शांतिपूर्ण समाधान तलाशें इजराइल-ईरान

मोसाद के पास पूरी जानकारी थी!

शांतिपूर्ण समाधान तलाशें इजराइल-ईरान

इजराइल ने इस हद तक खुफिया नेटवर्क फैला रखा है?

इजराइल ने ईरान पर जबर्दस्त धावा बोला है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला ख़ामेनेई सिर्फ धमकियां देते रहे और इजराइल ने कारनामा कर दिखाया। यह कार्रवाई इजराइल की सैन्य शक्ति के साथ ही वैज्ञानिक और खुफिया प्रतिभा का भी प्रदर्शन है। उसने जिस तरह ईरान के दर्जनभर परमाणु वैज्ञानिकों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों को उनके 'ठिकानों' पर निशाना बनाया, उससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि मोसाद के पास इनके बारे में पूरी जानकारी थी। ये वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारी कहां रहते थे, किस समय कहां जाते थे, किस पद पर कार्यरत थे, यहां तक कि रात को कहां विश्राम करते थे ... जैसी बारीक जानकारी जुटाई गई। इसके बाद हमला किया गया। यह जानकारी मोसाद तक किसने पहुंचाई होगी? जाहिर है, ईरान के नागरिकों में से ही कुछ लोगों ने ऐसा किया होगा। अगर इजराइल ने इस हद तक अपना खुफिया नेटवर्क फैला रखा है तो ईरानी नेतृत्व के लिए भविष्य में गंभीर चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। इजराइल हमास और हिज्बुल्लाह के कई शीर्ष कमांडरों और लड़ाकों का खात्मा कर चुका है। उसने इन दोनों संगठनों की कमर तोड़ दी है। इन्हें ईरान सहयोग दे रहा था। ऐसे में इजराइल का उस पर हमला तो निश्चित था। ईरान ने भी तैयारियां कर रखी थीं। उसके पास इमाद, ग़दर और खेबर शेकन जैसी घातक मिसाइलें हैं, जो गर्जना करती हुईं इजराइल की ओर बढ़ीं, लेकिन वहां एयर डिफेंस सिस्टम ने ज्यादातर को आसमान में ही नष्ट कर दिया। कुछ मिसाइलें नीचे गिरीं। उनसे नुकसान जरूर हुआ। हालांकि इन हमलों में ईरान की तुलना में इजराइल को काफी सुरक्षित माना जा सकता है। इजराइली जनता के पास इसका प्रशिक्षण है कि जब भी दुश्मन का हमला हो, सायरन बजे, सबको सुरक्षित स्थानों की ओर चले जाना है। वहां मॉक ड्रिल भी होती रहती हैं। इससे लोग हमेशा तैयार रहते हैं।

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सवाल है- अब ईरान क्या करेगा? वह इजराइली हमले के बाद पलटवार कर चुका है। क्या वह अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करेगा? इसका जवाब उसके परमाणु ऊर्जा संगठन (एईओआई) ने यह कहते हुए दे दिया है कि 'ईरान दृढ़ है ... अपने परमाणु वैज्ञानिकों के मजबूत संकल्प पर भरोसा करते हुए, हम शक्ति और संकल्प के साथ शांतिपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकी विकसित करने के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे। दुश्मनों द्वारा किए गए कायरतापूर्ण हमले इस देश की इच्छाशक्ति के सामने कुछ भी नहीं हैं।' ईरान जिसे 'शांतिपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकी' बता रहा है, उसका मकसद इजराइल भलीभांति जानता है। अगर ईरान ने परमाणु बम बना लिया तो वह इजराइल के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा होगा। उसकी चिंता आईडीएफ के इन शब्दों से झलकती है कि 'परमाणु हथियार हासिल करने और इजराइल को दुनिया से मिटा देने की ईरानी चाहत ही हमें यहां तक ले आई है। हम इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। कार्रवाई कोई विकल्प नहीं है, यह एक जरूरत है। हमारे पास कार्रवाई करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।' अब इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का ईरानी नागरिकों से यह आह्वान करना कि वे अपने झंडे और ऐतिहासिक विरासत के साथ एकजुट होकर दुष्ट और दमनकारी शासन से आज़ादी के लिए खड़े हों, जो कभी इतना कमज़ोर नहीं रहा', कई 'उलझनें' पैदा करता है। प्राय: ऐसे मौकों पर लोग अपनी सरकार के साथ एकजुटता दिखाते हैं। ईरान में भी ऐसा हो रहा है। उस देश में ख़ामेनेई के विरोधियों की कमी नहीं है, लेकिन जब कोई बाहरी ताकत हमला करेगी, वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों के साथ आम नागरिक मारे जाएंगे तो तमाम शिकायतों के बावजूद लोगों की सहानुभूति सरकार के साथ होगी। इस समय ख़ामेनेई पर बड़ा दबाव है कि वे कुछ ऐसा करें, जिससे नागरिकों के मन में उनकी मजबूत छवि बने। अगर वे परमाणु कार्यक्रम की ज़िद के साथ इजराइल से टकराव जारी रखेंगे तो दोनों देशों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व ही एकमात्र समाधान है, जिस पर दोनों देशों के नेतृत्व को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

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