कर्नाटक: हिजाब मामले से मजबूत हुई भाजपा!
आगामी चुनावों में युवा वोट जुड़ने की प्रबल संभावना
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक में बहुचर्चित हिजाब मामले के बारे में विश्लेषकों का कहना है कि यह विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा के लिए 'मददगार' साबित हो सकता है। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी सुर्खियां बटोरी थीं, जिसमें भाजपा यह संदेश देने में कामयाब रही कि वह प्रदर्शनकारियों के सामने नहीं झुकेगी। यही नहीं, जो छात्राएं इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय गई थीं, वहां उनकी याचिका खारिज हो गई थी।
इस संबंध में बात करने पर भाजपा नेता, कार्यकर्ता और आरएसएस के सूत्रों का मानना है कि राज्य विधानसभा चुनावों से पहले यह मामला पार्टी के लिए 'संजीवनी' साबित हुआ है। इससे भाजपा का परंपरागत वोट अधिक मजबूत होकर उसके पक्ष में आया है।उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की छह छात्राओं द्वारा कक्षा में हिजाब पहनने की मांग के साथ शुरू हुआ यह विवाद हफ्तों चर्चा में रहा था। याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय से झटका लगने के बाद वे इसे उच्चतम न्यायालय ले गई थीं, जहां इस पर सुनवाई होनी है।
सूत्रों का कहना है कि हिजाब मामले से वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है। हिजाब को लेकर सरकारी आदेश का विरोध बढ़ना और इसे उच्च न्यायालय में लेकर जाना भाजपा के लिए 'चांदी की थाली' में सुनहरा मिलने जैसा है।
इसका सीधा प्रभाव युवाओं में देखा जा रहा है। जो युवा अब तक हिंदुत्व में कोई रुचि नहीं रखते थे, वे भी इसके समर्पित अनुयायी बन रहे हैं। भाजपा इन युवाओं तक यह संदेश पहुंचाने में सफल रही है कि शिक्षण संस्थाओं में गणवेश संबंधी समान नियम और अनुशासन कायम रखना है तो वही सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।
माना जा रहा है कि इसका प्रभाव यहीं तक सीमित नहीं रहेगा। जो युवा उक्त विचारधारा के संपर्क में आएंगे, बहुत अधिक संभावना है कि वे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट देंगे।
इसमें सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होता दिख रहा है। हालांकि उसे अल्पसंख्यक वर्ग की स्वीकृति अवश्य मिली है, लेकिन उस पर तुष्टीकरण के आरोप भी लगे हैं। यह पार्टी लोगों के सामने पंथनिरपेक्षता को लेकर अपना पक्ष ठीक से नहीं रख पाई। इसके वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार और सिद्दरामैया भाजपा और आरएसएस पर ही निशाना साधते नजर आए।
हालांकि लोगों का कहना है कि इस विषय को कॉलेज प्रबंधन के साथ बातचीत करके सुलझाना चाहिए था। इसे तूल देने और न्यायालय में लेकर जाने से न केवल पढ़ाई बाधित हुई, बल्कि शिक्षण संस्थाओं का माहौल भी गरमाया। इससे बचा जा सकता था।
दूसरी ओर, एक समूह का यह कहना है कि कर्नाटक में हिजाब का काफी चलन है। ऐसे में इस पर पाबंदी से छात्राओं की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।