जिम्मेदारी की भावना

लोग वॉट्सऐप के जरिए एक-दूसरे तक संदेश पहुंचाते हैं, स्टेटस अपलोड करते हैं

जिम्मेदारी की भावना

वॉट्सऐप स्टेटस के जरिए दूसरों तक कोई संदेश पहुंचाते समय जिम्मेदारी की भावना से व्यवहार करना चाहिए

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने एक युवक द्वारा आपत्तिजनक वॉट्सऐप स्टेटस लगाने के मामले में जो आदेश दिया है, उस पर सबको विचार करना चाहिए। न्यायालय ने कथित नफरत फैलाने वाली सामग्री पोस्ट करने के आरोपी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इन्कार करते हुए उचित ही कहा है कि वॉट्सऐप स्टेटस के जरिए दूसरों तक कोई संदेश पहुंचाते समय जिम्मेदारी की भावना से व्यवहार करना चाहिए। 

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मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवा सुलभ होने से घर-घर तक इसकी पहुंच हो गई है। लोग वॉट्सऐप के जरिए एक-दूसरे तक संदेश पहुंचाते हैं, स्टेटस अपलोड करते हैं। इस दौरान कुछ लोग अपनी जिम्मेदारी भूल जाते हैं और ऐसे संदेश का प्रसार कर देते हैं, जो अशांति का कारण बनता है। जब दिसंबर 2021 में देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनके साथ दर्जनभर सैनिक एक हेलिकॉप्टर हादसे में वीरगति को प्राप्त हुए थे, देशवासी शोक-संतप्त थे, तब कुछ लोगों ने आपत्तिजनक वॉट्सऐप स्टेटस लगाए थे। मामला सामने आया तो पुलिस ने कार्रवाई की थी। 

अक्टूबर 2021 में राजस्थान में एक शिक्षिका के मामले ने तूल पकड़ा था। उसने पाकिस्तानी क्रिकेट टीम द्वारा मैच जीतने की 'खुशी' में वॉट्सऐप स्टेटस लगाकर माहौल को गरमा दिया था। इसी तरह कुछ लोग किसी समुदाय विशेष की आस्था और भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए वॉट्सऐप स्टेटस लगा देते हैं। जब विवाद बढ़ जाता है तो उन्हें माफी मांगनी पड़ती है। ऐसे स्टेटस लगाने के मामलों में कई यूजर्स जेल जा चुके हैं। 

सवाल है- क्या इस प्रकार के वॉट्सऐप स्टेटस लगाने से पहले उन्हें परिणाम का बोध नहीं होता? वॉट्सऐप हो या फेसबुक, ट्विटर या कोई अन्य सोशल मीडिया मंच, इन पर अकाउंट बनाने के बाद सबसे ज्यादा जरूरी है 'आत्मानुशासन'। प्राय: बहुत लोगों में इसका अभाव होता है। उन्हें लगता है कि उनके हाथ में मोबाइल फोन है, सोशल मीडिया पर अकाउंट है, तो जो मन करे, वह पोस्ट करने का अधिकार मिल गया है। इसी का परिणाम है कि आए दिन सोशल मीडिया के कारण नए-नए विवाद पैदा हो रहे हैं।

सोशल मीडिया पर अपने विचार प्रस्तुत करते समय अनुशासन उस व्यक्ति के भीतर से आना चाहिए। क्या पोस्ट, लाइक, शेयर करना है, क्या नहीं करना है ... को समझना बहुत जरूरी है। वॉट्सऐप ने मई में भारत के 65 लाख से ज्यादा अकाउंट बंद किए थे। इससे पहले भी ऐसी खबरें आ चुकी हैं, जिनके मुताबिक भारत के लाखों वॉट्सऐप यूजर्स के अकाउंट बंद किए जा चुके हैं। 

वॉट्सऐप पर फेक न्यूज का तेजी से प्रसार हो रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ने एक बार में सीमित समूहों तक फॉरवर्ड की शर्त लगा दी, लेकिन इसके बावजूद समस्या नियंत्रण से बाहर है। हाल में मणिपुर में हुईं हिंसक घटनाओं के वीडियो वॉट्सऐप समूहों में बहुत फॉरवर्ड किए गए थे। उनमें से कई वीडियो फर्जी भी थे। जब वे एक समूह से दूसरे समूह तक पहुंचे तो लोगों ने उनकी सत्यता जानने और संबंधित महिलाओं की निजता का सम्मान करने के बजाय उन्हें तुरंत आगे बढ़ा दिया। बाद में वॉट्सऐप ने ऐसे वीडियो को हटाया/प्रतिबंधित किया। 

एक चर्चित विदेशी पत्रकार का वॉट्सऐप समूह है, जिसमें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कई लोग शामिल हैं। जब तक उस समूह में 'केवल एडमिन' को अपने विचार प्रस्तुत करने का अधिकार होता है, वहां माहौल सामान्य होता है। जब समूह सभी के लिए खोल दिया जाता है तो बड़ी संख्या में लोग अभद्र व आपत्तिजनक बातें पोस्ट करने लग जाते हैं। इससे पता चलता है कि उनमें आत्मानुशासन नहीं है। 

अगर वे गंभीर चर्चा के लिए बने समूह में ऐसी सामग्री पोस्ट कर सकते हैं, जहां एडमिन के पास कई शक्तियां होती हैं, तो अपने वॉट्सऐप स्टेटस पर भी वैसी ही सामग्री अपलोड करते होंगे! 

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के ये शब्द हर वॉट्सऐप यूजर के लिए ऑनलाइन आचरण की नियमावली की तरह हैं - 'वॉट्सऐप स्टेटस ... आप क्या कर रहे हैं, क्या सोच रहे हैं या आपने जो कुछ देखा है, उसकी तस्वीर या वीडियो हो सकता है। यह 24 घंटे के बाद हट जाता है। वॉट्सऐप स्टेटस का उद्देश्य किसी व्यक्ति द्वारा परिचितों तक किसी बात को पहुंचाना होता है। यह और कुछ नहीं, बल्कि परिचित व्यक्तियों से संपर्क का एक तरीका है। दूसरों को कोई बात बताते समय जिम्मेदारी की भावना से व्यवहार करना चाहिए।'

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