बर्बादी का चक्रव्यूह

इन दिनों मेवात क्षेत्र में भी एक ऑनलाइन गेम के खूब चर्चे हैं, जिसकी लत ने कई परिवारों की जमा-पूंजी लूट ली

बर्बादी का चक्रव्यूह

लोग उस पल को कोस रहे हैं, जब उन्होंने पहली बार वह ऑनलाइन गेम खेलना शुरू किया था

पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन गेम्स के प्रसार के साथ ही कई समस्याएं पैदा होने लगी हैं। जब भारत में इंटरनेट इतना सुलभ नहीं था, तब भी कई लोग मोबाइल फोन पर गेम खेलते थे, जो तुलनात्मक रूप से इतने हानिकारक नहीं थे। हालांकि उस समय भी विशेषज्ञ कहते थे कि ऐसे गेम्स की लत लग सकती है। इनसे आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अब तरह-तरह के ऑनलाइन गेम आ गए हैं। कुछ गेम तो ऐसे हैं, जिन्होंने कई परिवारों को आर्थिक रूप से भारी नुकसान पहुंचाया है। इनके ज्यादातर शिकार युवा हैं, जिन्होंने मोटी कमाई के लालच में आकर कोई गेम खेलना शुरू कर दिया था। उसके बाद बर्बादी के चक्रव्यूह में ऐसे फंसे कि बाहर निकलने का रास्ता ही नजर नहीं आया। इन दिनों मेवात क्षेत्र में भी एक ऑनलाइन गेम के खूब चर्चे हैं, जिसकी लत ने कई परिवारों की जमा-पूंजी लूट ली। प्राय: इन परिवारों के युवा सदस्यों ने शौकिया गेम खेलना शुरू किया था। उसके बाद पैसा लगाते-लगाते इतने आगे बढ़ गए कि अब न तो पीछे लौट सकते हैं और न ही इसे छोड़ने का मन कर रहा है। चर्चा तो यहां तक है कि इस क्षेत्र से ही युवाओं के करोड़ों रुपए ऑनलाइन गेम में डूब गए। जब लोग इस गेम को खेलने की शुरुआत करते हैं तो लगाई जाने वाली राशि कुछ हजार रुपए होती है। ऐसे में संबंधित व्यक्ति को लगता है कि मामूली-सी राशि है, अगर यह डूब गई तो क्या बिगड़ जाएगा! उसके बाद वह दांव लगाता जाता है और राशि बढ़ाता जाता है। उसे शुरुआत में कुछ फायदा भी होता है। इससे उसे यह भ्रम हो जाता है कि मैं इस गेम में बहुत आगे तक जाऊंगा और करोड़ों रुपए जीतकर आराम से ज़िंदगी गुजारूंगा।

वास्तव में यह उस गेम ऐप की रणनीति का हिस्सा होता है, जिसके तहत 'शिकार' को शुरुआत में विजेता होने का एहसास कराया जाता है। जब दांव पर अच्छी-खासी राशि लग जाती है तो उसे शिकस्त मिलनी शुरू हो जाती है। इससे वह खोई हुई राशि को वापस पाने के लिए दांव लगाता है। इस बार फिर झटका लगता है तो वह दोबारा दांव लगाता है। उसकी हालत उस हारे हुए जुआरी जैसी हो जाती है, जिसने इस उम्मीद के साथ दांव लगाया था कि वह काफी धन जीतकर घर ले जाएगा, लेकिन जो कुछ उसके पास था, वह भी गंवा बैठा। मेवात में कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने ऑनलाइन गेम से करोड़पति बनने की उम्मीद में दूसरों से धन उधार लिया। यहां तक कि कीमती सामान और गहने भी गिरवी रख दिए। जब दांव उल्टा पड़ा तो करोड़पति बनने के ख्वाब चकनाचूर हो गए। साथ ही कीमती सामान और गहने भी डूब गए। इससे उन घरों में क्लेश और तनाव का माहौल है। लोग उस पल को कोस रहे हैं, जब उन्होंने पहली बार वह ऑनलाइन गेम खेलना शुरू किया था। इस साल जनवरी में एक ऐसे (पूर्व) बैंक अधिकारी का मामला चर्चा में रहा था, जिसने ऑनलाइन गेम खेलने के लिए ग्राहकों की एफडी तोड़कर दांव पर लगा दी थी। एक बड़े बैंक में अधिकारी रहते हुए उस शख्स पर ग्राहकों के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी थी, लेकिन गेम की लत ने उसे बर्बाद कर दिया। उसने ग्राहकों के करोड़ों रुपए की एफडी तोड़कर वह राशि ऑनलाइन गेम में उड़ा दी। बाद में ग्राहकों ने शिकायत की तो मामले की जांच कराई गई, जिसमें यह सामने आया कि उक्त अधिकारी ने बैंक ही नहीं, बल्कि बैंक के खाताधारकों के साथ धोखाधड़ी एवं जालसाजी की और 52,99,53,698 रुपए के सार्वजनिक धन की हेराफेरी की। ईडी ने कार्रवाई करते हुए उस अधिकारी की अचल संपत्ति और जमा राशि जब्त की। एक खुशहाल परिवार ऑनलाइन गेम की लत के कारण तबाह हो गया। ऐसे गेम से भगवान बचाए।

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