गलवान घाटी में भारत के 20 जवान शहीद, चीन के 43 फौजी हताहत-घायल

गलवान घाटी में भारत के 20 जवान शहीद, चीन के 43 फौजी हताहत-घायल

धोखेबाज चीन ने फिर दिखाया असली चरित्र

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात भारतीय और चीनी जवानों के बीच ‘हिंसक टकराव’ में शहीद सैनिकों की संख्या बढ़ गई। पहले जहां सेना के बयान में एक अधिकारी और दो जवानों के शहीद होने की पुष्टि की गई थी, वहीं रात को एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं। आशंका जताई गई है कि शहीद जवानों की संख्या बढ़ सकती है।

चीनी पक्ष को भी भारी नुकसान होने का दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन के बुरी तरह घायल हुए और मारे गए जवानों की संख्या करीब 43 है। घटना के बाद एलएसी के पार चीनी हेलीकॉप्टरों की काफी आवाजाही देखी गई है, जो अपने हताहत और घायल जवानों को लेकर जा रहे थे।

गलवान घाटी में इस खूनी संघर्ष की घटना के बाद देशभर में चीन के प्रति गहरा आक्रोश है। लोग सोशल मीडिया के जरिए आवाज उठा रहे हैं कि धोखेबाज चीन को दंड देने का समय आ गया है। शांति वार्ता के नाम पर पीठ में छुरा घोंपने वाला यह पड़ोसी मुल्क किसी का दोस्त नहीं हो सकता।

इसे चीन की सीमा पर लगभग 45 साल बाद, भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की शहादत की संभवत: पहली घटना माना जा रहा है। इससे पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश में तुलुंग ला में हुए संघर्ष में चार भारतीय जवान शहीद हो गए थे।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि दोनों ओर से कोई गोलीबारी नहीं हुई। सेना ने दिन में एक संक्षिप्त बयान में कहा था, ‘गलवान घाटी में तनाव कम करने की प्रक्रिया के दौरान सोमवार रात हिंसक टकराव हो गया। इस दौरान भारतीय सेना का एक अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए।’

गौरतलब है कि बीते पांच हफ्तों से गलवान घाटी में बड़ी संख्या में भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने खड़े थे। यह घटना भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के उस बयान के कुछ दिन बाद हुई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के सैनिक गलवान घाटी से पीछे हट रहे हैं।

भारतीय और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलतबेग ओल्डी में तनाव चल रहा है। बड़ी संख्या में चीनी सैनिक वास्तविक सीमा पर पैंगोंग झील सहित कई भारतीय क्षेत्रों में आ गए थे। भारत ने इसका कड़ा विरोध करते हुए चीनी सैनिकों को इलाके में शांति बहाल करने के लिए तुरंत पीछे हटने के लिए कहा। दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिए बीते कुछ दिनों में कई बार बातचीत हो चुकी है।

चीन को कितना नुकसान?
उधर, चीन को भी नुकसान की खबरें थीं लेकिन चीन इस संबंध में कोई बयान जारी करने से बचता रहा। विभिन्न रिपोर्टों में उसके कम से कम पांच जवान मारे जाने और 11 जवान गंभीर रूप से घायल होने की बात कही गई थी। हालांकि रात तक इस आंकड़े के 43 तक पहुंचने का दावा किया गया।

चीन ‘चोरी के साथ ही सीनाजोरी’ पर भी उतर आया है। उसके विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने नया पैंतरा चलते हुए भारत पर ही आरोप लगा दिया कि उसके सैनिकों ने सीमा पार की। चीनी प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि चीन और भारत दोनों द्विपक्षीय मुद्दों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने और सीमा क्षेत्रों में तनाव कम करने एवं शांति कायम करने में योगदान देने पर सहमत हुए हैं।

चीन की चुप्पी, झूठ का सहारा
ये पंक्तियां लिखे जाने तक चीन ने आधिकारिक रूप से अपने जवानों के मारे जाने पर कोई बयान नहीं दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपने हताहतों की असल तादाद बताना नहीं चाहता, चूंकि इससे उसके नेतृत्व के खिलाफ आवाजें उठ सकती हैं। साथ ही चीनी नागरिकों के मन में बनाई ‘सर्वशक्तिमान’ की छवि भी धूमिल हो सकती है। इसलिए मामले पर चीनी मीडिया (जो कि सरकार द्वारा नियंत्रित है) ने भी चुप्पी साधे रखी। जब भारत में यह खबर सोशल मीडिया पर आई तो चीनी सरकार के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अपने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का झूठे आरोपों से भरा बयान वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया।

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