सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत!

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सर्जिकल स्ट्राइक पर जो बयान दिया है, वह उन्हें शोभा नहीं देता

सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत!

राहुल गांधी सफाई दे रहे हैं कि वे और उनकी पार्टी सर्जिकल स्ट्राइक पर दिग्विजय सिंह के बयान से सहमत नहीं हैं

देश की जनता को सितंबर 2016 में ही जानकारी मिल गई थी कि भारतीय सेना के वीर जवानों ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, कई आतंकवादियों को मार गिराया और लॉन्च पैड्स तबाह कर दिए थे; लेकिन आज भी कुछ लोगों को इस पर संदेह है। वे गाहे-बगाहे इसके सबूत मांगते रहते हैं। दरअसल यह चर्चा में आने का एक तरीका है, जिससे इन्हें कुछ समय के लिए प्रचार मिल जाता है। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सर्जिकल स्ट्राइक पर जो बयान दिया है, वह उन्हें शोभा नहीं देता। मध्य प्रदेश और केंद्र की राजनीति में दशकों का अनुभव रखने वाले दिग्विजय बखूबी जानते हैं कि उनके इस तरह के बयान पूर्व में भी उन्हें सुर्खियों में लाते रहे हैं। इससे उनकी शोहरत बढ़ी या नहीं बढ़ी, लेकिन कांग्रेस का नुकसान जरूर हुआ। 

अब राहुल गांधी सफाई दे रहे हैं कि वे और उनकी पार्टी सर्जिकल स्ट्राइक पर दिग्विजय सिंह के बयान से सहमत नहीं हैं और सशस्त्र बलों को कोई सबूत दिखाने की जरूरत नहीं है। क्या दिग्विजय नहीं जानते कि सर्जिकल स्ट्राइक कोई पिकनिक नहीं है, जहां लोग मौज-मस्ती करने जाते हैं और सेल्फी लेकर फेसबुक पर पोस्ट करते हैं? 

सर्जिकल स्ट्राइक बहुत जोखिमभरी कार्रवाई का नाम है, जहां ज़रा भी इधर-उधर हुए कि गोली आपकी छाती को चीरते हुए निकल सकती है। यह कोई चुनावी रैली नहीं कि वहां पहुंचे तो फूलमाला पहनाकर स्वागत किया जाएगा और फिर शिकंजी का गिलास देकर पूछा जाएगा कि रास्ते में कहीं तकलीफ तो नहीं हुई! दुश्मन के कब्जे वाले इलाके में सैनिकों का 'स्वागत' गोलियों और बमों से होता है। कौन जानता है कि कहां बारूदी सुरंग बिछी है, जिस पर पांव रखते ही शरीर के चिथड़े उड़ जाएंगे?

सर्जिकल स्ट्राइक कोई हंसी-खेल नहीं है, जिस पर कोई भी इस स्तर की बयानबाजी करे। यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय है, इसलिए इस पर गंभीरतापूर्वक ही कोई बयान देना चाहिए। दिग्विजय को मालूम होना चाहिए कि हमारे सैनिक किस दुश्मन से लड़ रहे हैं। 

क्या वे चाहते हैं कि जब भारतीय सैनिक सर्जिकल स्ट्राइक करने जाएं तो पूरी दुनिया के सामने ढिंढोरा पीटकर जाएं, साथ ही लाइव वीडियो जारी करते हुए बताएं कि इस समय हम गुप्त रास्ते से एलओसी पार कर रहे हैं ... यहां घना जंगल है ... इधर पाकिस्तानी फौज की पोस्ट नजर आ रही हैं ... अब पांच आतंकवादी नजर आ रहे हैं, जो बम बनाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं ... पाकिस्तानी ड्रोन उड़ रहे हैं ... अब हम दुश्मन के नजदीक पहुंच गए हैं और आतंकवादियों को धड़ाधड़ मार रहे हैं ... हो गई सर्जिकल स्ट्राइक! क्या ऐसा होना चाहिए? 

जब अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में घुसकर कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था तो उसने किसी को कानोंकान भनक नहीं लगने दी थी। लादेन के खात्मे के बाद कोई फोटो जारी नहीं की गई, क्योंकि ऐसा किया जाता तो अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कई समस्याएं पैदा हो सकती थीं। ऐसे मिशन में सबसे ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि योजना के अनुसार कार्रवाई हो और सैनिकों की सकुशल वापसी हो। 

दुश्मन के कब्जे वाले इलाके में पहुंचकर सैनिकों के पास इस बात के लिए समय नहीं होता कि वे फोटोग्राफी में व्यस्त हो जाएं, ताकि भविष्य में जब कोई दिग्विजय सिंह सबूत मांगे तो उनके सामने तस्वीरें पेश कर दें। 

अगर किसी को सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत चाहिए तो उस समय के अख़बार और वीडियो देख लें, जिनमें पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख राहील शरीफ के चेहरों पर हवाइयां उड़तीं साफ नजर आ रही थीं, पूरे मुल्क में अफरा-तफरी का माहौल था। इसी से पता चलता है कि भारतीय सैनिकों ने बिल्कुल सही जगह चोट की थी।

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