राज्य में जाति के आधार पर न हो पुजारियों की नियुक्ति : स्टालिन

राज्य में जाति के आधार पर न हो पुजारियों की नियुक्ति : स्टालिन

चेन्नई। द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने राज्य सरकार से प़डोसी राज्य केरल से सीख लेकर मंदिरों में बिना जाति को आधार बनाए पुजारी नियुक्त करने की अपील की। उन्होंने जाति के स्थान पर व्यक्ति की योग्यता को प्राथमिकता देने की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी भी जाति के प्रशिक्षित लोगों को पुजारी नहीं बनाया तो द्रमुक आंदोलन करेगी। केरल ने कुछ दिन पहले ही ३६ गैर-ब्राह्मणों को मंदिरों में पुजारी के तौर पर नियुक्त किया है। स्टालिन ने कहा, ’’तमिलनाडु सरकार को प्रगतिशील बातों से सीखना चाहिए।’’ उन्होंने इस संदर्भ में अपनी पार्टी की कोशिशों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वर्ष २००६ में उनकी सरकार के दौरान इस मुद्दे पर एक कानून भी बनाया गया था। इस कानून को लेकर कुछ लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। न्यायालय ने तब कानून को वैध करार दिया था। उन्होंने राज्य की सत्तारुढ अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) पर आरोप लगाया कि वह कानून इसलिए लागू नहीं कर रही क्योंकि उसे द्रमुक लेकर आई थी। उन्होंने कहा कि सभी लोगों के लिए जाति से ऊपर उठकर बराबर मौके मिलना मूलभूत मानवाधिकार है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मंदिर की पद्धतियों का प्रशिक्षण लिया है उनकी नियुक्ति सामाजिक न्याय है। उन्होंने सरकार से इसे तुरंत लागू करने की अपील की। उल्लेखनीय है कि केरल देवास्वोम भर्ती बोर्ड ने पिछले हफ्ते त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के तहत आने वाले ३६ गैर-ब्राह्मणों की नियुक्ति की सिफारिश की थी। इसमें ६ दलित भी शामिल हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि पुजारी के पद पर अनुसूचित जाति के लोगों का चयन हुआ हो।

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