मेडिकल दाखिले में राज्य सरकार द्वारा आरक्षित सीटें हुई रद्द

मेडिकल दाखिले में राज्य सरकार द्वारा आरक्षित सीटें हुई रद्द

चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा राज्य में स्थित मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में उपलब्ध सीटों में से ८५ प्रतिशत सीटों को राज्य बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित रखने के संबंध मंे जारी किए गए आदेश को रद्द कर दिया। न्यायालय ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि सरकार मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला देने के लिए दोबारा रैंकिंग सूची तैयार करे और यह सूची राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के आधार पर तैयार की जानी चाहिए। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रविचंद्रा बाबू ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के विद्यार्थी धर्नीश कुमार और साई सचिन की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। न्यायाधीश ने आदेश जारी करते हुए कहा कि यह आदेश राज्य बोर्ड के विद्यार्थियों के खिलाफ नहीं है बल्कि उनकी भलाई के लिए है। इससे पूर्व जब इस मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय के समक्ष आई थी तो याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को यह बताया था कि भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा वर्ष २०१० में संसोधित नियमों के अनुसार विद्यार्थियों को उनकी जाति के आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है। भारतीय चिकित्सा परिषद के नियमों के अनुसार किसी भी विद्यार्थी के उसके पढने के बोर्ड या माध्यम के आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कहा कि सरकार की ओर से यह सबकुछ इसलिए किया जा रहा है कि नीट को राज्य में नजरअंदाज किया जा सके।इस मामले में सरकार ने न्यायालय को बताया कि राज्य बोर्ड से लगभग ४.२० लाख विद्यार्थियों ने नीट की परीक्षा दी थी और सीबीएसई बोर्ड के मात्र ४,६०० विद्यार्थियों ने यह परीक्षा दी थी। इसके साथ ही नीट में ५० प्रतिशत प्रश्न सीबीएसई के पाठ्यक्रम पर आधारित थे। सरकारी अधिवक्ताओं ने कहा कि राज्य बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड की प्रणाली में भारी अंतर है और इसी कारण शिक्षाविदों और अधिकारियों से विचार विमर्श करने के बाद सभी विद्यार्थियों को समान मौका देने के लिए राज्य सरकार ने मेडिकल परीक्षा में राज्य बोर्ड के ८५ प्रतिशत विद्यार्थियों के लिए सीटें आरक्षित रखने का निर्देश दिया था। उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश के रविचंद्रबाबू ने २२ जून के राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीएससी के कुछ छात्रों की याचिका मंजूर करते हुए कहा कि विवादित आरक्षण कानून की नजर में खराब है और संविधान के अनुच्छेद १४ (कानून के समक्ष समानता) का उल्लंघन है। न्यायाधीश ने कहा कि आरक्षण ने अप्रत्यक्ष रूप से नीट के उद्देश्य और प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है और चयन प्रक्रिया से समझौता हुआ। अधिकारियों से नई मेरिट लिस्ट बनाने और उसके अनुरूप प्रवेश के लिए काउंसिलिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने ११ जुलाई को फैसला सुरक्षित रखते हुए मामले का निपटारा होने तक प्रवेश प्रक्रिया में यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। इसी क्रम में राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सी विजयभाष्कर ने शुक्रवार को विधानसभा में इस संबंध मंंे द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के एक विधायक द्वारा प्रश्न उठाए जाने के बाद कहा कि सरकार उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ दो न्यायाधीशों की सदस्यता वाली पीठ के समक्ष अपील करेगी। उन्होंने विधानसभा से बाहर निकलने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि नीट के खिलाफ लाए गया विधयेक अभी भी राज्य विधानसभा में लंबित हैं। हम इस मामले में तत्काल अपील करेंगे जिससे विद्यार्थियों के हित प्रभावित नहीं हो सके।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News