जल निकायों की जमीन के वाणिज्यिक प्रयोग के प्रस्ताव का पाटिल ने किया विरोध

जल निकायों की जमीन के वाणिज्यिक प्रयोग के प्रस्ताव का पाटिल ने किया विरोध

बेंगलूरु। लगातार तीन वर्षों से सूखे की मार झेल रहे राज्य के मंत्रियों और अधिकारियों के लिए यह कोशिश स्वाभाविक मानी जा सकती है कि वह शहरों और गांवों में भूमिगत पानी का स्तर बेहतर बनाने के लिए विभिन्न तरीकों को आजमाएं। वहीं, राज्य के राजस्व विभाग ने हाल में एक ऐसा प्रस्ताव सरकार को भेजा है, जिस पर सरकर के ही एक मंत्री ने आपत्ति दर्ज करवाई है। दरअसल राजस्व विभाग ने एक प्रस्ताव में सूखे प़डे तालाबों, झीलों, पोखरों की जमीन के वाणिज्यिक प्रयोग के लिए इन्हें गैर अधिसूचित करने की बात कही है। इस प्रस्ताव पर ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री एचके पाटिल ने आपत्ति दर्ज करवाते हुए कहा है कि लगातार सूखे के कारण पानी की किल्लत का सामना कर रहे राज्य में इन जल निकायों को नई जिंदगी देने की बात की जानी चाहिए। इन्हें हमेशा के लिए खत्म कर पेयजल की किल्लत को ब़ढाने का विचार पेश किया जाना चाहिए। पाटिल ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, ’’सूखे के हालात से जूझ रहे ग्रामीणों और छोटे आकार की खेती योग्य भूमि के मालिकों को इस प्रस्ताव से किसी प्रकार की मदद नहीं मिलेगी। जो तालाब, झील या पोखरे सूख चुके हैं, उन्हें भी दोबारा पानी से लबालब करने की कोशिश की जानी चाहिए, ताकि भूमिगत पानी का स्तर बेहतर स्थिति में आ सके। राजस्व विभाग के प्रस्ताव का मैं पूरी तरह से विरोध करता हूं्। मेरा विभाग पुराने जल निकायों को उनके पुराना स्वरूप देने का प्रयास कर रहा है। अगर हम ऐसा करने के स्थान पर इन निकायों की जमीन का प्रयोग वाणिज्यिक उद्देश्य से करने लगते हैं तो यह सही कदम नहीं होगा। इन जल निकायों को दोबारा जिंदा करना मौजूदा समय की मांग है, ताकि भूमिगत जलस्तर को वांछित स्तर तक लाया जा सके। इनकी जमीन का वाणिज्यिक प्रयोग का बहुत ही बुरा असर होगा।’’उल्लेखनीय है कि राज्य के सूखा प्रभावित जिलों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करवाने और खेती-किसानी के लिए छोटी-ब़डी सिंचाई परियोजनाएं विकसित करने की मांग करने वाले राजनेताओं में पाटिल हमेशा अग्रणी रहे हैं्। स्वाभाविक तौर पर राजस्व विभाग के प्रस्ताव से उन्हें निराशा हुई है। उन्होंने पत्रकारों के सामने अपना यह इरादा जताया कि वह राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव को हर हाल में रुकवाने का प्रयास करेंगे।

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