तकनीक का कमाल, भ्रम का जाल!

मशीनी अनुवाद पर पूरी तरह निर्भर होने में बहुत जोखिम है

तकनीक का कमाल, भ्रम का जाल!

अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या द्वारा अपने फेसबुक पेज पर की गई एक पोस्ट का ट्रांसलेशन फीचर ने जिस तरह अंग्रेजी अनुवाद किया, उससे भारी भ्रम फैला। बेशक मशीनी अनुवाद से कई काम आसान हो गए हैं, लेकिन एक गलत अनुवाद अर्थ का अनर्थ कर सकता है। इससे लोगों में भ्रम और भय का माहौल बन सकता है। उक्त घटना से जाहिर होता है कि मशीनी अनुवाद पर पूरी तरह निर्भर होने में बहुत जोखिम है। वहां मामूली गलती से बड़ा नुकसान हो सकता है। इन दिनों एआई को 'जादू की छड़ी' की तरह पेश कर इसमें हर समस्या का समाधान ढूंढ़ा जा रहा है। कुछ वर्षों बाद इसकी भी गंभीर खामियां सामने आने लगेंगी। मशीन, सॉफ्टवेयर, एआई आदि का महत्त्व है, रहेगा, लेकिन ये मनुष्य की बुद्धि एवं विवेक का विकल्प नहीं बन सकते। कुछ महीने पहले सोशल मीडिया पर वायरल एक ख़बर ने एआई से जुड़ीं चिंताओं की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया था। एक एआई टूल का दावा है कि उसकी मदद लेंगे तो किसी भी भाषा में टाइपिंग की जरूरत ही नहीं रहेगी। आप बोलते जाएं, वह हू-ब-हू टाइप कर देगा। उसकी मदद से एक व्यक्ति ने किसी धार्मिक कार्यक्रम की ख़बर लिखी और कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर दी। उसने एआई टूल पर आंखें मूंदकर भरोसा किया था। जब वह ख़बर लोगों तक पहुंची तो भारी हंगामा हो गया, क्योंकि एआई टूल ने दो-तीन जगह घोर आपत्तिजनक एवं अभद्र शब्द लिख दिए थे। दरअसल वह व्यक्ति कुछ शब्दों का सही उच्चारण नहीं करता था। उसने अपनी तरफ से जो शब्द बोले, उन्हें सही समझा। एआई टूल ने उनका अपनी मर्जी से मतलब निकाला और वही टाइप कर दिया। उस व्यक्ति को न तो भाषा का पर्याप्त ज्ञान था और न उसने कभी यह सोचा होगा कि एआई टूल गलती कर सकता है। संबंधित कंपनी इसे तकनीकी गड़बड़ बताकर पल्ला झाड़ सकती है। वहीं, ऐसी घटनाएं हिंसा और उपद्रव की वजह बन सकती हैं।

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यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक मशहूर सर्च इंजन की अनुवाद सेवा आज भी 'फिजिकल हेल्थ' का अर्थ 'शारीरिक मौत' बताती है! सोचिए, एक गलत अनुवाद स्वास्थ्य के क्षेत्र में कितना बड़ा नुकसान करवा सकता है? पहले, किसी विषय के बारे में जानकारी हासिल करनी होती तो कोई अच्छी किताब ढूंढ़नी पड़ती थी। अब दुनियाभर की जानकारी कुछ ही सेकंडों में मिल जाती है। प्राय: लोग यह जानने की कोशिश ही नहीं करते कि सर्च इंजन जो जानकारी दे रहा है, वह कितनी सही है? हाल के वर्षों में ऐसी कई खबरें पढ़ने को मिलीं, जिनमें इस बात का जिक्र था कि किसी व्यक्ति ने अस्पताल का फोन नंबर ऑनलाइन सर्च किया तो नतीजों में साइबर ठगों का नंबर सबसे ऊपर दिखाई दिया। ठगों ने एक रुपया भेजने का अनुरोध किया और पूरा बैंक खाता खाली कर दिया! किसी ने मिठाई मंगाने के लिए मशहूर दुकान का नंबर सर्च किया और ऑर्डर दे दिया। उधर से कहा गया कि विशेष ऑफर के तहत एक किग्रा मिठाई मुफ्त भेजी जा रही है। इसके लिए एक ऐप डाउनलोड करें। ऐसा करते ही मोबाइल फोन हैक हो गया और ठगों ने पूरी रकम उड़ा ली! ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें लोगों ने हजारों नहीं, लाखों और करोड़ों रुपए गंवाए। पहले, वे सोचते थे कि इतनी बड़ी कंपनी है, जिसमें बड़े-बड़े वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ कार्यरत हैं, जिसका पूरी दुनिया में नाम है, लिहाजा इसका सर्च इंजन जो कुछ बताएगा, सही बताएगा। उन्हें नुकसान उठाने के बाद समझ में आया कि सर्च इंजन पर आने वाली हर चीज सही नहीं होती है। अपनी बुद्धि का इस्तेमाल भी करना चाहिए। तकनीक हमारी मदद करने के लिए है। इसके द्वारा दी गई जानकारी अकाट्य एवं अंतिम सत्य नहीं है। इसकी सीमाएं हैं। इस पर पूरी तरह कभी निर्भर न रहें।

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