शराब की दुकानों से जुड़े सभी बार बंद करें : मद्रास उच्च न्यायालय
सभी बार को अगले छह महीने में बंद करने के निर्देश दिए
चेन्न्ई/दक्षिण्ा भारत/ मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) को राज्यभर में संचालित उसकी खुदरा दुकानों में मौजूद सभी बार को अगले छह महीने में बंद करने का निर्देश दिया है। यह फैसला शराब उपभोक्ताओं के अलावा इन मादक पेय पदार्थों की बिक्री से राज्य सरकार को होने वाले राजस्व को प्रभावित कर सकता है। तमिलनाडु में राज्य सरकार के स्वामित्व वाली टीएएसएमएसी साल 2003 से शराब की दुकानों का संचालन करती है। इससे पहले, राज्य में निजी फर्मों को शराब की दुकानें चलाने की अनुमति थी। हालांकि, ऐसी खुदरा दुकानों से जुड़े बार निजी कंपनियों द्वारा चलाए जाते हैं। शराब की थोक बिक्री भी टीएएसएमएसी के अधीन आती है। न्यायमूर्ति सी सरवानन ने बीते हफ्ते (31 जनवरी) दिए गए इस अहम फैसले में यह भी कहा कि सार्वजनिक स्थान पर नशे की हालत में पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को तमिलनाडु निषेध अधिनियम, 1937 के प्रावधानों के तहत दंडित किया जाना चाहिए। इस अधिनियम के तहत राज्य में शराब का सेवन केवल निजी स्थान या फिर घर पर ही करने की अनुमति है। अदालत ने कहा कि अगर टीएएसएमएसी को तथाकथित बारों में शराब की खपत को प्रोत्साहित करना जारी रखना है तो समाज में हुए बदलावों को ध्यान में रखते हुए और 2004 में उच्चतम न्यायालय द्वारा लिए गए निर्णय के आलोक में कानून में संशोधन करना होगा। न्यायमूर्ति सरवानन ने कहा कि बार चलाने का चलन 2003 से प्रचलन में है, जो 1937 के निषेध अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 47 (सार्वजनिक स्वास्थ्य से निपटने और निषेध लाने) के प्रावधानों के अनुसार नहीं है, हालांकि विधायिका कानून में बदलाव करने के लिए उपयुक्त विधेयक ला सकती है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक कानून में संशोधन नहीं किया जाता है और उचित नियम नहीं बनाए जाते हैं, जो 1937 के निषेध अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप हों, टीएएसएमएसी को याचिकाकर्ताओं व अन्य लोगों को स्नैक की बिक्री करने या इस्तेमाल की गई बोतलों को इकट्ठा करने का लाइसेंस/परमिट देने से बचना चाहिए। अदालत ने कहा कि लाभ कमाने के लिए वाणिज्यिक उपयोग का तर्क बार के संचालन को जायज नहीं ठहरा सकता।
न्यायाधीश ने 14 दिसंबर 2021 को टीएएसएमएसी द्वारा मंगाई गई निविदा को चुनौती देने वाली पूर्ववर्ती बार मालिकों की 250 से अधिक रिट याचिकाओं को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। निविदा में खुदरा दुकानों से जुड़े बार में भोजनालय चलाने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे।