आप बनें रोलमॉडल
आप बनें रोलमॉडल
श्रीकांत पाराशर
संपादक, दक्षिण भारत
कौन बन सकता है रोलमॉडलः
सबसे पहली बात है रोलमॉडल वही बन सकता है जो अपने अंदर दूसरों का रोलमॉडल बनने की चाहत पैदा करे। यदि मन में चाहत की चिनगारी नहीं सुलगेगी तो वह कुछ खास करने के लिए आग नहीं बनेगी, संकल्प का रूप धारण नहीं करेगी। बिना संकल्प के कोई लक्ष्य कभी हासिल नहीं किया जा सकता। रोलमॉडल वही बनता है जिसे देखकर कोई अपने भी जीवन के सपने संजोये और उसके मन में उसके( जिसे देखकर प्रभावित हो) जैसा बनने की ललक पैदा हो, उसका अनुसरण करने को जी ललचाए। किसी व्यक्ति में ऐसे विशेष गुणों का समावेश हो कि आप उसकी ओर खिंचे चले जाएं, आपको लगे कि यह व्यक्ति दूसरों से हटकर है, इसमें जो खासियतें हैं वह दूसरों में नहीं हैं, इसमें जो क्षमताएं हैं वह अन्यत्र आपको दिखाई नहीं दे रही हैं और यह व्यक्ति आपको सही रास्ता दिखा सकता है, यह विश्वास पैदा हो जाता है और आप स्वयं उसके जैसा बनने को आतुर हो उठते हैं तो समझिए वह आपका रोलमॉडल बनने योग्य है, आप उसका अनुसरण करने को तैयार हैं।
आज की युवा पीढी के रोलमॉडलः
आज की युवा पीढी फिल्म स्टारों, खिलाड़ियों, बड़े धनपतियों, राजनेताओं में अपना रोल माडल खोजती है क्योंकि वह इनकी कुछ विशिष्टताओं से आकर्षित होती है। उनकी लोकप्रियता, उनकी चकाचौंध भरी लाइफस्टाइल गहराई तक आकृष्ट करती है। युवा पीढी उनकी सुख सुविधाओं से इतना प्रभावित होती है कि वह बस उनका अनुसरण करने का मन बना लेती है और उसी अनुरूप सपने देखने लगती है। इन सेलिब्रिटीज की ओर युवाओं का आकर्षित होना गलत भी नहीं है क्योंकि जो दिखता है, वह बिकता है। इन सबके जीवन में जो सामने दिखाई देता है वह बहुत आकर्षक है और सोसाइटी में उन्हें एक विशेष अहमियत मिलती है तो फिर कोई युवा वैसा बनने का लक्ष्य क्यों न बनाए? आज हमारी शिक्षा व्यवस्था भी ऐसी है जिसमें महापुरुषों की जीवनगाथाएं या तो पढाई ही नहीं जातीं, या फिर वह कष्टों और संघर्षों भरी होती हैं। वीर पुरुषों, देशभक्तों की जीवनी में उन्हें समाज, राष्ट्र, संस्कृति की रक्षा के लिए प्रताड़नाओं से जूझते हुए अंत में प्राण त्यागते हुए दिखाया जाता है तो आज का युवा दिलोजान से उस जीवन की ओर आकर्षित नहीं होता बल्कि वह रोमांस और रोमांच वाली जीवनशैली को चुनता है जिसमें पैसा भी है, प्रतिष्ठा भी है, रुतबा भी है, सब कुछ है। अब सिनेमा, खेल आदि आकर्षक जीवनशैली में राजनीति ने भी जगह बना ली है। अब युवा राजनीति में भी रोलमॉडल ढूंढने लगे हैं। इसमें अनुचित कुछ नहीं है, बशर्ते चयन में समझदारी बरती जाए।
प्रेरित करने की क्षमता होः
अमेरिका के छठे राष्ट्रपति रहे जोन क्विंसी एड्मस ने कहा, “अगर आपके प्रयास दूसरों को ज्यादा सपने देखने, ज्यादा सीखने और ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित करें तो आप में नेतृत्व क्षमता है, आप किसी के भी जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर उसकी प्रगति में भागीदार बन सकते हैं।” कोई नेतृत्व तभी कर सकता है जब लोग उसकी बातों से, उसकी कार्यशैली से इतने प्रेरित हो जाएं कि उसमें उनका विश्वास दृढ हो जाए कि यह व्यक्ति जो सपने दिखा रहा है, उनको पूरा करने में हमारी मदद कर सकेगा, हमारा हाथ थामे रहेगा। ऐसा होने पर कोई भी उसके पीछे बिना किसी लोभ लालच के, बिना किसी भय अथवा अभिलाषा के चलने को तैयार रहेगा। ऐसा रोलमॉडल व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से प्रेरणादायक हो सकता है। अगर एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को यह विश्वास हो जाए कि फलां व्यक्ति उनकी समस्या के निवारण की क्षमता रखता है और वह उनके नेतृत्व के काबिल है, तो वह उसे अपना रोलमॉडल चुन लेते हैं।
समझ और साहस का हो सामंजस्यः
नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा था, नायक वह होता है जिसे इस बात पर भरोसा हो कि हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली है, हमारी यात्रा कितनी भी कष्टदायी है फिर भी हमें आगे बढना है। सफलता का दिन दूर हो सकता है परंतु उसका मिलना निश्चित है। इस सोच के साथ कठिन राह पर अपने लक्ष्य की ओर बढने का साहस रखने वाले ही नेतृत्व कर सकते हैं, रोलमॉडल बन सकते हैं। नेतृत्वकर्ता में अपनी सफलता या असफलता की जिम्मेदारी उठाने का साहस होना चाहिए और असफलता मिलने पर फिर नए सिरे से लक्ष्य की ओर बढने का जज्बा होना चाहिए। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था, “हमेशा सपने देखो, सपने विचारों में बदलते हैं और विचार फिर क्रियाओं में।” यदि सपने ही न हों तो पहुंचना कहां है, इसका प्रयास कैसे होगा? जब सपने देखें जाएं तो लक्ष्य तय करने में आसानी होती है और जब लक्ष्य तय किया जाए तो उसके क्रियान्वयन में समझ की भी जरूरत होती है। समझ और साहस का सामंजस्य ठीक से हो तो सफलता हासिल करने में बाधाएं कम आती हैं। यह सब जानते हैं कि ऊर्जा हर व्यक्ति में विद्यमान होती है और एक समय ऐसा आता है जब वह उछाल मारती है। ऐसे समय में यदि ऊर्जा का सही इस्तेमाल हो तो वह व्यक्ति नेतृत्व करने के योग्य बन जाता है क्योंकि सही और गलत का फैसला करने में उसकी समझ मदद करती है। साधारण से साधारण व्यक्ति अपनी समझ का इस्तेमाल कर असाधारण कार्य कर असाधारण व्यक्तित्व का धनी बन जाता है।
आलोचनाओं की परवाह नहीं करतेः
जो रोलमॉडल बनते हैं वे कभी आलोचनाओं की परवाह नहीं करते। अमेरिका के बड़े उद्योगपति और अमेजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस ने कहा, “अगर आप नहीं चाहते कि लोग आपकी आलोचना करें, तो कभी भी कुछ नया मत कीजिए।” मतलब साफ है कि जो व्यक्ति नया रास्ता बनाएगा उसकी आलोचना भी होगी। और आलोचना वही करेंगे जो पहले से बने रास्तों पर चलने के आदी हो गए हैं, जो प्रयोगों से घबराते हैं, जो कुछ हटकर करने का साहस नहीं करते। जो जोखिम उठाना नहीं जानते उनसे कुछ नए की उम्मीद करना बेवकूफी कहलाता है। आलोचनाओं की परवाह किए बगैर जो दृढ इच्छाशक्ति के साथ अपने तय लक्ष्य की ओर आगे बढते हैं वे रोलमॉडल बनने योग्य होते हैं। जो केवल अनुकूल वक्त आने का इंतजार करते हैं वे वक्त के इंतजार में ही जिंदगी पूरी कर लेते हैं।
हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि आपदा में से अवसर निकालने की समझ विकसित करनी चाहिए। विषम परिस्थितियों को कैसे अनुकूलता में बदला जाए, जिन्हें यह समझ होती है, वे सफलता के उतने ही ज्यादा, उतनी ही जल्दी नजदीक पहुंच जाते हैं। अग्रणी उद्योगपति रतन टाटा का एक कथन है, “उन सारे पत्थरों को अपने पास रख लें, जो लोग आप पर फैंकते हैं और उन पत्थरों का प्रयोग स्मारक बनाने में करें।” इस कथन से यही संदेश मिलता है कि आलोचनाओं की परवाह किए बगैर अपने लक्ष्य की ओर दृढता से आगे बढना चाहिए तथा आलोचनाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। जो लोग आलोचनाओं से निपटने में अपना समय और माथा नहीं खपाते, वही नायक बनने योग्य होते हैं, नेतृत्वकर्ता होते हैं।
वर्तमान पर केंद्रित हो पूरी ऊर्जाः
भगवान गौतम बुद्ध ने कहा, “जो समय बीत गया है उसके बारे में मत सोचो, जो समय आने वाला है उसकी भी चिंता मत करो, जो समय चल रहा है, उस पर सबसे ज्यादा ध्यान और ऊर्जा केंद्रित करो।” बात बिल्कुल दमदार है।सही वक्त आने का इंतजार करने में वक्त गंवा दिया या जो बीत गया उसकी लाभ हानि के लिए अपनी छाती पीटते रहे तो वर्तमान भी चला जाएगा। इसलिए जो यह समझकर चलेगा कि वर्तमान ही सर्वशक्तिमान है, वही सफलता को चरण चूमने के लिए बाध्य कर पायेगा। बैठे रहने के बजाय आगे बढिए, रास्ता सूझता जाएगा। सुप्रसिद्ध फाइनेंसर जेपी मोरगन ने कहा, इस समय जहां तक आपको दिख रहा है वहां पहुंच जाइए। जब आप वहां पहुंच जाएंगे तो आप और आगे देख पायेंगे।
नेतृत्व करने का बीड़ा उठायेंः
जानीमानी कवयित्री, एक्टिविस्ट रहीं माया एंजेलो कहती हैं, “आपने क्या कहा यह लोग भूल जाएंगे। आपने क्या किया यह भी भूल जाएंगे लेकिन आपने लोगों को कैसा महसूस कराया, यह कभी नहीं भूलेंगे।” इसलिए स्वयं के लिए, समाज और राष्ट्र के लिए कुछ करना है तो स्वयं रोलमॉडल बनने का प्रयास करें। आप किसी का अनुसरण करने के लिए इंतजार की पंक्ति में खड़े होने के बजाय खुद नेतृत्व करने का बीड़ा उठायें ताकि जहां भी, जो भी परिवर्तन लाने का आपके मन में विचार हो, वह आप कर सकें। यह कभी न भूलें कि हमारे सपनों, हमारी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का दायित्व केवल हमारा है। जिस दिन इस यथार्थ को जान लेंगे और साहस के साथ जोखिम उठाते हुए लक्ष्य की ओर संकल्प से बढ चलेंगे, भले ही कितना ही संघर्ष करना पड़े, तो आप खुद के लिए और दूसरों के लिए स्वतः ही रोलमॉडल बन जाएंगे। सामान्यतया लोग वही करते हैं जो देखते हैं और जिसे सफलतापूर्वक अपने सपनों को साकार करते हुए कोई दिखता है तो वह उसके भी सपनों को उम्मीद प्रदान करता है। उसमें उसे अपना रोलमॉडल दिखाई देने लगता है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बात कही थी, यदि हम किसी और व्यक्ति की प्रतीक्षा करते हैं तो परिवर्तन नहीं आयेगा। हम वही हैं जिसका हम इंतजार कर रहे हैं। जो परिवर्तन हम चाहते हैं, वह हम ही ला सकते हैं। इसका तात्पर्य यही है कि अपने आप में, सोसाइटी में, राष्ट्र में जो भी परिवर्तन हम चाहते हैं उसके लिए किसी की प्रतीक्षा करने के बजाय खुद को उस काम में जुट जाना चाहिए।
समय और परिस्थितियों के अनुसार अपनी समझ के साथ निर्णय लेकर दृढ इच्छाशक्ति से आगे बढने को आमादा हो, बाधाओं से टकराने का माद्दा रखता हो वह व्यक्ति समाज में भी एक आस जगाता है। समाज को भी लगता है कि वह उनकी छोटी बड़ी समस्याओं का निराकरण कर सकेगा, संकट में उनका साथ देगा और समाज उससे प्रेरित होता है, उसे अपना नेतृत्व सौंपता है, लोग उसमें अपना रोलमॉडल ढूंढते हैं। इसलिए रोलमॉडल वही बन सकता है जिसमें समझ, साहस, इच्छाशक्ति, लक्ष्य पाने की लगन, काम के प्रति निष्ठा और परिस्थितियों के साथ समय का सामंजस्य बैठाने की क्षमता हो। ऐसा व्यक्ति नेतृत्व के काबिल होता है और जो काबिल हो, सफल हो उसी को लोग अपना रोलमॉडल बनाते हैं।