विराट के सामने वंडरर्स में व्हाइटवॉश से बचने की चुनौती

विराट के सामने वंडरर्स में व्हाइटवॉश से बचने की चुनौती

जोहानसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका से सीरी़ज गंवा चुकी नंबर वन भारतीय क्रिकेट टीम बुधवार से शुरू होने जा रहे तीसरे और सीरी़ज के आखिरी क्रिकेट टेस्ट में सम्मान बचाने के साथ मे़जबान टीम के हाथों व्हाइटवॉश से भी बचने उतरेगी।भारत ने पहला मैच दक्षिण अफ्रीका से ७२ रन से और दूसरा मैच १३५ रन से हारा था और वह सीरी़ज पहले ही ०-२ से गंवा चुकी है। ऐसे में तीसरा मैच भले ही परिणाम के लिहा़ज से उसके लिए अहम न हो लेकिन दुनिया की नंबर एक टीम होने के नाते प्रतिष्ठा के लिहा़ज से काफी अहम होगा। विराट कोहली के नेतृत्व में टीम इंडिया ने अंतिम मैच में जीत के लिए मैच से पहले क़डा अभ्यास भी शुरू कर दिया है और बल्लेबा़जी क्रम में अजिंक्या रहाणे की वापसी के भी संकेत मिल रहे हैं जिन्हें पिछले मैचों में बाहर रखे जाने को लेकर कप्तान को काफी आलोचना झेलनी प़डी है। हालांकि रहाणे को बाहर रखे जाने से अंतिम एकादश में किस खिला़डी को बाहर बैठना होगा यह साफ नहीं है।वंडरर्स पिच की बात करें तो यह मैदान भारतीय टीम के लिए सफल रहा है और दक्षिण अफ्रीका में एकमात्र जीत उसे इसी मैदान पर वर्ष २००६ में मिली थी। यह मैच भारत ने १२३ रन से जीता था जिसमें शांतकुमार श्रीसंत के पांच विकेट की अहम भूमिका थी। इसके अलावा उसने दिसंबर २०१३ में यहां एक मैच ड्रा भी कराया है जबकि केपटाउन और सेंचुरियन मैदानों की तुलना में मे़जबान टीम को इस मैदान पर खास सफलता नहीं मिली है।टेस्ट रैंकिंग में भारत से एक पायदान नीचे दूसरे नंबर पर काबि़ज दक्षिण अफ्रीका भी इस मैच में अपनी घरेलू परिस्थितियों का फायदा उठाते हुए यहां क्लीन स्वीप करना चाहेगी। अफ्रीकी टीम को अपने ते़ज गेंदबा़जों के दम पर पिछले दोनों मैचों में ब़डी सफलता मिली है तो वहीं भारत के बल्लेबा़ज फ्लॉप साबित हुए। ऐसे में टीम इंडिया के एकादश में रहाणे की वापसी और उनके प्रदर्शन पर सभी की निगाहें रहेंगी।दूसरी ओर भारतीय ते़ज गेंदबा़जों ने अभी तक कमाल का प्रदर्शन किया है जिसमें इशांत शर्मा तथा मोहम्मद शमी खासे सफल रहे हैं। पहले केपटाउन मैच में भुवनेश्वर कुमार सफल रहे थे और एकादश में तीनों गेंदबा़जों की तिक़डी का जलवा फिर से देखने को मिल सकता है। भुवनेश्वर को हालांकि सेंचुरियन में बाहर बैठाया गया था लेकिन वंडरर्स में माना जा रहा है कि वह वापसी को तैयार हैं।इसके अलावा जसप्रीत बुमराह और उमेश यादव भी ते़ज गेंदबा़जी आक्रमण का अहम हिस्सा हैं और उनकी बदौलत गेंदबाजी विभाग में विभिन्नता दिखाई दे रही है। यदि टीम पांच गेंदबा़जों के साथ उतरने पर विचार करती है तो ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को बेंच पर बैठाया जा सकता है। हालांकि अश्विन निचले क्रम पर अच्छे बल्लेबा़ज साबित होते हैं। वहीं सेंचुरियन में अश्विन और ते़ज गेंदबा़ज शमी पांच-पांच विकेट लेकर काफी सफल रहे थे।बल्लेबा़जी क्रम में निश्चित ही कप्तान विराट के बल्ले से ब़डे स्कोर की उम्मीद होगी जिन्होंने पिछले मैच की पहली पारी में १५३ रन बनाए थे। हालांकि दूसरी पारी में वह पांच रन ही बना सके और बाकी बल्लेबा़जों से भी टीम को कोई मदद नहीं मिली थी जिसे लेकर बाद में कप्तान ने सभी को काफी लता़डा भी था।टेस्ट विशेषज्ञ बल्लेबा़ज और टीम के ओपनर मुरली विजय पिछले दोनों मैचों में एक अर्धशतक भी नहीं बना सके हैं तो लोकेश राहुल को एक मैच में खेलने का मौका मिला और उसमें वह १० और ०४ रन की पारियों के साथ फ्लॉप रहे। अन्य टेस्ट विशेषज्ञ बल्लेबा़ज चेतेश्वर पुजारा का भी यही हाल है। उन्होंने अब तक २६, ०४, ०० और ०९ रन की बेहद निराशाजनक पारियां खेली हैं।दक्षिण अफ्रीकी की पिचों पर जितना उसके गेंदबा़ज सफल रहे हैं उतना ही भारतीय गेंदबा़जों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है लेकिन उसके बल्लेबा़जों की नाकामी पिछले दोनों मैचों में उसकी हार की वजह बनी और टीम २५ वर्षों बाद अफ्रीकी ़जमीन पर टेस्ट सीरी़ज जीतकर इतिहास रचने से चूक गई।यदि विराट की १५३ रन की शतकीय पारी को छो़ड दें तो उन्होंने भी तीन पारियों में ०५, २८ और ०५ रन बनाए हैं। हालांकि बाकी बल्लेबा़जों से उन्होंने कहीं बेहतर प्रदर्शन किया। मध्यक्रम में रोहित शर्मा भी अपनी घरेलू फार्म को विदेशी जमीन पर कायम नहीं रख सके। रहाणे को एकादश में शामिल किए जाने से परिणाम पर कितना असर होगा यह मैच में पता लगेगा लेकिन इस मैच में उनके अलावा विकेटकीपर बल्लेबा़ज दिनेश कार्तिक के प्रदर्शन पर भी निगाहें होंगी।विकेटकीपर रिद्धिमान साहा चोटिल होने के कारण बाहर हैं जिनकी जगह तीसरे टेस्ट में कार्तिक को शामिल किया गया है। कार्तिक ने टेस्ट क्रिकेट में अपना पदार्पण वर्ष २००४ में किया था और अपना आखिरी टेस्ट उन्होंने लगभग ८ साल पहले खेला था।दक्षिण अफ्रीकी टीम की बात करें तो वेर्नोन फिलेंडर, कैगिसो रबादा, पदार्पण मैच में ही भारतीय टीम की नैया डूबाने वाले लुंगी एनगिदी और मोर्न मोर्कल एक बार उसके लिए जीत की राह बनाने उतरेंगे। टीम में संभवत: इस बार केशव महाराज को बाहर बैठाया जा सकता है और एक अतिरिक्त बल्लेबा़ज को मौका दिया जा सकता है। टीम में ए बी डीविलियर्स, डीन एल्गर, कप्तान फाफ डू प्लेसिस और क्विंटन डी काक की फिर अहम भूमिका होगा।

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