'किशोर व युवावर्ग से तय होगी देश के भविष्य की दिशा'
आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने प्रवचन में कहा ...

स्वार्थ और भाेग-विलास के युग में अच्छाइयाें की चिंता बहुत कम लाेग करते हैं
चिकमगलूर/दक्षिण भारत। मंगलवार काे जैन मंदिर के पास श्री नेमि बुद्धि वीर वाटिका में विशाल धर्मसभा काे संबाेधित करते हुए आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि अच्छाइयाें काे जीवित रखने और उन्हें जन-जन तक पहुंचाने के लिए समाज के संगठित प्रयास बहुत जरूरी हैं। अगर हम केवल धन कमाने, घूमने और माैजशाैक में ही अनुरक्त रहते हैं ताे अच्छाइयाें काे जीना सरल नहीं है।
आज बुराइयाें का युग है। मनुष्य काे अच्छी बातें जितनी प्रभावित नहीं करतीं, बुराइयां उतनी जल्दी हर किसी पर हावी हाे रही हैं। ऐसे दाैर में नई पीढ़ी काे बुराइयाें से बचाना ताे किसी साधना और चमत्कार से कम नहीं है। देश का भविष्य व्यापार-उद्याेग, सेना, प्रशासन, जीडीपी दर की वृद्धि और साधन-सुविधाओं के भराेसे ही उज्ज्वल हाेगा, ऐसा नहीं है।देश के किशाेर व युवा काैनसी राह पर आगे बढ़ रहे हैं, उस पर देश का भविष्य निर्भर करेगा। आधुनिक स्वार्थ और भाेग-विलास के युग में अच्छाइयाें की चिंता बहुत कम लाेग करते हैं।
जैनाचार्य ने आगे कहा कि विदेशाें के लाेग धर्म और मानवता के सिद्धांताें काे समझकर मांसाहार, शराब, जुआ, धूम्रपान, ड्रग, दुराचार आदि बुराइयां छाेड़ते जा रहे हैं। जबकि भारत में उल्टी गंगा बह रही है। वहां सकारात्मक परिवर्तन हाे रहा है और यहां दुर्गुण व बुराइयां प्रभावशाली बन रही हैं।
वचन देकर बदल जाना, उधार लेकर वापस न लाैटाना, नकली चीजें बेचना, मिलावट करना, वेतन लेकर भी काम न करना, शराब पीकर वाहन चलाना, बात बात में अपराध कर बैठना आदि अनेक बुराइयां आधुनिक भारतीय समाज का दुर्भाग्य बन रही हैं। प्रबुद्ध वर्ग और सरकाराें काे इन्हें राेकने के मजबूत प्रयास करने हाेंगे।
हासन से पदयात्रा करते हुए आचार्य विमलसागरसूरीश्वर, गणिवर्य पद्मविमलसागर आदि श्रमणजन चिक्कमगलूर पहुंचे। बड़ी संख्या में जैन समाज के श्राद्धालुओं ने बाजेगाजे के साथ उनका स्वागत किया।
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