प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौत भारत में

प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौत भारत में

नई दिल्ली। प्रदूषण से जु़डी बीमारियों से वर्ष २०१५ में दुनिया में सबसे ज्यादा २५ लाख लोगों की असामयिक मौत भारत में हुई। स्वास्थ्य जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष २०१५ में भारत में एचआईवी, तपेदिक और मलेरिया से जितने लोग मरे उनसे कहीं ज्यादा लोगों की मौत प्रदूषण जनित रोगों के कारण हुई है। पूरी दुनिया में वर्ष २०१५ में प्रदूषण जनित रोगों से हुई कुल ९० लाख मौतों में २८ प्रतिशत भारत में हुई। देश १८ लाख १० हजार लोग वायु प्रदूषण और छह लाख ४० हजार लोग जल प्रदूषण जनित बीमारियों के कारण जान गंवा बैठे। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष २०१५ में प्रदूषण का सबसे ज्यादा ९२ प्रतिशत शिकार निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लोग बने। खास तौर पर औद्योगिक रूप से तेजी से आगे ब़ढ रहे भारत, चीन, पाकिस्तान, मेडागास्कर और केन्या में प्रदूषण से होने वाली मौत की संख्या बहुत ज्यादा रही। प्रदूषण से होने वाले गैर-संचारी रोगों में दिल की बीमारी, फेफ़डों में संक्रमण और कैंसर जैसी बीमारियों का बहुत प्रकोप रहा। लैंसेट की यह रिपोर्ट दो वर्ष तक किए गए उस अध्ययन का नतीजा है जिसमें स्वास्थ्य और पर्यावरण से जु़डे ४० से अधिक विशेषज्ञों और लेखकों को शामिल किया गया था। इनमें पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर मुकेश खरे भी शामिल थे।उच्चतम न्यायालय के एनसीआर क्षेत्र में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद ब़डे पैमाने पर पटाखे चलाए जाने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण स्तर देर रात तक खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था जो सुरक्षित सीमा से पांच गुना अधिक था। वायु गुणवत्ता मोबाइल एप ब्ल्यू एयर फ्रेंड एप की ओर से कराए गए एक सर्वे में कहा गया है कि आनंद विहार इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ५५३ था। यह सुरक्षित सीमा ५१-१०० के मुकाबले पांच गुना अधिक था। वायु गुणवत्ता सूचकांक जब ०-५० होता है तो इसे अच्छा माना जाता है। ५१ से १०० के बीच संतोषजनक, १०१ से २०० के बीच मध्यम, २०१ से ३०० के बीच खराब, ३०१से ४०० के बीच बहुत खराब जबकि ४०१ से ऊपर गंभीरत स्थिति मानी जाती है। इसके अनुसार पश्चिम विहार, आर के पुरम, फरीदाबाद तथा द्वारका इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमश: ३६५, २८६, ४०६ तथा २५४ था। सर्वेक्षण में कहा गया है कि दीपों का यह त्यौहार दमा और श्वसन सबंधी अन्य बीमारियों से पीि़डत लोगों के लिए सबसे खराब समय होता है क्योंकि शहर में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है।भारत में पर्यावरण प्रदूषणों में से वायु प्रदूषण सबसे घातक रहा है। वर्ष २०१५ में इससे १८ लाख लोगों की मौत हुई जबकि छह लाख ४० हजार जल प्रदूषण से, एक लाख ७० हजार कार्यस्थलों में होने वाले प्रदूषणों की चपेट में आने तथा ९५ हजार लोग सीसे से जु़डे प्रदूषणों से मारे गए। वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में भारत के बाद चीन का स्थान रहा जहां १५ लाख ८० हजार लोग वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से असामयिक मौत मरे। रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि आज के समय दुनिया में सबसे ज्यादा बीमारियां पर्यावरण प्रदूषण की वजह से हो रही हैं। मलेरिया, एड्स और तपेदिक से हर साल जितने लोग मरते हैं उससे तिगुने लोग प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण सांस लेने वाली हवा और जल स्रोतों के साथ जमीन की मिट्टी तक प्रदूषित हो जाती है जिससे मानव शरीर में कई तरह के संक्रमणों का खतरा पैदा हो जाता है।

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