हड़ताल से मेडिकल इमरजेंसी के हालात

हड़ताल से मेडिकल इमरजेंसी के हालात

जयपुर। सरकारी चिकित्सकों की ह़डताल के समर्थन में रेजीडेंट के उतर आने के बाद राजस्थान में मेडिकल इमरजेंसी के हालात बन गए हैं। इलाज न मिलने से अब तक ३० से अधिक मौतें हो चुकी हैं, जिसे सरकार भी मान रही है। सरकारी अस्पतालों में पूर्व निर्धारित ऑपरेशन को टाल दिया गया है।ह़डताल को खत्म कराने के लिए सरकार ने भी कमर कस ली है। रेस्मा लागू कर दिया है, जिसके तहत दो दर्जन चिकित्सकों को गिरफ्तार किया गया है। ५०० से अधिक चिकित्सकों के खिलाफ मुकदमे कायम किए गए हैं, जिनमें २६५ मुकदमे बीकानेर संभाग में दर्ज हुए हैं। गिरफ्तारी के भय से चिकित्सक भूमिगत हो गए हैं। टोंक, भरतपुर, भीलवा़डा, बांसवा़डा आदि जिलों में कुछ चिकित्सकों के काम पर लौटने की जानकारी है। राज्य के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया का कहना है कि सरकार ने चिकित्सकों की अधिकांश मांगें मान ली हैं, शेष के संबंध में कमेटी गठित करने का आश्वासन भी दिया गया है। चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में सेना के डॉक्टरों और निजी चिकित्सकों की मदद ली जा रही है। ५६ हजार रुपए मासिक वेतन पर सेवानिवृत चिकित्सकों को बहाल करने के लिए जिलाधिकारियों को अधिकृत किया गया है। चिकित्सकों के सामूहिक इस्तीफे की बात को गलत बताते हुए चिकित्सा मंत्री ने कहा कि सरकार को दो दिन पहले एक बंद लिफाफा मिला है, जिसमें कोरा कागज था। बा़डमेर में एक डॉक्टर टेलर की दुकान में छिपा है। यह सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची तो डॉक्टर भागने लगा। पुलिसकर्मी ने पीछा किया तो गिरकर घायल हुआ। पुलिस अस्पताल लाई और वहां पट्टी कराने के बाद उससे ड्यूटी भी ज्वॉइन करा दी।ृद्ध त्र·र्ैं ुि ठ्ठय्स्र€ट्टद्य ्यख्द्यत्रय्द्यप्रदेश में ६ दिन से सेवारत डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर हैं। सरकार की सख्ती जारी है। अब तक कुल २६ डॉक्टर गिरफ्तार हो चुके हैं। बीते छह दिनों से सामूहिक अवकाश पर चल रहे सेवारत चिकित्सकों के साथ पहले रेजीडेंट्स और शनिवार को सीनियर रेजीडेंट्स के भी कार्य बहिष्कार के कारण हालात गांवों के साथ शहरों में भी खराब रहे। ह़डताल पर चल रहे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक २६ गिफ्तारियां की गई।एम्स के डॉक्टरों के साथ अन्य डॉक्टर संगठनों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर और अन्य तरीके से डॉक्टरों का समर्थन करते हुए उनकी मांगों के निस्तारण की मांग की है। गतिरोध समाप्त करने के लिए डॉक्टरों को सरकार ने रविवार दोपहर को पांचवीं बार वार्ता के लिए बुलाया था।ठ्ठय्स्र€ट्टद्य द्नरू्यद्बख्त्र, च्चय्द्यह्र झ्द्य त्रय्ध्ष्ठकोटा मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में कार्यरत ५७ रेजीडेंट्स भी रविवार से काम पर नहीं आए। एमबीएस के पीजी हॉस्टल में शनिवार सुबह २ कमरों के ताले टूटे मिले। रेजीडेंट्स के मुताबिक, पुलिस ने रात को दबिश दी और ताले तो़ड दिए। शनिवार को भी तीनों अस्पतालों में करीब ५० ऑपरेशन टालने प़डे। सिर्फ ३५ ऑपरेशन हुए। १४ नवंबर के बाद कोटा में आईएमए के ८०० सदस्य डॉक्टरों ने भी आंदोलन में शामिल होने की चेतावनी दी है। अलवर में सेना के ५ डॉक्टर लगाए हैं। इन्होंने ६ घंटे सेवाएं दी।वहीं जोधपुर संभाग के ११० डॉक्टर नहीं आएं। हाईकोर्ट की फटकार और गिरफ्तारी के डर से संभाग में २५ डॉक्टरों ने शनिवार को अपनी ज्वाइंनिंग दी।उदयपुर संभाग के १४०० सेवारत डॉक्टरों के भूमिगत होने के कारण द राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के लगभग १५० विशेषज्ञ डॉक्टरों ने शनिवार को भी मरीज नहीं देखे। अन्य हिस्सों में हालात बदतर रहे।सीकर में शेखावाटी के ९२८ डॉक्टर छह दिनों से ह़डताल पर हैं। रेस्मा लागू है। प्रदेश में डॉक्टर की ह़डताल के दौरान अब तक २५ मौतें (सीकर में तीन) हो चुकी हैं। रेस्मा के तहत अब तक एक भी ह़डताली डॉक्टर को गिरफ्तार करने में नाकाम पुलिस दावा कर रही है कि सभी सेवारत डॉक्टर भूमिगत हो चुके हैं। जबकि, हकीकत यह है कि हजारों मरीजों का दर्द और तकलीफ भुलाकर कई ह़डताली डॉक्टर पर्यटन स्थलों पर घूम रहे हैं। सोशल मीडिया पर रेस्मा के डर से भूमिगत हो चुके १२ से ज्यादा डॉक्टर्स ने पर्यटक स्थलों पर पिकनिक मनाते हुए तस्वीरें और वीडियो भी शेयर किए है। शेखावाटी के डॉक्टर जालंधर, उदयपुर, माउंटआबू और जैसलमेर घूम रहे हैं। कुछ अपने परिवार के साथ तो कुछ साथी डॉक्टरों के साथ घूम रहे हैं। शर्मनाक यह है कि कुछ डॉक्टर शराब के नशे में अपने संस्कार और मर्यादा तक भूल चुके हैं।एक शेयर किए गए वीडियो में झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल डॉक्टर शराब के नशे में खुद को कराची बताते हुए कह रहे हैं कि उन्होंने ह़डताल के लिए पाकिस्तान के डॉक्टर्स से बात की है और वहां के डॉक्टर उनके साथ हैं।

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