शासन का काम अदालतों का नहीं, निर्वाचित सरकारों का है : रविशंकर
शासन का काम अदालतों का नहीं, निर्वाचित सरकारों का है : रविशंकर
नई दिल्ली। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने न्यायापालिका को विधायिका के काम में हस्तक्षेप न करने की सलाह देते हुए शुक्रवार को कहा कि शासन का काम निर्वाचित सरकारों का है। प्रसाद ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से यहां आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान में शासन व्यवस्था का ढांचा स्पष्ट रूप से परिभाषित है। इसमें हर अंग के अधिकार निर्धारित हैं और उसके लिए उसकी जवाबदेही भी है। न्यायपालिका को असंवैधानिक और मनमाने कानूनों को निरस्त करने का अधिकार है। ग़डब़ड करने वाले राजनेताओं को अयोग्य ठहराने का अधिकार है लेकिन शासन करने और कानून बनाने का काम उन लोगों पर छो़ड दिया जाना चाहिए जिन्हें जनता ने इसके लिए चुना है। यह काम निर्वाचित सरकारों का है। उन्होंने कहा कि वह लोकतंत्र को मजबूत बनाने वाली न्यायपालिका का पूरा सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें यह बात इसलिए कहनी प़ड रही है क्योंकि हाल के दिनों में कुछ अदालतों में शासन का काम अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति देखी गई है जिसपर विचार करने की जरूरत है। प्रसाद ने कहा कि शासन के साथ जवाबदेही भी होती है। आप शासन करें लेकिन आपकी जवाबदेही न हो, यह नहीं चल सकता। संसद, विधानसभाएं और मीडिया सरकार को जवाबदेह बनाते हैं। प्रसाद ने जवाबदेही, पारदर्शिता और जनभागीदारी को सुशासन का आधार बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ने डिजिटल व्यवस्था से शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित की है। इस सिलसिले में उन्होंने जनधन खाते और उन्हें आधार से जो़डने, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और डिजिटल लेनदेन जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इनसे २़ ७५ करो़ड फर्जी गैस और तीन करो़ड फर्जी राशन कार्ड का पता लगाया गया तथा ५८ हजार करो़ड रूपए बचाए गए जो बिचौलियों के पास जाता था। प्रसाद ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया चलता है लेकिन अंतिम व्यक्ति तक मात्र १५ पैसा पहुंचता है लेकिन मोदी सरकार की डिजिटल व्यवस्था में अब दिल्ली से यदि एक हजार रुपए जारी होता है तो अंतिम व्यक्ति तक पूरा पैसा पहुंचता है। उन्होंने कहा कि आज रोजाना चार करो़ड डिजिटल लेनदेन हो रहा है और पांच से छह वर्षों में देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था एक हजार अरब डॉलर की हो जाएगी।पूर्व प्रधानमंऋी राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया चलता है लेकिन अंतिम व्यक्ति तक मात्र 15 पैसा पहुंचता है लेकिन मोदी सरकार की डिजिटल व्यवस्था में अब दिल्ली से यदि एक हजार रुपए जारी होता है तो अंतिम व्यक्ति तक पूरा पैसा पहुंचता है।