फसलों पर ग्रहण की 'चीनी चाल'

चीनी नागरिकों ने अमेरिका में रोगाणु कवक की तस्करी की थी

फसलों पर ग्रहण की 'चीनी चाल'

चीन की प्रयोगशालाओं को निगरानी में लाना चाहिए

अमेरिका में दो चीनी नागरिकों का रोगाणु की तस्करी में लिप्त पाया जाना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि दुनिया में अस्थिरता फैलाने के लिए चीन खतरनाक प्रयोग कर रहा है। यून्किंग जियान और जुनयोंग लियू नामक इन चीनी नागरिकों ने अमेरिका में 'फ्यूजेरियम ग्रैमिनीरम' नामक रोगाणु कवक की तस्करी की थी, जो फसलों को चौपट कर सकता है। इससे अमेरिका को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ सकता था और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता था। अमेरिका में इस साजिश का पर्दाफाश हो गया। क्या चीन ने अन्य देशों में खेती-बाड़ी को निशाना बनाने के लिए ऐसे प्रयोग नहीं किए होंगे? कोरोना वायरस के प्रसार के बाद चीन ने पूरे मामले पर लीपापोती करने की कोशिश की थी। कई विशेषज्ञ तो इस बात को लेकर आशंका जताते हैं कि कोविड-19 के तौर पर चीन एक घातक जैविक हथियार बनाने पर काम कर रहा था, लेकिन किसी दुर्घटना या असावधानी के कारण वह प्रयोगशाला से बाहर आ गया था। जब चीनी सरकार को पता चला कि कोरोना वायरस फैल रहा है, तो उसने सद्भावना के तहत दुनिया को सचेत करने के बजाय अपने नागरिकों को विभिन्न देशों में भेजा था। इससे वायरस ने बड़ी महामारी का रूप ले लिया था। क्या चीन एक बार फिर कुछ वैसा ही करने की सोच रहा है? अमेरिका में चीनी नागरिकों ने 'फ्यूजेरियम ग्रैमिनीरम' नामक जिस रोगाणु कवक की तस्करी की, उसे वैज्ञानिकों ने कृषि आतंकवाद का हथियार बताया है। अगर उसका यह मंसूबा कामयाब हो जाता तो उसे एक भी गोली नहीं चलानी पड़ती और अमेरिका को अरबों डॉलर का नुकसान हो जाता।

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साल 2020 में जब कई देशों में कोरोना वायरस का प्रसार हो गया था, तब ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिनमें चीनी नागरिक फलों, सब्जियों और खानपान से जुड़ीं चीजों पर थूकते नजर आए थे! दावा किया गया था कि वह सामग्री विदेशों को निर्यात की गई थी। उन वीडियो से ऐसे कयासों को बल मिला था कि चीनी नागरिक जानबूझकर ऐसी कोशिशें कर रहे थे, ताकि विदेशों में भी लोग संक्रमित हो जाएं। उस दौरान विदेशों में कई लोगों ने अज्ञात शख्स द्वारा उनके पतों पर चीनी भाषा में किताबें, पत्र आदि मिलने का दावा किया था, जिन्हें खोलने के बाद वे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे! इन्सानों और पेड़-पौधों को संक्रमित कर नुकसान पहुंचाने के हथकंडे नए नहीं हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने ऐसी कोशिश की थी। उसने ब्रिटेन में आलू की फसल नष्ट करने के लिए खेतों में कोलोराडो बीटल नामक कीड़े छोड़ दिए थे। उनके लिए विमानों का इंतजाम किया गया था। हालांकि जर्मनी को ज्यादा कामयाबी नहीं मिली थी। अगर बड़ी तादाद में कीड़े छोड़े जाते तो ब्रिटेन में खानपान का संकट विकराल रूप ले सकता था। उन कोशिशों में जापान भी शामिल बताया जाता है, जो विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ की ताकत तोड़ने के लिए उनके खेतों में गेहूं की फसल नष्ट करना चाहता था। हालांकि अमेरिका सावधान था। उसने पहले ही ऐसे रोगाणुओं का जखीरा इकट्ठा कर रखा था, जो जापान में चावल की फसल को नष्ट कर सकते थे। अगर आज चीन ऐसे प्रयोग कर रहा है तो इस पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह देश जासूसी से लेकर रोगाणुओं से संबंधित खतरनाक प्रयोग तक बहुत गुपचुप तरीके से काम करता है। उसे कोरोना महामारी के लिए जवाबदेह ठहराने के साथ ही उसकी महत्त्वपूर्ण प्रयोगशालाओं को अंतरराष्ट्रीय संगठनों की निगरानी में लाना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि चीन की वजह से दुनिया दोबारा बड़े संकट का सामना करे।

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