लालच का जाल, कर रहा कंगाल
लोग घर बैठे ही हजारों-लाखों के दांव लगाते हैं

किसी को कानोंकान खबर नहीं होती
कर्नाटक के मैसूरु शहर में ऑनलाइन सट्टेबाजी के कारण पैदा हुई आर्थिक तंगी के बाद एक दंपति द्वारा उठाया गया खौफनाक कदम समाज में बढ़ती उस बुराई के दुष्प्रभावों को दर्शाता है, जिस पर अभी खुलकर बात नहीं हो रही है। जुआ, सट्टा जैसी बुराइयां पहले भी मौजूद थीं, लेकिन तब इन तक लोगों की पहुंच आसान नहीं थी। लोक-लाज का भी भय था। अगर कोई युवक ऐसी जगह पर मौजूद पाया जाता, जहां जुआ-सट्टा खेले जाते हैं तो उसके घर पहुंचने से पहले ही गली-मोहल्ले में यह बात फैल जाती थी कि 'आज तो फलां साहब के बेटे गलत कामों में दिलचस्पी ले रहे थे, यह अशुभ लक्षण है, घर बर्बाद होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।' अब मोबाइल फोन ने इतनी आसानी कर दी है कि जो व्यक्ति इन बुराइयों में पड़ना चाहता है, उसे न तो कहीं जाने की जरूरत है, न रुपयों की गड्डी किसी को थमाने की जरूरत है। लोग घर बैठे ही हजारों-लाखों के दांव लगाते हैं। किसी को कानोंकान खबर नहीं होती। जब तक जीतते रहते हैं, मन बड़ा उत्साहित रहता है। खुद के अत्यंत सौभाग्यशाली होने का भ्रम हो जाता है। जैसे ही दांव उल्टा पड़ने लगता है, दिन का चैन और रातों की नींद, सब गायब हो जाते हैं। जब ज्यादा बड़ा नुकसान होता है तो व्यक्ति अंदर ही अंदर घुटन महसूस करता है। जब उसका सच सामने आ जाता है तो परिवार में भारी क्लेश मचता है। जिन्हें एक बार जुए-सट्टे की लत लग गई, वे इसे आसानी से नहीं छोड़ पाते। कई तो अपनी बचत और जायदाद का बहुत बड़ा हिस्सा हार जाते हैं। वे इन्हें दोबारा हासिल करने के लिए कर्ज लेते हैं और वह भी गंवा देते हैं।
ऐसे लोग एक के बाद एक बुराइयों के दलदल में धंसते जाते हैं। इससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा पर बहुत बुरा असर पड़ता है। लोग उन्हें कर्ज देने से मना कर देते हैं, क्योंकि उन्हें आशंका रहती है कि दिया गया धन सट्टे की भेंट चढ़ जाएगा। जुआ और सट्टा जैसी बुराइयों के बारे में कुछ लोग सोशल मीडिया चैनलों पर चर्चा करने लगे हैं, जिनमें वे आपबीती बताते हैं कि लालच के कारण इनमें फंस गए थे। कुछ लोग कहते हैं कि वे लाखों रुपए हार चुके हैं, लेकिन इस नुकसान के बारे में घर में किसी को बताने की हिम्मत नहीं हो रही है। एक सरकारी कर्मचारी, जो कुछ वर्षों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके पास लगभग 40 लाख रुपए की बचत थी। वे इस रकम से घर बनाना और बच्चों की शादी करना चाहते थे। एक दिन किसी ने बताया कि 'इस रकम को दुगुनी कर सकते हैं। इसके लिए एक ऐप डाउनलोड करें, मेरा कोड लगाएं और धड़ाधड़ रुपए कमाएं!' शुरुआत में उन्हें कुछ हजार रुपए का फायदा हुआ। उसके बाद नुकसान होने लगा, जिसकी भरपाई की कोशिश में पूरी रकम गंवा दी। शादियों में टेंट और खानपान संबंधी सेवाओं का व्यवसाय करने वाले एक शख्स को उसके 'घनिष्ठ मित्र' ने बताया कि 'शादियां तो खास सीजन में ही होती हैं, कई महीने खाली गुजरते हैं। जब करने को कोई काम न हो तो अपने मोबाइल फोन पर यह मज़ेदार गेम खेलो। इसमें ज्यादा कुछ नहीं करना, बस थोड़े-से रुपए लगाने हैं। उसके बाद जीती हुई रकम सीधे बैंक खाते में आ जाएगी।' उसने जल्द अमीर बनने के लिए खूब दांव लगाए। अब तक लाखों की रकम डूब चुकी है, काम-धंधा चौपट हो चुका है। परिजन इज्जत नहीं करते। पड़ोसी और रिश्तेदार अपने बच्चों से कहते हैं कि उन 'भाई साहब' से दूर रहो, कहीं तुम्हें भी सट्टा लगाना न सिखा दें, खुद तो बर्बाद हो ही गए। जुआ, सट्टा और इस किस्म की तमाम बुराइयों से होने वाले नुकसान से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि लालच न करें और इन गतिविधियों से कोसों दूर रहें। कोई कितना ही घनिष्ठ मित्र, नजदीकी रिश्तेदार, पड़ोसी और प्रिय सेलिब्रिटी हो, अगर वह ऐसी वेबसाइट / ऐप का प्रचार करे तो उसके शब्दों पर बिल्कुल भरोसा न करें। दुर्भाग्यवश ऐसी वेबसाइट / ऐप पर दांव लगाते हैं तो आज और अभी उससे निकल जाएं। अन्यथा भविष्य में ऐसे चक्रव्यूह में फंस सकते हैं, जिससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखेगा।