भाजपा के साथ नहीं करेंगे गठबंधन और न ही कर रहे इसका समर्थन
भाजपा के साथ नहीं करेंगे गठबंधन और न ही कर रहे इसका समर्थन
चेन्नई। राज्य के मुख्यमंत्री ईडाप्पाडी के. पलानीस्वामी ने बुधवार को राज्य विधानसभा में कहा कि राज्य की सत्तारुढ अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम(अन्नाद्रमुक) पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी और न ही यह भाजपा का समर्थन कर रही है। मुख्यमंत्री ईडाप्पाडी के पलानीस्वामी ने बुधवार को विधानसभा पहुंचने के बाद पत्रकारों द्वारा तेलुगू देशम पार्टी(टीडीपी) के सांसद जयदेव गल्ला द्वारा अन्नाद्रमुक पर लगाए गए आरोपों के बारे में पूछे जाने पर यह बात कही। गल्ला ने राज्य अन्नाद्रमुक पर भाजपा के इशारों पर कार्य करने का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के बीच संबंध अच्छे होने का मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि हम भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक के सांसद संसद में कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को प्रमुखता के साथ उठा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नाद्रमुक टीडीपी द्वारा केन्द्र सरकार के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगी क्योंकि हम अपनी मांगों को लेकर दूसरे तरीकों से प्रयास कर रहे हैं। पलानीस्वामी ने कहा कि हम भाजपा के साथ गठबंधन के मुद्दे पर अभी भी पार्टी के उसी राय पर कायम है जो पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के शासनकाल के दौरान थी। पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने भाजपा के साथ गठबंधन नहीं किया था और हम भी ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक के सांसदों ने कावेरी प्रबंधन बोर्ड के मुद्दे को केन्द्रीय मंत्रियों के समक्ष उठाया है और उनके द्वारा हमारे सांसदों को इस बोर्ड का गठन करने के प्रति आश्वस्त किया है।पलानीस्वामी ने कहा कि हम केन्द्र सरकार की मदद से राज्य की कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को गति देने में सफल हुए हैं। राज्य में कई केन्द्रीय परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है। राज्य सरकार केन्द्र की कई योजनाओं को राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से पहुंचाने का कार्य कर रही है। इन परियोजनाओं को राज्य के लोगों के कल्याण के लिए बेहतर ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के बीच बेहतर समन्वय होना जरुरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार के खिलाफ बहुमत लाया भी जाता है तो इसके पूर्ण बहुमत में होने के कारण इसे कोई नुकसान नहीं होगा ऐसे में इस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का कोई औचित्य नहीं होगा।