भारत-चीन ने माना एक-दूसरे की चिंताओं, संवेदनशीलताओं का ध्यान रखना जरूरी
भारत-चीन ने माना एक-दूसरे की चिंताओं, संवेदनशीलताओं का ध्यान रखना जरूरी
नई दिल्ली। भारत एवं चीन ने शुक्रवार को माना कि उनके द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए दोनों पक्षों को एक दूसरे की संवेदनशीलताओं, चिंताओं एवं अपेक्षाओं का ध्यान रखते हुए अपने मतभेदों का परस्पर सम्मत समाधान निकालना जरूरी है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसिलर, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय समिति के पोलित ब्यूरो के सदस्य यांग जिची के नेतृत्व में यहां हैदराबाद हाउस में भारत-चीन सीमा मसले पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की २०वीं बैठक हुई जिसमें दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति, स्थिरता एवं मैत्री बनाए रखने के लिए परस्पर विश्वास ब़ढाने के कई उपायों पर नए विचारों का आदान प्रदान किया। बैठक में विदेश सचिव एस जयशंकर भी मौजूद थे। विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य में बताया कि दोनों विशेष प्रतिनिधियों ने सीमा मसले पर वार्ता के पिछली बैठकों की व्यापक समीक्षा की और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि सीमा मसले का जल्द से जल्द समाधान दोनों देशों के बुनियादी हित में है। उन्होंने इस बात पर भी सहमति जताई कि जब तक सीमा मसले का समाधान नहीं हो जाता तब तक सीमा पर शांति, स्थिरता एवं मैत्री बनाए रखना जरूरी है। इस संबंध में दोनों विशेष प्रतिनिधियों ने परस्पर विश्वास ब़ढाने वाले उपायों पर नए विचारों का आदान प्रदान किया। वक्तव्य के अनुसार डोभाल और यांग जिची ने भारत चीन द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की भी समीक्षा की और माना कि सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए नियमित संपर्क बनाए रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी माना कि दोनों देशों को अपने सहमति के दायरों को ब़ढाते हुए मतभेदों पर एक दूसरे की संवेदनशीलता, चिंता एवं अपेक्षाओं का ध्यान रखते हुए परस्पर सम्मत समाधान निकालने की जरूरत है। दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि दोनों विशाल एवं विकासशील देश अपने राष्ट्रीय आधुनिकीकरण में लगे हैं तथा भारत एवं चीन के संबंध ना केवल एशिया बल्कि पूरे विश्व में शांति, स्थिरता एवं विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी बात की। उधर बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय ने भी एक वक्तव्य में कहा कि विशेष प्रतिनिधि स्तर की सीमा मसले पर वार्ता न केवल सीमा संबंधी मामलों पर उच्चस्तरीय संवाद का माध्यम है बल्कि रणनीतिक संवाद का एक मंच भी है जिसे भारत एवं चीन दोनों ही बहुत महत्व देते हैं।