उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के 10 बागी विधायकों को अध्यक्ष से मिलने की अनुमति दी, कहा-आज ही लें फैसला

उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के 10 बागी विधायकों को अध्यक्ष से मिलने की अनुमति दी, कहा-आज ही लें फैसला

अदालत.. प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक में कांग्रेस-जद (एस) के दस बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से शाम छह बजे मुलाकात करने और इस्तीफा देने के अपने निर्णय से अवगत कराने की अनुमति प्रदान कर दी।

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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष से कहा कि वह इन विधायकों के इस्तीफे के बारे में आज ही निर्णय लें। पीठ ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा लिए गए फैसले से शुक्रवार को अवगत कराया जाए जब न्यायालय इस मामले में आगे विचार करेगा।

शीर्ष अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि इन बागी विधायकों के मुंबई से बेंगलूरु पहुंचने पर इन्हें हवाईअड्डे से विधानसभा तक सुरक्षा प्रदान की जाए। इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ उन 10 विधायकों के मामले में आदेश पारित कर रही है जो हमारे सामने हैं, अन्य के लिए नहीं।

कर्नाटक विधानसभा के 13 सदस्यों – कांग्रेस के 10 और जद (एस) के तीन- ने छह जुलाई को सदन की सदस्यता से अपने-अपने त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को सौंपे थे। इसके साथ ही राज्य में कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार के लिए राजनीतिक संकट पैदा हो गया था।

शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले विधायकों में प्रताप गौडा पाटिल, बीसी पाटिल, बी बसवराज, रमेश जारकिहोली, ए शिवराम हब्बर, एसटी सोमशेखर, महेश कुमातल्ली, के गोपालैया, नारायण गौडा, अडगुर एच विश्वनाथ शामिल हैं।

इन विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा में विचित्र स्थिति है, जहां 15 विधायक इस्तीफा देना चाहते हैं लेकिन अध्यक्ष उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि छह जुलाई को जब कुछ बागी विधायक अपने त्यागपत्र देने गए तो अध्यक्ष पिछले दरवाजे से अपने कार्यालय से बाहर चले गए। उन्होंने कहा कि एक बागी विधायक से उस समय धक्कामुक्की की गई जब उसने बुधवार को अध्यक्ष के कार्यालय तक पहुंचने का प्रयास किया।

रोहतगी ने कहा कि राज्य विधानसभा का सत्र 12 जुलाई से शुरू हो रहा है लेकिन उससे पहले ही सत्तारूढ़ गठबंधन ने इन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए अध्यक्ष के समक्ष आवेदन दायर किया है।

उन्होंने कहा, सदन में बहुमत सिद्ध करने का आदेश देने की बजाय बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हम इस्तीफा देकर जनता के बीच जाकर फिर से चुनाव कराना चाहते हैं।

रोहतगी ने जब यह कहा कि 15 विधायक पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं तो पीठ ने कहा, हम सिर्फ उन्हीं 10 विधायकों के मामले का संज्ञान लेंगे जो हमारे सामने हैं। जब रोहतगी ने एक जुलाई से अभी तक के घटनाक्रम का जिक्र किया तो पीठ ने टिप्पणी की, हमें किसी बात से आश्चर्य नहीं होता है।

रोहतगी ने मई, 2018 की घटना का जिक्र किया जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद सरकार के गठन का मामला शीर्ष अदालत पहुंचा था। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी न्यायालय अध्यक्ष को सदन में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दे सकता है। उन्होंने कहा कि बेंगलूरु और मुंबई, जहां बागी विधायक टिके हैं, पूरी तरह से हंगामे की स्थिति है।

उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को देखते हुए बागी विधायकों के लिए मुंबई से बेंगलूरु जाने पर पूरी तरह पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता है।

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