अलविदा 2019: इस साल कर्नाटक में फिर खिला भाजपा का कमल, चर्चा में रहीं ये घटनाएं
अलविदा 2019: इस साल कर्नाटक में फिर खिला भाजपा का कमल, चर्चा में रहीं ये घटनाएं
बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक में भाजपा का कमल मुरझाने के एक साल के भीतर ही 2019 में एक बार फिर खिल गया जब उसके कद्दावर नेता बीएस येडियुरप्पा ने कई दिनों तक चली राजनीतिक उठापटक के बाद दो साल में भगवा पार्टी की दूसरी बार सरकार बनाई। इस साल बेंगलूरु स्थित इसरो के चंद्रयान-2 मिशन के लगभग सफल होने, इंफोसिस विवाद और अरबपति उद्योगपति वीजी सिद्धार्थ समेत कई चर्चित हस्तियों की मौत की घटनाएं देशभर में चर्चा में रहीं।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की लहर के आगे पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को भी हार का स्वाद चखना पड़ा। भाजपा ने 28 सीटों में से विपक्ष के लिए केवल दो सीटें छोड़ीं। देवेगौड़ा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे, केएच मुनियप्पा और वीरप्पा मोइली को लोकसभा चुनाव में शिकस्त मिली। संसदीय चुनावों में हार के बाद आंतरिक मतभेदों के चलते राज्य की तत्कालीन जद (एस)-कांग्रेस सरकार गिर गई।गठबंधन सरकार का पहला विकेट चिंचोली से कांग्रेस विधायक उमेश जाधव के रूप में गिरा। उन्होंने भाजपा में शामिल होने के लिए मार्च में इस्तीफा दे दिया और गुलबर्ग से कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खरगे को हराकर लोकसभा सांसद बने। जुलाई में गठबंधन सरकार की परेशानियां तब बढ़ गई जब उसके 14 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और बाद में यह संख्या बढ़कर 17 हो गई।
इसके बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी विधानसभा में विश्वास मत हार गए जिसके साथ ही येडियुरप्पा सरकार का मार्ग प्रशस्त हो गया। येडियुरप्पा ने सदन में बहुमत साबित किया। हालांकि गठबंधन सरकार गिरने के जिम्मेदार 17 कांग्रेस-जद (एस) विधायकों को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने दलबदल रोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया। बहरहाल, अयोग्य करार दिए विधायकों ने इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी और उनमें से 13 ने सर्वोच्च अदालत की व्यवस्था के बाद भाजपा के टिकट पर, पांच दिसंबर को संपन्न उपचुनाव लड़ा।
इनमें से 11 की जीत के साथ ही येडियुरप्पा ने सरकार के टिके रहने के लिए आवश्यक बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। 2019 में बाढ़ ने राज्य में तबाही मचाई। इसके चलते 22 जिलों में करीब 100 लोगों की मौत हो गई और संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा।
राज्य में कांग्रेस के बड़े नेता डीके शिवकुमार और जी. परमेश्वर जैसे नेताओं के खिलाफ आयकर और प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई, फोन टैपिंग विवाद और इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान पर पाठों को हटाने को लेकर बहस ने भी राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी।
पेजावर मठ के प्रमुख विश्वेश तीर्थ स्वामीजी, 11 साल पुराने सिद्धगंगा मठ के प्रमुख शिवकुमार स्वामीजी, प्रख्यात नाटककार, अभिनेता और निर्देशक गिरीश कर्नाड की मौत और अरबपति कॉफी उद्यमी सिद्धार्थ की रहस्यमयी मौत ने राज्य में हजारों लोगों को शोकाकुल किया।
देश की सूचना प्रौद्योगिकी राजधानी माने जाने वाली बेंगलूरु में आईटी क्षेत्र की बड़ी कंपनी इंफोसिस को व्हिसल ब्लोअरों की कई शिकायतों का सामना करना पड़ा जिसमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख समेत उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगे। वहीं, विप्रो में उसके संस्थापक अजीम एच प्रेमजी कंपनी प्रमुख पद से सेवानिवृत्त हो गए और उन्होंने इसकी कमान अपने बेटे रिषद को सौंप दी।
बेंगलूरु स्थित मुख्यालय वाली अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने देश-विदेश के कई उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया लेकिन उसका महत्वाकांक्षी अभियान चंद्रयान-2 सफलता के बेहद करीब पहुंचकर अपने मकसद से दूर रह गया। लैंडर विक्रम का सात सितंबर को चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर पहले संपर्क टूट गया। बाद में विक्रम की खोज कर ली गई लेकिन यह पूरी तरह टूटा हुआ मिला।