भाजपा के सर्वाेच्च निर्णायक निकाय की सेवा करना सम्मान की बातः येडियुरप्पा
येडियुरप्पा के कार्यालय के अनुसार, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की और उन्हें धन्यवाद दिया
बेंगलूरु/भाषा। संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल किए जाने पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व को धन्यवाद देते हुए कहा कि पार्टी के निर्णय लेने वाले सर्वाेच्च निकाय की सेवा करना एक सम्मान की बात है।
येडियुरप्पा के कार्यालय के अनुसार, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की और उन्हें धन्यवाद दिया। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने येडियुरप्पा से कहा कि पार्टी को मजबूत करने और इसे न केवल कर्नाटक, बल्कि पूरे दक्षिण भारत में सत्ता में लाने के लिए उनकी सेवाओं की आवश्यकता है।येदियुरप्पा ने ट्वीट किया, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और अमित शाह को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे भाजपा के संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में सेवा करने का अवसर दिया। पार्टी के निर्णय लेने वाले सर्वाेच्च निकाय में सेवा करना सम्मान की बात है।’
पार्टी हलकों में कई लोगों को लगता है कि यह भाजपा नेतृत्व द्वारा यह संदेश देने का एक प्रयास है कि वह अब भी अनुभवी नेताओं का बहुत सम्मान करती है और उनके अनुभव और सलाह का उपयोग करने के लिए उत्सुक है।
हालांकि कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा लिंगायत नेता को दरकिनार कर रही है। पार्टी नेतृत्व का यह कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि येडियुरप्पा ने हाल ही में चुनावी राजनीति में अपनी पारी के अंत का संकेत देते हुए कहा था कि अगर पार्टी उन्हें 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव मैदान में उतारती है, तो वह बेटे बीवाई विजयेंद्र के लिए अपनी शिकारीपुरा विधानसभा सीट खाली कर देंगे।
चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस महीने की शुरुआत में राज्य के दौरे के दौरान येडियुरप्पा से मुलाकात की थी और कहा जाता है कि उन्होंने इस संबंध में चर्चा की थी।
सूत्रों ने कहा कि नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहता था कि येडियुरप्पा खुद को दरकिनार महसूस न करें, क्योंकि अनुभवी नेता के निष्क्रिय रहने से इसे चुनाव में पार्टी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का डर था।
भाजपा ने बुधवार को एक बड़े फेरबदल में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने संसदीय बोर्ड से हटा दिया। येदियुरप्पा और इकबाल सिंह लालपुरा सहित (पहले सिख प्रतिनिधि) छह नए सदस्यों को इसमें लाया गया है।