भगवान राम ही भारत के भाग्य विधाता हैं: जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य
कथा में राम जन्मोत्सव की रही धूम

प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव अत्यंत धूमधाम से मनाया गया
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर की श्रीराम परिवार दुर्गा पूजा समिति द्वारा शहर के पैलेस ग्राउण्ड स्थित प्रिंसेस श्राइन सभागार में आयोजित जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य महाराज की नौदिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन मंगलवार को प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव अत्यंत धूमधाम से मनाया गया।
जन्मोत्सव की धूम में 'प्रभु राम तुम्हारी जय जय हो सीताराम तुम्हारी जय जय हो’ और 'अवध में आनन्द भयो जय रघुवर लाल की’ मंगल गीत पर श्रद्धालु भावविभोर हो जमकर झूमे। कथा में श्रीमद्वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड की कथा का शुभारंभ करते हुए कथाव्यास जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्यजी ने कहा कि प्रभु श्रीराम के दिव्य शरीर के प्राकट्य पर माता कौशल्या विनती करती हैं कि आप एक शिशु की भांति व्यवहार कीजिए।प्रभु श्रीराम अपनी माता की बात मान लेते हैं और अपने अवतार के कारण व कार्य को ध्यान में रखते हुए वह सब कुछ करते हैं जिससे मनुष्य को अपना जीवन सफल बनाने की प्रेरणा मिलती है। भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृति के प्राणाधार हैं और रामायण श्रीराम के जीवन चरित का मूलाधार है।
कथा वाचक ने कहा कि दक्षिण भारत में वाल्मीकि रामायण का अधिक प्रचलन है और प्रभु श्रीराम के परम भक्त श्री हनुमानजी को भी वाल्मीकि रामायण विशेष रूप से पसंद है। श्रीराम कथा की गूँज सदियों से न केवल भारत के कोने-कोने में बल्कि विश्व के अनेक देशों में सुनाई देती है।
हम सबके जीवन की न जाने कितनी स्मृतियाँ रामायण के ताने-बाने में बुनी हुई हैं। प्रभु श्रीराम के जीवन से जुड़े जीवंत प्रमाण आज भी अयोध्या से लेकर श्रीलंका तक देखने को मिलते हैं। प्रभु श्रीराम हमारे आदर्श हैं और रामायण हमारी संस्कृति है। जीवन पथ पर इनके आदर्शों का अनुकरण ही हमारा सच्चा मार्गदर्शन कर सकते हैं।
रामभद्राचार्य जी ने कहा कि श्रीराम हमारे इतिहास के सबसे बड़े नायक हैं। उनका जीवन अखिल विश्व के जन-जन के लिए प्रेरणादायी शक्ति प्रदान करने वाला है। हम सबको उन्हें ही अपना असली हीरो मानना चाहिए, क्योंकि उनमें हीरो के सारे गुण मौजूद थे।
वैश्विक समाज युगोंयुगों से श्रीराम को लोक-भाव से परिपूर्ण लोकमंगलकारी, लोकरक्षक और लोकनायक के रूप में श्रद्धा भाव से स्वीकार करता रहा है। लेकिन आज हमारी युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित हो ऐसे लोगों को अपना हीरो मानकर उनके पीछे भाग रही है, जिनमें असली हीरो वाले कोई गुण ही नहीं दिखते। वास्तव में भारतीय जनमानस के असली हीरो तो प्रभु श्रीराम हैं।
कथा को आगे बढ़ाते हुए जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्यजी ने कहा कि भारत में राम सापेक्ष राष्ट्रवाद को अपनाने की आवश्यकता है। इसके बिना रामराज्य की स्थापना संभव नहीं है। जिस तरह से भारत का राष्ट्रगान पूरे देश में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक एक समान रूप से स्वीकार्य है उसी तरह से भारत के कोने-कोने में प्रभु श्रीराम की स्वीकार्यता है।
भारत का राष्ट्रगान वस्तुत: श्रीराम गान ही है। भगवान राम ही भारत के भाग्य विधाता हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान में सिंध का उल्लेख भी आता है, जो वर्तमान में भारत का हिस्सा नहीं है लेकिन एक दिन सिंध भी भारत में अवश्य शामिल होगा।
कथा के समापन पर मुख्य यजमान जसराम महेन्द्र कुमार वैष्णव, राम जन्मोत्सव यजमान तथा आरती यजमानों द्वारा आरती की गई। कथा के दूसरे दिन का भंडारा गौड़ ब्राह्मण संघ की ओर से रहा। इस अवसर पर ताराचंद गोयल, बाबूलाल गुप्ता, राजू सुथार, संजय सिंह, सम्पतराज, हरिश्चन्द्र झा, समिति एवं एकल श्रीहरि वनवासी फाउंडेशन के पदाधिकारियों सहित विभिन्न समाजों के अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।
सचिव अजय प्रकाश पाण्डेय ने बताया कि आईपंथ के अनुयायी, सीरवी समाज के धर्मगुरु दीवान श्री माधवसिंह ने जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य से मुलाकात की। दीवान श्री माधवसिंह ने कहा कि विलक्षण प्रतिभा के धनी पद्मविभूषित जगद्गुरु रामभद्राचार्य के साथ यह छोटी-सी मुलाकात मेरे जीवन का अनमोल पल है।
बेंगलूरु में ऐसे महान संत की श्रीराम कथा का आयोजन करने वाली संस्था श्रीराम परिवार दुर्गा पूजा समिति का यह प्रयास सराहनीय है।