कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में पशुपालन मेरूदण्ड समान है : राठौड़

कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में पशुपालन मेरूदण्ड समान है : राठौड़

जयपुर। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र राठौ़ड ने कहा है कि कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में पशुपालन मेरूदण्ड के समान है, इसलिए कृषकों को चाहिए कि वे पशुपालन का नवीन तकनीकी ज्ञान अर्जित कर इस व्यवसाय को प्राथमिकता से अपनी आय का जरिया बनायें।ग्रामीण विकास मंत्री शनिवार को जिला स्टेडियम चूरू में पशुपालन विभाग द्वारा नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के अन्तर्गत आयोजित दो दिवसीय पशु मेला एवं प्रदर्शनी के समापन समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने पशु मेला एवं प्रदर्शनी को चूरू जिले के कृषकों एवं पशुपालकों के लिए एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के अनुरूप देश में किसान की आय को दोगुना करने के लिए राज्य सरकार कृषकों एवं पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं का संचालन कर रही है। उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी में खेती के साथ-साथ पशुपालन का भी ९ प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान है।पंचायती राज मंत्री ने कृषकों का राज्य सरकार द्वारा संचालित उष्ट्र विकास योजना में अधिकाधिक लाभ उठाने के लिए आह्वान किया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा नवीनतम नस्ल तकनीक के हस्तान्तरण के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे कृषक परम्परागत के साथ नवीनतम तकनीकों का भी लाभ उठाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकेंगे। उन्होंने कृषकों को टीकाकरण कार्यक्रम को महत्व देकर अपने पशु को खुरपका रोग से होने वाले नुकसान से बचाने एवं पशु बीमा योजनान्तर्गत बीमा करवाने को कहा ताकि पशु को किसी तरह का नुकसान होने की स्थिति में आर्थिक हानि से बचा जा सके। ३६ पशुपालकों का सम्मान ग्रामीण विकास मंत्री ने पशु मेले में भाग लेने वाले ३६ पशुपालकों को श्रेष्ठ नस्ल के पशुपालन के लिए राशि, प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। समारोह में प्रथम ११ पशुपालकों को ४१०० रुपये, द्वितीय ११ पशुपालकों को ३१०० रुपये एवं सांत्वना पुरस्कार के रूप में १४ पशुपालकों को राशि प्रदान कर सम्मानित किया। समारोह में भामाशाह पशु बीमा योजनान्तर्गत ५ पशुपालकों को सहायता राशि के चैक प्रदान किये गये।समारोह की अध्यक्षता करते हुए जिला कलक्टर श्री ललित कुमार गुप्ता ने कृषकों एवं पशुपालकों से उन्नत नस्ल के पशुओं का पालन करने, उनका समय पर टीकाकरण कराने, त्वरित इलाज, भामाशाह पशु बीमा योजना से जु़डने तथा उष्ट्र विकास योजना से जु़डकर अधिकाधिक लाभ लेने का आह्वान किया।संयुक्त निदेशक (पशुपालन) डॉ. धनपतसिंह चौधरी ने कहा कि किसानों को पशुधन से आय दोगुनी करने के लिए नवीनतम पशु नस्ल तकनीक को अपनाना आवश्यक है। पशु मेला एवं प्रदर्शनी के नोडल अधिकारी डॉ. निरंजन लाल चिरानिया ने मेले के उद्देश्य एवं गतिविधियों की जानकारी दी।प्रतियोगिताएं इस अवसर पर जिला स्टेडियम में पशु प्रतियोगिता में थारपारकर, साहीवाल, गिर, मुर्रा, मारवा़डी, सिरोही नस्ल के पशु – ऊँट, घो़डी, बकरी, बकरा, भैंस, गाय पालने वाले पशुपालकों ने भाग लिया। जिला प्रमुख हरलाल सहारण, डॉ. वासुदेव चावला, सभापति विजय कुमार शर्मा, जिला परिषद सदस्य मोहनलाल आर्य, विक्रमसिंह कोटवाद, पशुपालन विभाग के संभागीय संयुक्त निदेशक ओमप्रकाश पिलानिया, संभागीय अतिरिक्त निदेशक, उप निदेशक, डॉ. गौरव शर्मा, कृषि, पशुपालन विभाग के अधिकारी, प्रगतिशील कृषक एवं पशुपालक एवं आम नागरिक उपस्थित थे।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News