इंदिरा कैंटीन के लिए जगह है तो कचरा प्रसंस्करण इकाई के लिए क्यों नहीं?: हाईकोर्ट

इंदिरा कैंटीन के लिए जगह है तो कचरा प्रसंस्करण इकाई के लिए क्यों नहीं?: हाईकोर्ट

बेंगलूरु। कचरा प्रबंधन में बृहद बंेगलूरु महानगरपालिका (बीबीएमपी) की खामियां को उजागर करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने बीबीएमपी को पूछा है कि शहर के हर वार्ड में इंदिरा कैंटीन खोलने के लिए बीबीएमपी जगह ढूढ लेती है लेकिन कचरा प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने के लिए वह जगह क्यों नहीं ढूढ पाती? शहर के प्रत्येक वार्ड में म्युनिसिपल ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के मामले पर सुनवाई के दौरान बीबीएमपी के अधिवक्ता और संयुक्त आयुक्त (ठोस अपशिष्ट प्रबंधन) ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि वार्डों में जगह की अनुपलब्धता के कारण प्रत्येक वार्ड में आवश्यक एमएसडब्ल्यू की स्थापना नहीं की जा सकती है। इस पर आपत्ति जताते हुए न्यायाधीश बीएस पाटिल और न्यायाधीश बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने पूछा कि बीबीएमपी जब इंदिरा कैंटीन के लिए जगह ढूंढ सकती है तो फिर एमएसडब्ल्यू के लिए क्यों नहीं? बीबीएमपी संयुक्त आयुक्त (एमएसडब्ल्यू) सरफराज खान ने कहा कि शहर में व्यवस्थित कचरा प्रबंधन के लिए बीबीएमपी सजग है और कुल उज्सर्जित कचरे का कुछ भाग शहर के बाहर गांवों से दूर खुली जगहों पर फेंका जा रहा है खदान गड्ढों में भी कचरा गिराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त कुछ प्रसंस्करण इकाइयां अलग अलग कारणों से फिलहाल नहीं चल रही हैं और कई वार्डों में जगह की अनुपलब्धता या फिर स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन के कारण प्रसंस्करण स्थापित नहीं की जा सकी हैं। कोर्ट ने इस पर स्पष्ट निर्देश दिया कि प्रत्येक वार्ड में अलग अलग प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जानी चाहिए और बीबीएमपी आवश्यक भूमि की तलाश करे। पीठ ने बीबीएमपी को निर्देश दिया कि इस संबंध में ८ दिसम्बर तक एक्शन प्लान कोर्ट को सौंपे। पीठ ने वार्ड कमेटियों को कचरा प्रबंधन पर गंभीरता दिखाने का निर्देश देते हुए कहा कि प्रत्येक वार्ड कमेटी की पहली बैठक इस महीने में ३० नवम्बर तक या उसके पूर्व हो जानी चाहिए और एमएसडब्लू प्रबंधन के लिए वार्ड-स्तरीय माइक्रो प्लान की रूपरेखा तथा वार्ड समितियों को सौंपे गए कर्तव्यों के मामले में प्रत्येक वार्ड की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एक नई योजना तैयार करे। पीठ ने कहा कि हम आशा करते हैं और विश्वास है कि नगर निगम अधिनियम, १९७६ के प्रावधानों के तहत वार्ड समितियों को सौंपे गए कार्य में समितियां गंभीरता से संलग्न होंगी।

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