बल्लारी में दिख रही है बदलाव की झलक
बल्लारी में दिख रही है बदलाव की झलक
बेल्लारी/कलू़डा अभिनव/वार्ताआंध्र प्रदेश से सटे बेल्लारी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के एकजुट होकर चुनाव ल़डने तथा प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के बेल्लारी को बदनाम करने वालों को सबक सिखाने के आह्वान जैसे कई कारणों से पार्टी इस क्षेत्र में कांग्रेस के वर्चस्व को झटका दे सकती है लेकिन वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) तथा नोटबंदी का फैसला उसकी राह में कांटा बन सकता है।मारवा़डी मूल के कारोबारी महेंद्र कुमार का कहना है कि वह भाजपा को वोट देते रहे हैं लेकिन मोदी सरकार ने पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी लागू कर उनके समक्ष रोजीरोटी का संकट पैदा कर दिया है। उनका कारोबार चौपट हो गया है। उनके लिए बच्चों की प़ढाई कठिन हो गयी है। रायल सर्किल पर पटरी पर टीशर्ट, रुमाल, लुंगी आदि बेचने वाले किरन का कहना है कि वह वोट उसी को देगा जो गरीबों को घर देने की बात करेगा। उसने मोदी पर भरोसा तो जताया लेकिन कहा कि रैली में उन्होंने गरीबों के लिए कुछ नहीं बोला।द्बह्ख्रर् ·र्ैंर् द्धय्त्रह्र फ्ष्ठ झ्श्नद्नय्यप्त्र ज्द्मत्रय् मीराची सर्किल पर किताबें बेचने वाले चंद्रशेखर शाव मोदी की बातों पर बहुत ध्यान नहीं देते लेकिन कहते हैं कि मोदी की अच्छी बात यह है कि वह रेड्डी के खिलाफ झूठी बातों का समर्थन नहीं करते हैं्। वह खुद ही कहते हैं ’’देखिए सीबीआई ने रेड्डी साहब पर लगे झूठे मुकदमें वापस ले लिए हैं्। कोई आरोप उन पर साबित नहीं हुआ। सबूत ही नहीं होगा तो मुकदमा कैसे चलेगा?‘ ऑयल सर्किल पर नारियल पानी बेचने वाले अयूब ने कहा कि वोट किसे दूंगा यह नहीं बताऊंगा लेकिन मोदी की बातें अच्छी लगती हैं। पिछली बार कांग्रेस को वोट देने की वजह बताते हुए उसने कहा कि भाजपा को उनकी कौम के लिए अच्छा नहीं मानते हैं लेकिन भाजपा यदि जीतती है तो उसे परेशानी नहीं होती है। यह पूछने पर कि वोट भाजपा को दोगे या कांग्रेस को उसने कहा मैं सही उम्मीदवार को ही वोट दूंगा। बेंगलूरु रोड पर जींस के कारोबारी बाशा का कहना है कि नेता पागल बनाते हैं्। वोट किसी को भी दो इससे फर्क नहीं प़डता है। सबको अपना घर भरना होता है। यह पूछने पर कि वह वोट किसे देगा, उसने कहा ’’मेरा वोट कोलबाजार में है। मैं यहां दुकान चलाता हूं्। यहां से १५ किलोमीटर दूर है मेरा घर और वहां से सोमशेखर रेड्डी चुनाव ल़ड रहे हैं। यह पूछने पर कि वोट किसे दोगे, उसने कहा, इसका फैसला दस तारीख के बाद ही करूंगा।‘फ्द्बर्·र्ैंद्यह्लय् द्धख्रध् घ्रु·र्ष्ठैं ब्स्र ंफ् द्धय्द्य राजधानी बेंगलूरु से करीब साढे तीन सौ किलोमीटर दूर प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर बेल्लारी जिले में विधानसभा की नौ सीटें हैं। इनमें से पांच सीटें आदिवासी तथा दो सीटें अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित हैं जबकि दो सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं। भाजपा ने पिछले चुनाव में इस क्षेत्र से सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस चार सीटों पर जीत दर्ज की तथा जनता दल एस एक सीट पर विजयी रही थी। बेल्लारी की तीन सीटों पर वर्ष २०१३ में निर्दलीय उम्मीदवारों ने कब्जा किया। बाद में इन में से दो भाजपा में शामिल हो गए और एक ने कांग्रेस का दामन पक़ड लिया। इस बार कांग्रेस और भाजपा ने इन निर्दलीय विधायकों को टिकट दिया है। लोकसभा में इस क्षेत्र से भाजपा के सांसद श्रीरामुलु हैं। पिछली बार वह भाजपा से अलग होकर चुनाव ल़डे थे। इसी तरह से एक अन्य निर्दलीय उम्मीदवार भी टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर बीएस येड्डीयुरप्पा की पार्टी से चुनाव ल़डे और जीत दर्ज की। जिले की कई सीटों पर भाजपा के इन विद्रोहियों ने चुनाव ल़डकर उस समय पार्टी को हरा दिया। भाजपा के सभी विद्रोही उम्मीदवार इस बार इस क्षेत्र में मिलकर चुनाव ल़ड रहे हैं इसलिए समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं्। चर्चित जनार्दन रेड्डी के ब़डे भाई सोमशेखर रेड्डी बेल्लारी ग्रामीण से चुनाव ल़ड रहे हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस के दिग्गज नेता वी नागेंद्र चुनाव मैदान में हैं। भाजपा की कोशिश कांग्रेस के इस ग़ढ पर दोबारा सेंध लगाने की है। बेल्लारी से कांग्रेस विधायक अनिल लाड हैं और फिर चुनाव मैदान में हैं्। क्षेत्र की कुडलगी सीट पर कांग्रेस के दिग्गज रघु गुज्जल चुनाव ल़ड रहे हैं्। वह प्रदेश में महासचिव रहे हैं्। झ्य्ैंघ् फ्र्ट्टह्र झ्द्य झ्रुद्यय्द्मष्ठ घ्ष्ठब्द्यष्ठजिले में पांच सीटों पर पुराने ही चेहरे चुनाव ल़ड रहे हैं्। जानकार बताते हैं कि भाजपा की दूसरी सूची जारी होने के बाद रेड्डी बंधुओं का असर भाजपा की सूची पर दिखायी दिया इसलिए बेल्लारी सबके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। खुद मोदी को इस क्षेत्र में आकर चुनावी रैली कर रेड्डी बंधुओं का बचाव करना प़डा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर इस तरह से प्रचारित किया गया है कि बेल्लारी में सभी चोर रहते हैं्। मोदी की इस भावुक बात का मतदाताओं पर सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। जानकार यह भी बताते हैं कि बेल्लारी में कांग्रेस हमेशा मजबूत स्थिति में रही है। उसका उम्मीदवार आपातकाल के दौरान भी यहां की सीटों पर विजयी हुआ था। उसके बाद जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो उस समय भी बेल्लारी से कांग्रेस पहले की तरह ही वोट पाती रही लेकिन १९९४ में पहली बार भाजपा ने यहां से विधानसभा सीट जीती और अपनी उपस्थिति दर्ज की। उसके बाद भाजपा नेता सुषमा स्वराज के तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव ल़डने से यहां भाजपा मजबूत होती रही।