कांग्रेस का सवाल- 'क्या प्रधानमंत्री देश की सुरक्षा पर संसद में बहस के लिए सहमत होंगे?'
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा ...

Photo: IndianNationalCongress FB Page
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। कांग्रेस ने बुधवार को पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश भेजे गए सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात करने के बाद अब पहलगाम घटना को लेकर देश की सुरक्षा और विदेश नीति चुनौतियों पर संसद के मानसून सत्र में पूर्ण बहस कराने पर सहमत होंगे?
विपक्षी दल ने यह भी पूछा कि क्या प्रधानमंत्री कम से कम सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की एक बैठक या बैठकों की एक शृंखला की अध्यक्षता करेंगे और चीन तथा पाकिस्तान के संबंध में भारत की भविष्य की रणनीति पर उन्हें विश्वास में लेंगे?बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की मेजबानी की, जिसमें सांसद और पूर्व राजनयिक शामिल थे, जिन्होंने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद के खतरे को खत्म करने की जरूरत पर भारत का संदेश देने के लिए पिछले कुछ हफ्तों में विभिन्न विश्व की राजधानियों की यात्रा की थी।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा, 'अब जबकि प्रधानमंत्री ने स्वयं 32 देशों में भेजे गए सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात की है, तो क्या वह कम से कम अब - सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की एक बैठक या बैठकों की एक शृंखला की अध्यक्षता करेंगे और चीन और पाकिस्तान दोनों के संबंध में भारत की भविष्य की रणनीति और सिंगापुर में सीडीएस के खुलासे के रणनीतिक निहितार्थ पर उन्हें विश्वास में लेंगे?'
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या प्रधानमंत्री संसद के आगामी मानसून सत्र में पहलगाम घटना के बाद देश की सुरक्षा और विदेश नीति की चुनौतियों पर पूर्ण बहस कराने पर सहमत होंगे, क्योंकि विशेष सत्र के लिए इंडि ब्लॉक दलों के अनुरोध को दुर्भाग्यवश अस्वीकार कर दिया गया है?'
उन्होंने आगे पूछा कि क्या प्रधानमंत्री पहलगाम के आतंकवादियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए अपने प्रयास दोगुने करेंगे, जो कथित तौर पर पुंछ (दिसंबर 2023) और गगनगीर और गुलमर्ग (2024) में हुए तीन पूर्व आतंकवादी हमलों में शामिल थे?
रमेश ने यह भी पूछा कि क्या विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता के. सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता वाली कारगिल समीक्षा समिति जैसे विशेषज्ञों का एक समूह गठित किया जाएगा, जो ऑपरेशन सिंदूर का विस्तार से विश्लेषण करेगा और उभरते सैन्य प्लेटफार्मों और प्रौद्योगिकियों तथा संकट की स्थिति में सामरिक संचार के लिए राष्ट्रीय क्षमताओं के निर्माण सहित युद्ध के भविष्य पर अपनी सिफारिशें देगा?
रमेश ने कहा, 'क्या रिपोर्ट को - उपयुक्त संशोधनों के बाद - संसद में रखा जाएगा, जैसे कि कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट फरवरी 2000 में रखी गई थी?'