वह शख्स जिसने पाकिस्तान बनने से पहले कर दी थी टूटने की भविष्यवाणी, जो सच हुई!
वह शख्स जिसने पाकिस्तान बनने से पहले कर दी थी टूटने की भविष्यवाणी, जो सच हुई!
.. राजीव शर्मा ..
नई दिल्ली। पाकिस्तान बनने के कई कारण गिनाए जा सकते हैं और उसके टूटने के भी। आजादी का साल करीब आने से पहले ही पाकिस्तान की चर्चा होने लगी थी। तब देश में भयंकर दंगे हुए, लाखों लोग मारे गए। उस समय जिन्ना ने पूरे भारत में जो हालात पैदा किए, वह सिर्फ नया देश बनाने के लिए नहीं थे। उनका इरादा भारत को पूरी तरह खंडित, कमजोर और घायल करने का था। उस दौर के कई बड़े मुस्लिम नेता, कारोबारी, सैनिक जिन्ना के दिखाए सब्जबाग के लालच में पाकिस्तान चले गए। उन्हें उम्मीद थी कि पाकिस्तान में हर तरह का आराम होगा, चारों ओर सुकून होगा, खुशहाली की लहर चलेगी, लेकिन आज का पाकिस्तान देख हर कोई कह सकता है कि वो उम्मीदें धराशायी हो गईं।क्या कहा था मौलाना आज़ाद ने?
पाकिस्तान बनने से पहले ही मौलाना आज़ाद ने उसके बारे में जो भविष्यवाणी की, वह एक दिन हूबहू सच साबित हुई। आज उसे पढ़कर महसूस होता है कि उन्होंने पाकिस्तान के भविष्य की वह तस्वीर देख ली जो न तो जिन्ना देख पाए, न वहां के फौजी तानाशाह और न ही वो लाखों लोग जिन्होंने पाकिस्तान की मांग की थी। उस समय के पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के हालात तो आज ऐसे हैं कि लोग रात के अंधेरे में अपना बोरिया-बिस्तर उठाकर दोबारा भारत आ रहे हैं। भले ही इसके लिए घुसपैठ करनी पड़े। इस तरह जिन्ना का पाकिस्तान फॉर्मूला पूरी तरह फेल हो गया।
वर्ष 1946 में दिल्ली में भाषण देते हुए मौलाना आज़ाद ने कहा था कि नफरत की बुनियाद पर बनने वाला पाकिस्तान तब तक ही कायम रहेगा, जब तक कि नफरत रहेगी। जैसे ही नफरत कम होगी, यह बिखरने लगा। आखिरकार यही हुआ। 1971 में पाकिस्तान टूट गया। उन्होंने कहा था कि यह देश एकजुट होकर नहीं रह पाएगा। आज यह बात पूरी तरह सच साबित हो चुकी है। वहां भले ही ज्यादातर लोग एक धर्म को मानने वाले हों, लेकिन उनके बीच नफरत बहुत गहरी है।
निर्माण के साथ विध्वंस के बीज
मौलाना आज़ाद ने कहा था कि वहां राजनीतिक नेतृत्व नाकाम होगा और सेना का शासन चलेगा। इससे तो कोई इनकार ही नहीं कर सकता, क्योंकि पाकिस्तान में जब-तब लोकतंत्र फौजी बूटों के तले रौंदा गया है। वहां के कई प्रधानमंत्रियों, राजनेताओं को फौज ने ही मार दिया। मौलाना आज़ाद ने कहा था कि वह देश भारी कर्ज से दबा होगा। अमीर वर्ग राष्ट्रीय संपदा का दोहन करेगा और अंतरराष्ट्रीय ताकतें उसका फायदा उठाकर प्रभुत्व जमाना चाहेंगी।
ये सब चीजें पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के साथ ही लागू हो गईं। पाकिस्तान को अपने दैनिक खर्चों के लिए भारी कर्ज लेना पड़ता है। कई बार हालात कंगाली के कगार तक पहुंच चुके हैं। अमेरिका और चीन में उस पर आधिपत्य जमाने की होड़ मची है। आज के पाकिस्तान को देख यह कहना पूरी तरह सच होगा कि इसके निर्माण के साथ ही विध्वंस के बीज बो दिए गए थे।