शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए आईआईटी, आईआईआईटी और एनआईटी नहीं बढ़ाएंगे फीस

शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए आईआईटी, आईआईआईटी और एनआईटी नहीं बढ़ाएंगे फीस

भारतीय मुद्रा

नई दिल्ली/भाषा। शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए आईआईटी, आईआईआईटी और एनआईटी के शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा फीस में इजाफा नहीं किए जाने के आग्रह के बाद इन संस्थानों ने यह फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्री से मंगलवार को छात्रों के संवाद के दौरान शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए एनआईटी, आईआईटी और आईआईटीके शुल्क में बढ़ोतरी के संबंध में सवाल पूछा गया था।

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मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा था, ‘आईआईटी, एनआईटी जैसे संस्थान स्वायत्त स्वरूप के संस्थान हैं और समर्थ हैं। तब भी हमने कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति को देखते हुए इनसे आग्रह किया कि वे इस वर्ष फीस नहीं बढ़ाएं। मैंने सभी अध्यक्षों से इसकी जानकारी संस्थान के प्रमुखों और निदेशकों को देने को कहा है। मुझे पूरा भरोसा है कि इस भावना का सम्मान किया जाएगा।’

सूत्रों ने बताया कि आईआईटी, एनआईटी और 20 आईआईआईटी ने इस पर (मंत्री के आग्रह) विचार करते हुए इस वर्ष शुल्क नहीं बढ़ाने का निर्णय किया है। बहरहाल, मंत्रालय के अनुसार, विश्वविद्यालयों में परीक्षा के संबंध में यूजीसी ने एमएचआरडी के साथ परामर्श के बाद दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि परीक्षा प्रक्रिया की शैक्षणिक शुचिता और सत्यनिष्ठा बरकरार रखने के लिए विश्वविद्यालय यूजीसी द्वारा समय समय पर सुझाई गई आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करें, साथ ही अल्पावधि में प्रक्रिया को पूरा करने के लिए परीक्षाओं के वैकल्पिक और सरल प्रणालियां तथा विधियां अपना सकते हैं।

इसमें कहा गया है कि मध्यवर्ती सेमेस्टर/वार्षिक विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय अपनी तैयारियों के स्तर, विद्यार्थियों की आवासीय स्थिति और विभिन्न क्षेत्रों/राज्यों में कोविड-19 महामारी के प्रसार की स्थिति के समग्र आकलन के बाद और अन्य बातों को ध्यान में रखते हुए परीक्षाएं करा सकते हैं।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अगर कोविड-19 को देखते हुए परिस्थितियां सामान्य नजर नहीं आती हैं तो सामाजिक दूरी बरकरार रखने के क्रम में 50 प्रतिशत अंकों के लिए विद्यार्थियों की ग्रेडिंग आंतरिक मूल्यांकन के पैटर्न के आधार पर हो सकती है। शेष 50 प्रतिशत अंक सिर्फ पिछले सेमेस्टर (अगर उपलब्ध हो) में प्रदर्शन के आधार पर दिए जा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि नियमित मूल्यांकन, प्रीलिम्स, सेमेस्टर, आंतरिक मूल्यांकन या विद्यार्थियों की प्रगति के आकलन के लिए अन्य माध्यमों के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन किया जा सकता है। अगर विद्यार्थी ग्रेड्स में सुधार चाहते हैं तो वह अगले सेमेस्टर में ऐसे विषयों की विशेष परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं।

बहरहाल, यह पूछे जाने पर कि कॉलेज कब खुलेंगे और स्नातक परीक्षाएं कब आयोजित की जाएंगी, इस पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने मंगलवार को कहा था कि उच्च शिक्षा का अकादमिक कैलेंडर जारी किया गया है और अंतिम सेमेस्टर के छात्रों के लिए परीक्षा जुलाई में आयोजित की जाएंगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि सत्र 2020-21 के लिए यूजी (स्नातक) और पीजी (परास्नातक) कार्यक्रमों के लिए प्रवेश 31 अगस्त, 2020 तक पूरा किया जा सकता है। यदि जरूरत पड़ती है तो अनंतिम प्रवेश भी दिया जा सकता है और पात्रता परीक्षा के संबंधित दस्तावेज 30 सितंबर 2020 तक स्वीकार किए जा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि पुराने विद्यार्थियों के लिए 1 अगस्त, 2020 से और नए विद्यार्थियों के लिए 1 सितंबर, 2020 से शैक्षणिक सत्र 2020-21 शुरू हो सकता है। यूजीसी की वेबसाइट से अतिरिक्त जानकारियां हासिल की जा सकती हैं।

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