कर्नाटक में टीपू जयंती पर बढ़ा विवाद, कई जगह विरोध प्रदर्शन
कर्नाटक में टीपू जयंती पर बढ़ा विवाद, कई जगह विरोध प्रदर्शन
बेंगलूरु। टीपू जयंती को लेकर शनिवार को कर्नाटक में काफी विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदेश में सत्तारूढ़ जनता दल (एस) और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार ने ऐलान किया था कि टीपू जयंती मनाई जाएगी। वहीं विपक्षी दल भाजपा सहित अनेक संगठनों ने इसका विरोध कर बंद का आह्वान किया। विवाद बढ़ता देख मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने खुद को इस आयोजन से अलग कर लिया। इसके पीछे सेहत संबंधी कारणों का हवाला दिया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी सूचना में बताया गया है कि कुमारस्वामी को चिकित्सकों ने तीन दिन आराम करने की सलाह दी है।
शनिवार सुबह ही प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और टीपू जयंती मनाने का तीखा विरोध करने लगे। विरोध प्रदर्शन की आशंका के मद्देनजर प्रशासन ने पहले से ही पुलिसबल तैनात कर रखा था। पुलिस ने भाजपा और विभिन्न संगठनों से जुड़े प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। भारी विरोध प्रदर्शन के कारण सड़कों पर वाहन भी कम नजर आए।कानून व्यवस्था बरकरार रखने के लिए मडिकेरी में भारी पुलिसबल तैनात किया गया। सुबह ही पुलिस के जवान सड़कों पर गश्त करते नजर आए। यहां भाजपा के अलावा कोडवा नेशनल काउंसिल की ओर से बंद का आह्वान किया गया, जिसका खासा असर दिखाई दिया। प्रदर्शनकारियों ने ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने टीपू जयंती मनाने के खिलाफ प्रदर्शन किया।
राज्य सरकार ने किसी भी किस्म के टकराव की स्थिति को टालने के लिए ऐहतियात के तौर पर प्रदेश के नौ जिलों में धारा 144 लागू कर दी। टीपू जयंती पर विरोध प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए यहां प्रशासन को अलर्ट किया गया था। ऐसे में आम जनजीवन की गतिविधियां ठप रहीं। हालात के मद्देनजर कर्नाटक के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बीजेड जमीर अहमद खान ने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरामैया से उनके आवास पर मुलाकात की।
Karnataka: Various groups protesting against #TipuJayanti celebrations in Madikeri offer prayers at Sri Omkareshwara Temple in the town. They will then carry out a procession against the celebrations, which are being observed in the state today. pic.twitter.com/mOso1uvtN7
— ANI (@ANI) November 10, 2018
काला दिवस मनाने का आह्वान
टीपू सुल्तान जयंती मनाने के लिए उसके समर्थकों ने बेंगलूरु स्थित महल के सामने प्रदर्शन किया। उन्होंने जयंती मनाने का समर्थन किया। इस दौरान एक बच्चे को भी टीपू की वेशभूषा में सजाकर खड़ा किया गया था। वहीं भाजपा सांसद प्रह्लाद जोशी के नेतृत्व में हुबली में विरोध प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं को पुलिस ने रोका। पुलिस ने भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया है। कोडागू, विराजपत और विभिन्न इलाकों में बंद का काफी असर रहा।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंड्या में विरोधस्वरूप काला दिवस मनाने का ऐलान किया था। कोडागू में भी भारी विरोध प्रदर्शन हुए। यहां भाजपा विधायक केजी बोपैया हिरासत में लिए गए। राज्य सरकार के मंत्री बी. काशेमपुर ने कहा था कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने टीपू जयंती मनाने के लिए पूरे अधिकार दिए हैं। उन्होंने बीदर में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के मंत्री वेंकटराव नाडागौड़ा राजधानी में मुख्यमंत्री के स्थान पर कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
Madikeri: Security has been tightened in Madikeri in the light of a shutdown called in the town against #TipuJayanti celebrations being observed today. The shutdown has been called by various organisations, including BJP and Codava National Council. #Karnataka pic.twitter.com/AjPIIAzUiN
— ANI (@ANI) November 10, 2018
ट्वीट कर लगाए आरोप
कर्नाटक भाजपा ने ट्वीट कर कांग्रेस पर कई आरोप लगाए। पार्टी ने कांग्रेस और टीपू में कथित समानताओं का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि ये हिंदू विरोधी हैं। भाजपा ने कहा है कि दोनों अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण से जुड़े हैं और इन्होंने हिंदुओं को बांटा है। भाजपा ने टीपू को आततायी बताकर कहा है कि उसे कांग्रेस द्वारा टीपू की उपासना पर कोई आश्चर्य नहीं है।
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने टीपू को एक अत्याचारी बताया और कहा कि उसकी जयंती मनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। हेगड़े ने उसे हिंदू विरोधी करार दिया है। वहीं मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि जो व्यक्ति कार्यक्रम में बाधा डालेगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। प्रदेश के गृहमंत्री जी परमेश्वरा ने बताया कि सुरक्षा के लिए आरएएफ जवानों को तैनात किया गया है। बता दें कि 10 नवंबर, 1750 को जन्मा टीपू सुल्तान एक विवादित शासक रहा है। उसके प्रशंसक 10 नवंबर को जयंती मनाते हैं। वहीं उसके आलोचक उसे एक निरंकुश शासक बताकर ऐसे आयोजन का विरोध करते हैं।