बच्चे भी सीखेंगे अध्यात्म और प्रबंधन की कला, संस्कारों के साथ नेतृत्व के गुण

प्रमुख स्‍वामीजी महाराज जन्‍म शताब्‍दी समारोह की तैयारियां जोरों पर

बच्चे भी सीखेंगे अध्यात्म और प्रबंधन की कला, संस्कारों के साथ नेतृत्व के गुण

बाल नगरी का मकसद बच्चों को योग्य एवं आदर्श नागरिक बनाना है

अहमदाबाद/दक्षिण भारत। गुजरात के अहमदाबाद में दिसंबर में होने जा रहे प्रमुख स्वामीजी महाराज जन्‍म शताब्‍दी समारोह की तैयारियां बड़े स्तर पर जारी हैं। इससे युवाओं के साथ बच्चों को भी बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलेगा। वे खासतौर से अध्यात्म और प्रबंधन की कला सीखेंगे। इसके अलावा उनमें नेतृत्व के गुण विकसित किए जाने पर जोर दिया जाएगा।

बता दें कि यह आयोजन प्रमुख स्वामी महाराज नगर में होगा, जहां बच्चों के लिए बाल नगरी विकसित की गई है, जिसका मकसद उन्हें योग्य एवं आदर्श नागरिक बनाना है। यहां देश-दुनिया से बच्चे आएंगे और अपने अनुभव साझा करेंगे।

बीएपीएस स्‍वामीनारायण संस्था ने बताया कि साल 1954 में योगीजी महाराज ने बच्‍चों के लिए प्रेरक गतिविधियों की शुरुआत की, जिसमें अध्यात्म और आदर्शों का उत्कृष्ट समावेश किया गया। इस पहल का प्रमुख स्वामीजी महाराज ने प्रसार किया। इसके तहत बच्चों को अच्छी आदतें अपनाने, माता-पिता का सम्मान करने और सद्गुणों को धारण करने की प्रेरणा दी जाती है।   

यही नहीं, साल 1992 और 1995 में बच्चों को बड़े उत्सवों में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने का मंच दिया गया। उन्हीं बच्चों ने बाल नगरी के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बताया गया कि यहां हर सप्ताह देशभर से आए करीब 10,000 बच्‍चों ने निर्माण में सहयोग दिया। शताब्‍दी समारोह में बच्चों का आंकड़ा करीब 1.5 लाख तक हो सकता है। 

यह स्थान बच्चों के अलावा उनके माता-पिता और अभिभावकों के लिए भी खास होगा। एक ओर जहां बच्चों को सिखाया जाएगा कि वे घर पर कैसा व्यवहार करें, वहीं माता-पिता और अभिभावकों को सिखाया जाएगा कि वे बच्चों में संस्कार निर्माण कैसे करें।

अनूठी बाल नगरी 

उल्लेखनीय है कि करीब 17 एकड़ में बनी 'बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था बाल नगरी' कई मायनों में अनूठी है। इसके दो मुख्य प्रवेश द्वारों पर 'बाल स्नेही' उद्यान हैं, जो अत्यंत सुंदर हैं। यहां बच्चों का जीवन बेहतर बनाने के लिए स्‍वामीजी के संदेश का प्रसार किया जाएगा। इसके निर्माण की रूपरेखा तैयार हुई तो दो साल पहले कार्य शुरू किया गया। 

स्वामीजी महाराज मानते थे कि बेहतर समाज निर्माण के लिए बच्चों में अध्यात्म और अच्छी आदतों का होना जरूरी है। बाल नगरी बच्चों को प्रकृति को समझते हुए उक्त आदर्शों को धारण करने का वातावरण उपलब्ध कराती है। प्रमुख स्वामीजी महाराज बच्चों से बहुत स्नेह रखते थे। महंत स्वामीजी महाराज भी उन्हीं की भांति बच्चों को स्नेह के साथ आदर्श नागरिक निर्माण के अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।

मूर्तियों का गहरा संदेश

बाल नगरी का एक और आकर्षण जानवरों की मूर्तियां हैं, जो इसके चारों कोनों में स्थापित की गई हैं। इनके साथ गहरा संदेश जुड़ा हुआ है। गैंडे की मूर्ति का संदेश है- सशक्त बनो, लेकिन शांत रहो। इसी तरह हाथी की मूर्ति यह संदेश देती है कि शक्तिशाली बनो, लेकिन शाकाहारी रहो। जिराफ की मूर्ति विचारों को महान ऊंचाइयों पर ले जाने का संदेश देती है, जबकि शेर की मूर्ति आंतरिक शक्ति का ज्ञान और साहसी बनना सिखाती है।

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प्रेरक विभूतियों की मूर्तियां

बाल नगरी में प्रेरक विभूतियों की आठ मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। इनमें भक्त ध्रुव, प्रह्लाद, भरत, श्रवण, मीराबाई, शबरी, गार्गी और सीताजी हैं। इनसे भक्ति, वीरता, लक्ष्य के प्रति समर्पण, ज्ञान आदि सद्गुणों को सीखने का संदेश दिया गया है। 

यहां 'शेरूज ग्रेट एस्केप' प्रदर्शनी से गुरु के प्रति विश्वास, स्वयं की खोज, अपनी शक्ति को पहचानना सिखाया जाएगा।

सफलता का सूत्र

बाल नगरी में सफलता का एक सूत्र भी सिखाया जाएगा, जो प्रमुख स्वामी महाराज के संदेश पर आधारित है। उनके अनुसार, प्रार्थना और परिश्रम का संयोग सफलता लेकर आता है। इसलिए यदि निरंतर प्रार्थना और पूर्ण मनोयोग से परिश्रम किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। 

इसे समझाने के लिए 'स्वर्ण द गोल्ड फिश' प्रदर्शनी भी लगाई गई है। हर प्रदर्शनी के बाहर संदेश बोर्ड संस्कार और जीवन निर्माण का संदेश देंगे। इनके जरिए कड़ी मेहनत करने, माता-पिता के प्रति आभार व्यक्त करने और जीवन में प्रगति करते हुए दुनिया को बेहतर जगह बनाना सिखाया जाएगा।

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