मोटापे की समस्या
वर्ष 2020 से 2035 के दौरान वयस्कों में मोटापे के मामलों में 5.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हो सकती है
मोटापा अपने साथ कई समस्याएं लेकर भी आता है
‘वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन’ की एक अध्ययन रिपोर्ट का यह निष्कर्ष चिंताजनक है कि यदि 'रोकथाम, उपचार और सहायता उपायों' में सुधार नहीं किया गया तो 12 वर्ष के अंदर आधी से अधिक वैश्विक आबादी अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त हो सकती है। निस्संदेह यह बहुत बड़ा आंकड़ा है। आज अमेरिका समेत कई देशों में मोटापा बड़ी समस्या बन चुका है। भारत में भी यह पांव पसार रहा है।
अनियमित दिनचर्या, बदलते खानपान और व्यायाम व खेलकूद की उपेक्षा जैसे कई बिंदु हैं, जिनके कारण बच्चों से लेकर बड़ों तक मोटापा बढ़ता जा रहा है। अगर आप सत्तर से लेकर नब्बे के दशक तक के स्कूली बच्चों की तस्वीरें देखेंगे तो पाएंगे कि उनमें मोटापे की समस्या तुलनात्मक रूप से कम थी। आज स्कूली बच्चों में इसके ज्यादा लक्षण देखे जा सकते हैं। अगर उन्हें हरी सब्जी या बाजार के चटपटे खाने में से एक विकल्प चुनना हो तो ज्यादातर दूसरा विकल्प चुनेंगे।अगर उनसे कहा जाए कि छाछ/नींबू पानी या बाजार के शीतल पेय में से क्या लेंगे, तो वे बाजार के पेय को प्राथमिकता देंगे। गांव का शुद्ध गुड़ और चॉकलेट पेश की जाए तो गुड़ की ओर शायद ही कोई देखे, हर किसी को चॉकलेट पसंद आएगी। इसी तरह, अगर इंटरनेट व मोबाइल गेम और योग व व्यायाम में से चुनने के लिए कहेंगे तो इंटरनेट व मोबाइल गेम बाजी मार जाएंगे।
कुछ यही हाल बड़ों का है, तो मोटापा क्यों न बढ़े? आज बच्चों पर पढ़ाई और बड़ों पर कामकाज का इतना दबाव है कि खुद के स्वास्थ्य के लिए समय निकालना भूल गए हैं।
‘वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन’ ने भारत के संबंध में जो आंकड़े जारी किए, उन पर भी गौर कर लीजिए। इसकी मानें तो अगर भारत में 'रोकथाम, उपचार और सहायता उपायों' में सुधार नहीं होता है, तो वर्ष 2035 तक बच्चों में मोटापे के मामलों में नौ प्रतिशत वार्षिक वृद्धि होने की आशंका है। इसी तरह भारत में वर्ष 2035 तक मोटापे के शिकार लोगों की दर 11 प्रतिशत हो सकती है।
वहीं, वर्ष 2020 से 2035 के दौरान वयस्कों में मोटापे के मामलों में 5.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हो सकती है। अगर समग्र रूप में देखें तो यह आंकड़ा बहुत बड़ा है। चूंकि मोटापा अपने साथ कई समस्याएं लेकर भी आता है। इसलिए उक्त आंकड़े को सिर्फ मोटापे तक सीमित रखकर न देखें। इससे देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मोटापे से भारत के राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर 1.8 प्रतिशत तक प्रभाव पड़ने की आशंका है। ऐसे में सवाल है कि क्या किया जाए? निस्संदेह आज पढ़ाई और कामकाज के तौर-तरीके बदल रहे हैं, उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। विद्यार्थियों को किताब से लेकर कंप्यूटर तक घंटों पढ़ाई करनी होती है। वहीं, दफ्तरों भी अपने ढंग से ही काम होगा।
इस बीच लोगों को दिनचर्या और खानपान में बदलाव करना होगा। व्यायाम, खेलकूद, योग, प्राणायाम, टहलना आदि करते रहें। इसी तरह सात्विक एवं पौष्टिक भोजन करें। जंक फूड, गरिष्ठ पदार्थों, हानिकारक पेय आदि से परहेज रखना बेहतर है।
इन दिनों देश में 'श्री अन्न' की चर्चा है। इसे अपने भोजन में शामिल करें। इसके अलावा छाछ, नींबू पानी और परंपरागत पेय, जो स्वास्थ्य के लिए उत्तम होते हैं, को प्राथमिकता दें। बच्चों को समझाएं कि मोबाइल फोन से बाहर भी एक दुनिया है, जिसे देखें, जानें और समझें। अगर इतना कर लेंगे तो मोटापे की समस्या से बचे रहेंगे।