'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के विजन में शिवाजी महाराज के विचारों का प्रतिबिंब: मोदी
सुशासन और आत्मनिर्भरता की यह यात्रा विकसित भारत की होगी
प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, विचारधारा और न्यायप्रियता ने कई-कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक समारोह के 350वें वर्ष पर शुक्रवार को अपने संदेश में कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में यह दिवस हम सभी के लिए नई चेतना, नई ऊर्जा लेकर आया है। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत मराठी में करते हुए कहा कि मैं आप सबको शुभकामनाएं देता हूं। छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक साढ़े तीन सौ साल पहले के उस कालखंड का एक अद्भुत और विशिष्ट अध्याय है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास के उस अध्याय से निकलीं स्वराज, सुशासन और समृद्धि की महान गाथाएं हमें आज भी प्रेरित करती हैं। राष्ट्र कल्याण और लोक कल्याण उनकी शासन व्यवस्था के मूल तत्व रहे हैं। मैं छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं। आज स्वराज्य की पहली राजधानी रायगढ़ किले के प्रांगण में शानदार आयोजन किया गया है। पूरे महाराष्ट्र में आज का दिन महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। पूरे साल इस तरह के आयोजन महाराष्ट्र में होंगे। इसके लिए मैं महाराष्ट्र सरकार को भी शुभकामनाएं देता हूं।प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व, जब छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था तो उसमें स्वराज्य की ललकार और राष्ट्रीयता की जय-जयकार समाहित थी। उन्होंने हमेशा भारत की एकता और अखंडता को सर्वोपरि रखा था। आज एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विजन में छत्रपति शिवाजी महाराज के विचारों का ही प्रतिबिंब देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास के नायकों से लेकर आज के दौर में नेतृत्व पर रिसर्च करने वाले मैनेजमेंट गुरुओं तक, हर युग में किसी भी लीडर का सबसे बड़ा दायित्व होता है कि वो अपने देशवासियों को प्रेरित और आत्मविश्वासी रखे। आप छत्रपति शिवाजी महाराज के समय देश की परिस्थितियों की कल्पना कर सकते हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी और आक्रमणों ने देशवासियों से उनका आत्मविश्वास छीन लिया था। आक्रमणकारियों के शोषण और गरीबी ने समाज को कमजोर बना दिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे सांस्कृतिक केंद्रों पर हमला करके लोगों का मनोबल तोड़ने की कोशिश की गई। ऐसे समय में, लोगों में आत्म विश्वास जगाना एक कठिन कार्य था। लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने न सिर्फ आक्रमणकारियों का मुकाबला किया, बल्कि जनमानस में यह विश्वास भी पैदा किया कि स्वयं का राज संभव है। उन्होंने गुलामी की मानसिकता को खत्म कर लोगों को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने यह भी देखा है कि इतिहास में कई ऐसे शासक हुए, जो अपनी सैन्य ताकत के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनकी प्रशासनिक क्षमता कमजोर थी। इसी तरह, ऐसे भी कई शासक हुए जो अपनी बेहतरीन शासन व्यवस्था के लिए जाने गए, लेकिन उनका सैन्य नेतृत्व कमजोर था। लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व अद्भुत था। उन्होंने स्वराज की भी स्थापना की और सुराज को भी साकार किया। वो अपने शौर्य के लिए भी जाने जाते हैं और सुशासन के लिए भी। बहुत छोटी उम्र में उन्होंने किलों को जीतकर और शत्रुओं को हराकर अपने सैन्य नेतृत्व का परिचय दे दिया। दूसरी तरफ, एक राजा के तौर पर, लोक-प्रशासन में सुधारों को लागू करके उन्होंने सुशासन का तरीका भी बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक तरफ, उन्होंने आक्रमणकारियों से अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा की, तो दूसरी तरफ, उन्होंने राष्ट्र निर्माण का व्यापक विजन भी सामने रखा। अपने विजन की वजह से ही वो इतिहास के दूसरे नायकों से एकदम अलग हैं। उन्होंने शासन का लोक कल्याणकारी चरित्र लोगों के सामने रखा और उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीने का भरोसा दिया। इसके साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज, धर्म, संस्कृति और धरोहरों को ठेस पहुंचाने की कोशिश करने वालों को भी संकेत दिया। इससे जन-जन में दृढ़ विश्वास पैदा हुआ, आत्मनिर्भरता की भावना का संचार हुआ और राष्ट्र का सम्मान बढ़ा। किसान कल्याण हो, महिला सशक्तीकरण हो, शासन-प्रशासन तक सामान्य मानवी की पहुंच आसान बनाना हो, उनके कार्य, उनकी शासन प्रणाली और उनकी नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व के इतने पहलू हैं कि किसी न किसी रूप में उनका जीवन हमें अवश्य प्रभावित करता है। उन्होंने भारत के सामुद्रिक सामर्थ्य को पहचानकर जिस तरह नौसेना का विस्तार किया, अपना प्रबंध कौशल दिखाया, वो आज भी सबको प्रेरणा देता है। उनके बनाए जलदुर्ग समंदर के बीच में, तेज लहरों और ज्वार-भाटा के थपेड़े सहने के बावजूद आज भी शान से खड़े हैं। उन्होंने समुद्र के किनारों से लेकर पहाड़ों तक किले बनवाए और अपने राज्य का विस्तार किया। उस काल में उन्होंने जल प्रबंधन-वाटर मैनेजमेंट से जुड़ी जो व्यवस्थाएं खड़ी की थीं, वो विशेषज्ञों को हैरत में डाल देती हैं। यह हमारी सरकार का सौभाग्य है कि छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर पिछले वर्ष भारत ने गुलामी के एक निशान से नौसेना को मुक्ति दे दी। भारतीय नौसेना के ध्वज पर अंग्रेजी शासन की पहचान को हटाकर शिवाजी महाराज से प्रेरित उनकी राजमुद्रा को जगह दी गई है। अब यही ध्वज नए भारत की आन-बान-शान बनकर समंदर और आसमान में लहरा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, विचारधारा और न्यायप्रियता ने कई-कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है। उनकी साहसिक कार्यशैली, सामरिक कौशल और शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रणाली आज भी हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं। हमें इस बात का गर्व है कि दुनिया के कई देशों में आज भी छत्रपति शिवाजी महाराज की नीतियों की चर्चा होती है और उस पर रिसर्च होती है। एक महीने पहले ही मॉरीशस में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की गई। आजादी के अमृतकाल में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे होना एक प्रेरणायादी अवसर है। इतने वर्ष बाद भी उनके द्वारा स्थापित किए गए मूल्य हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखा रहे हैं। इन्हीं मूल्यों के आधार पर हमें अमृतकाल की 25 वर्षों की यात्रा पूरी करनी है। यह यात्रा होगी छत्रपति शिवाजी महाराज के सपनों का भारत बनाने की, यह यात्रा होगी स्वराज,
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुशासन और आत्मनिर्भरता की यह यात्रा विकसित भारत की होगी। उन्होंने अपने भाषण का समापन मराठी में शुभकामनाएं देकर और जय हिंद व भारत माता के जयकारे से की।