कोरोना को करें परास्त

भारतीयों में ‘हर्ड इम्युनिटी’ विकसित हो गई है

कोरोना को करें परास्त

बीएफ.7 स्वरूप चीन जितना गंभीर नहीं होगा, फिर भी सावधानी जरूरी है

चीन समेत कुछ देशों में गहराते कोरोना संकट के बीच भारतवासियों को सावधानी बरतनी चाहिए। किसी भी तरह की अफवाह से बचते हुए विशेषज्ञों की सलाह पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि संक्रमण रोकने के लिए मूलभूत उपायों में कोई कमी न रहे। अगर मास्क, स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन कर लें तो महामारी के खिलाफ लड़ाई मजबूत होगी। 

Dakshin Bharat at Google News
हालांकि कोरोना को लेकर भारत के संबंध में विशेषज्ञों के हवाले से जो जानकारी सामने आई है, वह उत्साहजनक है। आज भारत में कोरोना की स्थिति बहुत नियंत्रण में है तो इसके पीछे हमारे वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों का परिश्रम और त्याग है। सरकार ने समय रहते टीकाकरण में तेजी लाकर हालात पर काबू पा लिया। 

विशेषज्ञों का यह कहना उचित ही है कि भारतीयों में ‘हर्ड इम्युनिटी’ विकसित हो गई है, इसलिए बीएफ.7 स्वरूप चीन जितना गंभीर नहीं होगा; फिर भी सावधानी जरूरी है। अगर किसी योद्धा के पास कवच हो तो इसका यह अर्थ नहीं कि वह लापरवाही बरते। अभी महामारी खत्म नहीं हुई है। इन दिनों चीन में कोरोना के प्रभाव की जो डरावनी तस्वीरें बाहर आ रही हैं, विशेषज्ञ इसके लिए उसकी ‘शून्य कोविड नीति’ को जिम्मेदार ठहराते हैं। उसने संक्रमण रोकने के लिए सख्ती बरती तो इतनी ज्यादा बरती कि लोग त्राहि-त्राहि कर उठे। फिर जब विरोध के स्वर उठने लगे तो अचानक इसे हटा लिया। इससे स्थिति विस्फोटक हो गई। अब वहां कोरोना का प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है। 

भारत में भी सख्त लॉकडाउन लगा था, जिसकी काफी आलोचना हुई, लेकिन सरकार ने चरणबद्ध ढंग से ढील दी थी। इस बीच पर्याप्त टीकाकरण हो चुका था। इसलिए सबकुछ सहज और सामान्य रहा। चीनी वैक्सीन की गुणवत्ता अच्छी नहीं बताई जा रही है। वहां बहुत बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण और मौतों के आंकड़े से साबित होता है कि चीनी माल की तरह उसकी वैक्सीन भी नकली ही निकली!

चीन में जिस बीएफ.7 ने हाहाकार मचा रखा है, उसे ओमीक्रोन का उपस्वरूप कहा जा रहा है। यह तेजी से फैल रहा है। राहत की बात यह है कि विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यह जल्द खत्म हो सकता है और इसमें नए उत्परिवर्तन की आशंका कम है। यह उचित है कि सावधानी के तौर पर राज्यों को जरूरी उपायों पर ध्यान देना चाहिए। खासतौर से अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन आदि के लिए पर्याप्त प्रबंध होना चाहिए। मास्क के उपयोग को बढ़ावा दें। 

यह देखने में आया है कि कई लोगों ने दूसरा टीका नहीं लगवाया। वहीं, दूसरा टीका लगवा चुके बहुत लोग बूस्टर डोज के लिए नहीं आए। उन्हें टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। नेजल वैक्सीन को मंजूरी राहत की एक और बड़ी ख़बर है। इसके प्रचार पर जोर देना चाहिए। चूंकि इसे लेना आसान है और यह पूर्णत: पीड़ारहित है। कई लोग तो सिर्फ इंजेक्शन की वजह से टीकाकरण से दूर रहना चाहते हैं। वे नेजल वैक्सीन बहुत आसानी से ले सकते हैं। 

सरकार जीनोम अनुक्रमण पर जोर दे रही है। ऐसे में अगर कोई नया स्वरूप आएगा तो वह हमारे वैज्ञानिकों की नजर से नहीं बच पाएगा। देश में अभी कोरोना संक्रमण के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उनसे भी यही संकेत मिलता है कि स्थिति पूर्णत: नियंत्रण में है, लेकिन कुछ इलाकों में दर राष्ट्रीय औसत (0.21 प्रतिशत) से अधिक है, जो चिंता का विषय है। 

अरुणाचल प्रदेश के लोहित, मेघालय के री भोई, राजस्थान के करौली और गंगानगर, तमिलनाडु के डिंडिगुल और उत्तराखंड के नैनीताल में स्थानीय प्रशासन को संक्रमण का आंकड़ा नीचे लाने के लिए विशेष उपाय करने होंगे। 

केंद्र ने राज्यों से अस्पतालों में ‘मॉक ड्रिल’ करने को कहा है, जो समय की जरूरत है। भारतीय अस्पतालों को कोरोना से निपटने का पर्याप्त अनुभव हो गया है। अब सावधानी के साथ जरूरी तैयारी ही महामारी को परास्त करेगी।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download