जो संपूर्ण जगत का मंगल करते हैं, वे हैं श्रीराम: जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य
संतश्री द्वारा वर्णित रामकथा धर्म, करुणा और कर्तव्य के मार्ग पर अग्रसर करती है: राज्यपाल

पैलेस ग्राउंड प्रिंसेस श्राइन सभागार पर शुरू हो चुकी है श्रीराम कथा
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। स्थानीय श्रीराम परिवार दुर्गा पूजा समिति बेंगलूरु द्वारा शहर के पैलेस ग्राउंड के प्रिंसेस श्राइन सभागार में सोमवार से कथा व्यास जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य महाराज के सान्निध्य में नौ दिवसीय श्रीराम कथा प्रारंभ हुई।
सबसे पहले सोमवार को सुबह कथा स्थल पर कलश व पोथी यात्रा निकाली गई जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिलाओं ने सिर पर कलश धारण किया और कलश यात्रा में शामिल हुई। जय श्रीराम के जयघोष के साथ कलश यात्रा प्रारंभ हुई और कथा स्थल पर पहुंचकर सभी महिलाओं ने मंगल कलशों की स्थापना की।दोपहर 3 बजे से कथा स्थल पर श्रीराम कथा का शुभारंभ हुआ जिसमें कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत विशेष रूप से शामिल हुए, जिन्होंने गुरु पादपूजा कर कथा की शुरुआत की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल थावरचन्द गहलोत ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व में समस्त प्राणियों के कल्याण तथा विश्व में शांति की स्थापना की कामना के साथ रामकथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जाना बहुत ही पुण्य का कार्य है।
जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जब राम कथा का आयोजन करते हैं तो वह केवल कथा वाचन नहीं होता, बल्कि भक्तों के लिए आत्मशुद्धि, भक्ति और संस्कारों का दिव्य प्रवाह बन जाता है। उनके प्रवचन में शास्त्रीयता, आधुनिक प्रासंगिकता और आध्यात्मिक शक्ति एक साथ दिखाई देती है।
जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य महाराज एक प्रख्यात संत, विद्वान, कवि, आध्यात्मिक गुरु और समाजसेवी हैं। वे वेद, पुराण, संस्कृत, हिंदी साहित्य और सनातन धर्म के महान विद्वान और प्रेरणा स्रोत हैं। युवावस्था में ही अपनी दृष्टि खो देने के बावजूद आपने अपने आत्मविश्वास और साधना से अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं।
राज्यपाल ने कहा कि संतश्री अपनी असाधारण स्मरण शक्ति, वक्तृत्व कौशल और रचनात्मकता के लिए जाने जाते हैं। वे अनेक भाषाओं में पारंगत हैं। जनहित और राष्ट्रहित में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण समेत अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उन्होंने कहा, संतश्री तुलसी साहित्य के महान व्याख्याता हैं और इन्होंने रामचरितमानस पर एक उत्कृष्ट टीका लिखी है। इन्होंने विकलांगों के लिए जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय की स्थापना की है। यह देश का पहला विश्वविद्यालय है जो विशेष रूप से दिव्यांगों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए काम करता है।
उन्होंने कहा कि श्री रामभद्राचार्य द्वारा वर्णित रामकथा न केवल एक धार्मिक साधना है, अपितु मानव जीवन को धर्म, करुणा और कर्तव्य के मार्ग पर अग्रसर करने वाली दिव्य प्रेरणा भी है। आज सम्पूर्ण विश्व आत्म-कल्याण, आत्मिक शान्ति व आध्यात्मिक विकास के लिए भारत की ओर देख रहा है। ऐसे कार्यक्रम समाज में धार्मिक चेतना, नैतिक जागरूकता व सांस्कृतिक संरक्षण के मजबूत स्तम्भ तैयार करते हैं।
इस मौके पर आयोजक मिथिलेश तिवारी, अजय प्रकाश पाण्डेय, राजीव शुक्ला, सुरेश मोदी, संजय अग्रवाल, संजय शुक्ला आदि ने राज्यपाल थावरचन्द गहलोत का सम्मान किया। संतश्री रामभद्राचार्य महाराज ने भी राज्यपाल को विशेष आशीर्वाद प्रदान किया।
इस अवसर पर श्रीराम कथा की शुरुआत करते हुए श्री रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम सबके हैं। जो सम्पूर्ण जगत का मंगल करते हैं वह हैं श्रीराम। कर्नाटक भगवान श्रीराम की कर्मभूमि है। भगवान राम की उपासना ही सबसे बड़ी तपस्या है।
संतश्री ने कहा कि राम नाम अपने आप में पूर्ण है, जो व्यक्ति प्रभु राम की शरण में जाता है उसका कल्याण हो जाता है। उन्होंने अनेक दोहों का गायन करते हुए तुलसी व वाल्मीकि रामायण के माध्यम से राम के चरित्र का बहुत ही प्रभावी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान श्रीराम के राज्य में सबकुछ मंगल था और हमारा जम्बू द्वीप सबसे अग्रणी था उसी तरह हम सभी को भी देशप्रेम में समर्पित होना होगा तभी हमारा भारतवर्ष भी विश्वगुरु बन सकता है।
महाराजश्री ने पहलगाम घटना की निंदा करते हुए देश के प्रधानमंत्री द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई का वर्णन करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर’ की दो अवधारणा है जिसका जिक्र हमारे ग्रंथों में भी आता है। उन्होंने कहा कि जो हमें मार रहा है उसे पूर्ण रूप से मार देना चाहिए और दूसरी, क्षमा तब तक करना चाहिए जब तक कि कोई हमें कायर न माने। संतश्री ने कहा कि आज देश सशक्त व योग्य हाथों में है और शीघ्र ही भारतवर्ष विश्व गुरु बनेगा।