आदिवासी युवाओं के सपनों को शिक्षा और हुनर के पंख देता केआईएसएस
आदिवासी युवाओं के सपनों को शिक्षा और हुनर के पंख देता केआईएसएस
भुवनेश्वर/दक्षिण भारत। बहुत से लोगों के पास विचार होते हैं, लेकिन वास्तव में कुछ ही उन्हें कार्यों में बदलकर बड़ा सामाजिक परिवर्तन ला पाते हैं। उनमें से भी, केवल मुट्ठीभर लोग इन समस्याओं का जमीनी स्तर पर सामना कर सकते हैं और सफल समाधान दे सकते हैं। प्रोफेसर अच्युत सामंत अपनी संस्था कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) के माध्यम से यह उपलब्धि हासिल करने वाले व्यक्ति हैं।
साल 1992-93 में स्थापित, जब ओडिशा आदिवासी लोगों के लिए न्यूनतम आर्थिक अवसरों की भूमि था, केआईएसएस आदिवासी युवाओं को शिक्षित करने के लिए सर्वोत्तम संभव बुनियादी सुविधाओं के साथ एक संस्था के रूप में स्थापित किया गया। यह सब स्थानीय समुदाय में सकारात्मक परिवर्तन, उनके लिए सामाजिक-आर्थिक लाभ, अपनी प्राचीन विरासत और संस्कृति का संरक्षण करते हुए किया गया।गरीबी से मुक्ति, भूख की समस्या का समाधान, अशिक्षा और खराब स्वास्थ्य स्थिति एवं सामाजिक उत्थान — ये केआईएसएस की स्थापना को लेकर प्रो. सामंत के प्रमुख उद्देश्य थे।
केआईएसएस आदिवासी विद्यार्थियों को निशुल्क आवास, बोर्डिंग, केजी से पीजी तक समग्र शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, ‘सीखते हुए कमाओ’ सुविधा, जीवन-कौशल प्रशिक्षण, खेल प्रशिक्षण और अनेक सुविधाएं प्रदान करता है।
कुछ सौ आदिवासी बच्चों के लिए छोटे स्कूल के रूप में शुरू हुआ संस्थान विशाल परिसर में फैला हुआ और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ विकसित हुआ है, जिसमें पूरे ओडिशा से 60,000 से अधिक आदिवासी विद्यार्थियों को निवास, भोजन जैसी सुविधाओं के साथ शिक्षा दी जाती है।
आज केआईएसएस में 3,000 से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारी हैं जो आदिवासी विद्यार्थियों को मदद और मार्गदर्शन देने के लिए निरंतर काम में जुटे रहते हैं। इन वर्षों में केआईएसएस के कई विद्यार्थियों ने शिक्षा और खेल गतिविधियों में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। कई प्रख्यात ओलंपियन्स और खिलाड़ियों का ताल्लुक केआईएसएस से रहा है।
केआईएसएस के बच्चे शिक्षित और आधुनिक हैं जो अपने ज्ञान का उपयोग जीवन में बेहतर बदलाव लाने के लिए कर रहे हैं। चाहे वह बेहतर स्वच्छता हो या बाल विवाह से इन्कार अथवा वामपंथी उग्रवाद से दूरी।
बच्चों के माता-पिता भी उनके भविष्य निर्माण के कार्य में शामिल हैं, चूंकि केआईएसएस अपने विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण निशुल्क शिक्षा प्रदान करता है, तो यह माता-पिता को अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
केआईएसएस यह भी सुनिश्चित करता है कि प्रगति की राह में आदिवासी लड़कियां पीछे न रह जाएं। इसी का परिणाम है कि अब केआईएसएस में 60 प्रतिशत विद्यार्थी लड़कियां हैं, जो भेदभाव को पीछे छोड़ते हुए अपनी योग्यता के आधार पर सरकारी या कॉर्पोरेट नौकरियों में आवेदन कर रही हैं।
उनका बढ़ा हुआ ज्ञान उन्हें अपनी संस्कृति के बारे में और जानने के लिए एवं उसके संरक्षण के लिए कदम उठाने को करता है। ओडिशा जहां लगभग 25 प्रतिशत आबादी आदिवासी है, केआईएसएस ने यह सुनिश्चित करते हुए प्रमुख छाप छोड़ी है कि युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए ताकि वे अपने ज्ञान का उपयोग अर्थव्यवस्था में योगदान करने के लिए कर सकें।
केआईएसएस में प्रो. सामंत के इस कार्य ने उन्हें वैश्विक पहचान दी है, इसलिए कई राजनेता, शिक्षाविद्, दिग्गज सामाजिक कार्यकर्ता और यहां तक कि नोबेल पुरस्कार विजेता भी यहां का दौरा करते रहते हैं। इसमें विश्व निकाय जैसे यूएनडीपी, यूएनएफपीए, यूनेस्को, यूएस-इंग्लिश एक्सेस, एफएक्सबी इंटरनेशनल, स्विट्ज़रलैंड, कई देशों के दूतावास और वाणिज्य दूतावास के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
साल 2015 में, संयुक्त राष्ट्र संघ ने केआईएसएस को विशेष सलाहकार स्टेटस से सम्मानित किया। साथ ही इसे पूरे विश्व में गैर-सरकारी सामाजिक सेवा संगठनों के कुछ विशिष्ट क्लबों में प्रतिष्ठित किया।
इन वर्षों में, केआईएसएस ने आदिवासी शिक्षा और समग्र विकास की दिशा में एक निर्विवाद केंद्र के रूप में मान्यता पाई है। प्रो. सामंत का काम उन्हें ओडिशा में आदिवासी समुदाय के मसीहा जैसा बनाता है। कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और डॉ. सामंत का प्रभाव बहुत बड़ा है, जो अप्रत्यक्ष रूप से लगभग दस लाख आदिवासियों के जीवन में परिवर्तन और सुधार लाता है।
शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में केआईएसएस पिछले 28 वर्षों से लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रहा है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेगा। प्रो. सामंत आदिवासी युवाओं को गरीबी, अशिक्षा और भुखमरी के बिना एक बेहतर जीवन के योग्य बनाने की दिशा में केआईएसएस के रूप में यह उत्कृष्ट मंच प्रदान करते हैं।