बढ़ता मोटापा: एक बड़ी चुनौती
बच्चों में खेलकूद के बजाय मोबाइल गेम ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं

कितने ही लोग ऐसे हैं, जो पिछले कई महीनों से लगातार एक किमी भी पैदल नहीं चले हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी चुनौती 'मोटापे' का जिक्र कर खानपान की आदतों में सुधार लाने के जो तौर-तरीके बताए हैं, वे अत्यंत प्रासंगिक हैं। पिछले दो दशकों में मोटापे की समस्या बहुत तेजी से बढ़ी है। स्वास्थ्य से ज्यादा स्वाद को प्राथमिकता देना और व्यायाम आदि न करना, जैसी आदतों ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। पहले, मोटापा महानगरीय जीवनशैली का नतीजा माना जाता था। अब गांवों में भी लोग इसका सामना कर रहे हैं। यही नहीं, कई स्कूली बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं। बच्चों में खेलकूद के बजाय मोबाइल गेम ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं। वे दूध, नींबू पानी, शर्बत आदि पीने से परहेज करते हैं, लेकिन बाजार में बिकने वाले शीतल पेय उन्हें बहुत आकर्षित करते हैं। अगर सोशल मीडिया पर सत्तर और अस्सी के दशक के वीडियो देखेंगे तो पाएंगे कि बहुत कम लोगों को मोटापा होता था। चूंकि तब स्कूल, कॉलेज और कार्यस्थल तक पहुंचने के लिए लोगों को काफी पैदल चलना होता था। अब घर-घर में वाहन हैं। इससे सुविधा तो खूब हुई है, लेकिन मोटापा बढ़ा है। कितने ही लोग ऐसे हैं, जो पिछले कई महीनों से लगातार एक किमी भी पैदल नहीं चले हैं। पैदल चलना अपनेआप में बहुत अच्छा व्यायाम होता है, जिसकी आदत कम होती जा रही है। भारत में मोटापा भविष्य में कितनी बड़ी चुनौती बन सकता है, इसका अंदाजा एक अध्ययन से लगाया जा सकता है, जिसका कहना है कि आज हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे की समस्या से परेशान है। यही नहीं, पिछले वर्षों में मोटापे के मामले दुगुने हो गए हैं। बच्चों में मोटापे की समस्या चार गुणा बढ़ गई है। प्रधानमंत्री ने भी 'मन की बात' में इस अध्ययन के निष्कर्षों को साझा किया है।
ये आंकड़े स्पष्ट बताते हैं कि अगर लोगों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो भविष्य में मोटापे के मामलों में तेज बढ़ोतरी होना तय है। प्रधानमंत्री ने खाने के तेल में 10 प्रतिशत कमी लाने का जो तरीका बताया, वह भी अनूठा है। अगर इस पर अमल करेंगे तो तेल के उपभोग में निश्चित रूप से कमी आएगी। एक उपाय यह हो सकता है कि अपने स्वास्थ्य के लिए जागरूक ऐसे लोगों के लिए कंपनियां ही 10 प्रतिशत कम तेल का विकल्प उपलब्ध कराएं। वे उसके साथ स्वास्थ्य का ध्यान रखने संबंधी कोई अच्छा संदेश दे सकती हैं। तेल ही क्यों, नमक, चीनी, चाय समेत उन सभी चीजों के उपभोग में 10 प्रतिशत तक कमी लाने की कोशिश की जा सकती है, जिनकी ज्यादा मात्रा स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। कई लोग सब्जी में अतिरिक्त नमक डालकर खाते हैं। ब्रिटेन में हुए एक वैज्ञानिक शोध की मानें तो पके हुए भोजन में अलग से नमक मिलाकर खाने से स्वास्थ्य को बहुत नुकसान हो सकता है। शोध में 5 लाख लोगों को शामिल किया गया था। उसके नतीजे यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित किए गए थे, जिनमें बताया गया था कि जो लोग पके हुए भोजन में अलग से नमक डालकर खाते हैं, ऐसे हर 100 लोगों में से 3 लोगों की जीवन प्रत्याशा घट सकती है। अतिरिक्त नमक लेने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा उन लोगों से कम पाई गई, जो इस आदत से दूर हैं। शोध में यह भी बताया गया कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करना चाहिए, क्योंकि उनमें नमक की मात्रा ज्यादा हो सकती है। लंबी अवधि तक ऐसे पदार्थों का सेवन करना किडनी और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए अपने खानपान पर नजर डालें और जिन पदार्थों की ज्यादा मात्रा नुकसानदेह है, उनके उपभोग को सीमित करें।