विकास के लिए अहिंसा और संवाद जरुरी : वेंकैया

विकास के लिए अहिंसा और संवाद जरुरी : वेंकैया

नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने समाज में शांति और सद्भावना की स्थापना के लिए संवाद और अहिंसा पर बल देते हुए रविवार को कहा कि बिना इन मूल्यों के देश का विकास संभव नहीं है। नायडू ने यहां ’’अहिंसा विश्व भारती’’ के १२ वें स्थापना दिवस के अवसर राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा कि अहिंसा दिवस समारोह का आयोजन इसीलिए महत्वपूर्ण है कि अहिंसा के अभाव में समाज में शांति और सद्भावना नहीं हो सकती। विकास के लिए समाज में शांति और सद्भावनापूर्ण वातावरण की जरूरत होती है। इस अवसर पर अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक डॉ. लोकेश मुनि, इंडिया टीवी के प्रमुख रजत शर्मा और वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की प्रमुख किरण चोप़डा भी मौजूद थे। उन्होेंने कहा कि अहिंसा दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं होता है। हिंसा प्रतिहिंसा को जन्म देती है। संवाद, वार्ता तथा अहिंसात्मक शैली से हर समस्या को सुलझाया जा सकता है। यही कारण है कि पिछले दिनों सरकार ने कश्मीर में शांति और अमन के लिए संवाद को माध्यम बनाने की घोषणा की है। नायडू ने कहा कि देश में महावीर और बुद्ध जैसे अनेक महापुरुषों ने अहिंसा पर बहुत बल दिया। महात्मा गांधी ने अहिंसा के अस्त्र से भारत को आजाद कराया था। अहिंसा का अर्थ कायरता नहीं है। अहिंसा ही वह मार्ग है जिस पर चलकर स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है। इस मार्ग से ही विश्व शांति एवं विश्व का कल्याण संभव है। उन्होेंने कहा कि भारतीय संस्कृति बहुलतावादी संस्कृति है। अनेकता में एकता उसकी मौलिक विशेषता है। सर्वधर्म सद्भाव इसका मूल मंत्र है। यहीं से अहिंसा, शांति और सद्भावना का शुभारंभ होता है। उन्होेंने कहा, हम सभी विकास चाहते हैं, समृद्धि चाहते हैं। सामाजिक जीवन में शांति, बंधुत्व, प्रेम, अहिंसा एवं समतामूलक विकास के पक्षधर हैं। विकास एवं शांति का गहरा संबंध है। धर्मगुरु, राजनेता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख जब एक मंच से अहिंसा, शांति तथा सद्भावना का संदेश देंगे तो निश्चित रूप से इसका प्रभाव होगा।उप राष्ट्रपति ने कहा कि आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने पिछले १२ वर्षों में मानवीय मूल्यों के उत्थान के लिए, नैतिक और चारित्रिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए, देश और दुनिया में घूम-घूम कर उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। इसलिए सरकार ने उन्हें वर्ष २०१० के राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया।

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