ सदस्यीय टीम ने टिकटें नहीं ली थी। इसके साथ ही ट्रैकिंग के लिए जिस स्थान का निर्धारण किया गया है वहां पर ट्रैकिंग करने के बदले लोगों ने ७ किलोमीटर लंबे कोल्लुकु चाय बगान के उस हिस्से से ट्रैकिंग करनी शुरु कर दी जहां पर ट्रैकिंग करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि जब ग्रामीणों और चाय बगान में काम करने वालों के अलावा,किसी को भी इस स्थान पर जाने की अनुमति नहीं दी जाती तो ट्रैकिंग करने वाले इस स्थान तक कैसे पहुंच गए। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की जानकारी मिली है कि १२ से अधिक टिकट खरीदे गए थे। एक टिकट केवल दिन के लिए वैध है और किसी को भी पहाि़डयों में सोने की इजाजत नहीं है। इसके बावजूद लोग रात को वहीं रुके थे। उन्होंने कहा कि इन सभी बातों से यह पता चलता है कि वन विभाग के अधिकारियों ने नियमों को लागू करने में ढिलाई की और इसी कारण से इतने लोगों की मौत हुई। उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि भविष्य में इस प्रकार की घटना दोबारा नहीं घटे।इन आरोपों के जवाब में पलानीस्वामी ने कहा कि वर्ष २०१४-१५ में, हमारी सरकार, तमिलनाडु जैव विविधता और ग्राउंडिंग प्रोजेक्ट के माध्यम से, बोदी की पहाि़डयों में एक समुदाय आधारित जैव पर्यटन विकसित किया। इस परियोजना के तहत कप्पू कादु से तमिलनाडु-केरल सीमा तक ट्रेकिंग ट्रेल का निर्माण किया गया था ताकि स्थानीय लोगों को पर्यटकों की मदद के लिए रोजगार दिया जा सके। इसके साथ ही ग्रामीणों को रोजगार देेने के लिए २०० ट्रैकिंग के लिए आने वाले प्रत्येक पर्यटक से २०० रुपए अतिरिक्त लिए जाते हैं।
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