निर्णायक कार्रवाई कब?

अवैध बांग्लादेशी पूरे भारत में बेखौफ होकर घूमते और रहते हैं

निर्णायक कार्रवाई कब?

इनके खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं होती

दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान करने के लिए अभियान चलाकर न केवल दिल्ली की, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाया है। वास्तव में ऐसा कदम बहुत पहले उठा लेना चाहिए था। कई राज्यों में बांग्लादेशियों के पाए जाने की खबरें आती रहती हैं। इनमें कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो वर्षों से डेरा डालकर बैठे थे और देश के संसाधनों का पूरा आनंद उठा रहे थे। अवैध ढंग से रहने वाले बांग्लादेशियों के प्रति देशवासियों के मन में आक्रोश भी है। अक्सर शिकायती लहजे में कहा जाता है कि आम आदमी का वाहन पांच मिनट के लिए सड़क के पास खड़ा हो तो पुलिस उसे हटाने या उठाने के लिए पहुंच जाती है, लेकिन बांग्लादेशी तो वर्षों से यहां मजे से रह रहे हैं। उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई नहीं होती। लोगों की यह शिकायत अकारण नहीं है। जब कोई व्यक्ति अवैध ढंग से भारत में आता और रहता है तो वह न केवल यहां के संसाधनों का उपभोग करता है, बल्कि उससे देश की एकता और सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। कई जगह गंभीर अपराधों में बांग्लादेशी लिप्त पाए गए हैं। वे सार्वजनिक भूमि पर कब्जा कर झुग्गियां बना लेते हैं। इसके बाद स्थानीय लोगों के साथ उनका टकराव होता है। वे कई जगह अवैध ढंग से ठेले लगाकर स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी के लिए चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। आश्चर्य होता है कि पुलिस, सेना, कई खुफिया एजेंसियों और जांच एजेंसियों की कड़ी नजर के बावजूद अवैध बांग्लादेशी पूरे भारत में बेखौफ होकर घूमते और रहते हैं। इनके खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं होती।

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जब इनके पास अपना अलग देश है तो इन्हें वहां रहना चाहिए। अगर किसी कार्यवश भारत आना है तो कानूनी तरीके से आएं और निश्चित अवधि में वापस चले जाएं। हर देश का यही नियम होता है। जो लोग बांग्लादेशियों के पक्ष में यह तर्क देते हैं कि 'ये संसाधनहीन और जरूरतमंद लोग हैं, इसलिए इन्हें यहां रहने देना चाहिए', तो उनसे पूछा जाना चाहिए- आप इतनी फिक्र भारत के नागरिकों के लिए क्यों नहीं करते? कोई भी देश नहीं चाहता कि उसके यहां विदेशी नागरिक अवैध ढंग से आए और रहे। क्या कोई बांग्लादेशी सऊदी अरब में इस तरह दाखिल होकर वहां रह सकता है? सऊदी एजेंसियां किसी भी देश के ऐसे व्यक्ति के खिलाफ बहुत सख्ती से पेश आती हैं। इस बार तो अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव ही इसी मुद्दे पर केंद्रित रहा। डोनाल्ड ट्रंप स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके देश में अवैध ढंग से दाखिल होने वालों का स्वागत नहीं है, उन्हें उचित तरीके से बाहर निकाला जाएगा। यह अमेरिका का अधिकार है कि वह जिसे चाहे अपनी धरती पर आने दे और रहने दे। इसी तरह भारत का भी अधिकार है कि वह उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे, जो उसकी धरती पर अवैध ढंग से रह रहे हैं। जब दिल्ली पुलिस के उक्त कदम की खबर दुनियाभर में पहुंचेगी तो पश्चिमी देशों के कथित थिंक टैंक खूब शोर मचाएंगे। वे भारत को मानवाधिकारों के नाम पर उपदेश देंगे। भारत में भी कई लोग उनके सुर में सुर मिलाएंगे। सरकार को चाहिए कि वह देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ऐसे सभी लोगों को बाहर निकालने का इंतजाम करे, जो यहां अवैध ढंग से आए और रह रहे हैं। अगर कोई व्यक्ति अवैध बांग्लादेशियों की हिमायत में खड़ा हो तो उससे देश के संसाधनों (जिनका इस्तेमाल किया गया है) का पूरा खर्च वसूल किया जाए। लोग अपने घरों में अनजान शख्स को एक मिनट के लिए दाखिल नहीं होने देते, लेकिन घुसपैठियों के अधिकारों की रक्षा के लिए क्रांति का झंडा उठा लेते हैं। यह बिल्कुल नहीं होना चाहिए।

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