तीन वर्ष में सामाजिक व आर्थिक ढांचा हुआ ध्वस्त : सोनिया

तीन वर्ष में सामाजिक व आर्थिक ढांचा हुआ ध्वस्त : सोनिया

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर जम्मू-कश्मीर में असफल रहने, भय, असहिष्णुता तथा विभाजनकारी नीति को ब़ढावा देने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि तीन वर्ष में इस सरकार ने सामाजिक तथा आर्थिक विकास के ढांचे को ध्वस्त कर दिया है।गांधी ने पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि उसके पास कोई नीति नहीं है और सामाजिक तथा आर्थिक विकास को जो ढांचा पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने तैयार किया था, मोदी सरकार ने उसे भी ध्वस्त किया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अपेक्षाकृत शांति का माहौल था लेकिन पिछले तीन वर्ष के दौरान वहां संघर्ष, तनाव और भय का माहौल ब़ढा है। देश में सामाजिक सौहार्द का माहौल टूटा है और अहिष्णुता ब़ढी है, जिसके कारण जगह जगह पीट-पीटकर मारने की घटनाएं हो रही हैं। दलितों पर अत्याचार की घटनाएं ब़ढी हैं। महिलाओं के खिलाफ इस दौरान आपराधिक घटनाएं ब़ढी हैं।कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अपनी ब़डी सफलता का प्रदर्शन करने के लिए यह सरकार नोटबंदी की नीति लेकर आई लेकिन इससे देश को ब़डा आर्थिक नुकसान हुआ है। सरकार अब तक यह बताने की स्थिति में नहीं है कि नोटबंदी के बाद पुराने नोट कितना बैंकों में लौटे हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि रिजर्व बैंक नोट गिनना भूल गया है बल्कि इससे पता चलता है कि नोटबंदी की योजना कितनी विनाशकारी थी।सिर्फ नोटबंदी का ही मामला नहीं है और भी कई मोर्चों पर यह सरकार असफल साबित हुई है। सरकार ने ’’मेक इन इंडिया’’ का नारा दिया लेकिन वह भी निवेश ब़ढाने में असफल रहा। बेरोजगारी ब़ढी है। देशभर में किसान परेशान हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के हाल के आंक़डों से साफ हो गया है कि नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के बारे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने जो अनुमान लगाया, वह सही था। मोदी सरकार पर सत्ता का दुरुपयोग करके लोगों की आवाज दबाने का अरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के स्वर में जो स्वर नहीं मिलाता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। उसे डराया और धमकाया जाता है और भय का माहैाल पैदा किया जाता है। उनका कहना था कि सरकार का यह रुख राजनीतिज्ञों, संस्थानों, छात्रों, नागरिक संगठनों और मीडिया पर देखने को मिला है।

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