पाक फौज को इमरान की 'चेतावनी'- 1971 की तरह फिर टूट सकता है मुल्क!
16 दिसंबर, 1971 को पाक फौज ने ढाका में किया था आत्मसमर्पण
Photo: ImranKhanOfficial FB page
इस्लामाबाद/दक्षिण भारत। पाकिस्तान में मौजूदा हालात और साल 1971 की हार से जुड़ीं परिस्थितियों के बीच समानता बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि आर्थिक पतन हो सकता है।
अडियाला जेल में पार्टी की कानूनी टीम की उनसे मुलाकात के बाद नेशनल प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान इमरान खान का संदेश साझा करते हुए पीटीआई के केंद्रीय सूचना सचिव रऊफ हसन ने कहा कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वालों में सलमान अकरम राजा, इंतज़ार पंजुथा, शोएब शाहीन और नईम पंजुथा शामिल थे।बैरिस्टर राजा ने मीडिया को बताया कि इमरान खान दृढ़ दिखे, हालांकि देश और उसके लोगों के लिए चिंतित थे। उन्होंने पीटीआई संस्थापक का संदेश सुनाते हुए कहा, 'जब आप लोगों को अधिकार नहीं देंगे तो यह नहीं कह सकते कि अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। साल 1970 में पाक के तत्कालीन सेना प्रमुख याह्या खान त्रिशंकु संसद चाहते थे, लेकिन जब शेख मुजीबुर्रहमान की पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला तो फौज ने धोखाधड़ी से उपचुनाव कराया, जिसमें अवामी लीग की 80 सीटें छीन ली गईं, क्योंकि याह्या खान राष्ट्रपति बनना चाहते थे।'
'मैं हमूदुर्रहमान आयोग की रिपोर्ट याद दिलाना चाहता हूं कि हम फिर वे ही गलतियां दोहराने जा रहे हैं, जो हमने अतीत में की थीं। साल 1970 में लंदन योजना थी और आज फिर लंदन योजना के जरिए सरकार थोप दी गई है।'
इस अवसर पर शोएब शाहीन ने कहा कि विशेष अभियोजक इमरान खान और बुशरा बीबी के खिलाफ मामलों की सुनवाई में भाग नहीं ले रहे हैं, जिसके कारण कार्यवाही में देरी हो रही है।
इंतज़ार पंजुथा ने कहा कि इमरान खान ने पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति की तुलना साल 1971 से की और चेतावनी दी कि इसके परिणामस्वरूप आर्थिक पतन होगा और जब अर्थव्यवस्था ढह जाती है तो देश और संस्थान जीवित नहीं रहते हैं।