तेलंगाना चुनाव: केसीआर के पैतृक गांव के लोगों की उम्मीदें क्या हैं?

बीआरएस प्रमुख गजवेल विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ रहे हैं

तेलंगाना चुनाव: केसीआर के पैतृक गांव के लोगों की उम्मीदें क्या हैं?

केसीआर अपनी जन्म भूमि को कर्म भूमि बनाने के लिए यहां वापस आ गए हैं

कामारेड्डी/भाषा। तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के चंद्रशेखर राव के कामारेड्डी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने से उनका पैतृक गांव कोनापुर भी सुर्खियों में बना हुआ है। इसकी वजह गांव का विकास है, तथा यहां के लोगों को उनसे और अधिक उम्मीदें हैं।

बीआरएस प्रमुख गजवेल विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ रहे हैं। केसीआर के नाम से लोकप्रिय राव का जन्म 17 फरवरी, 1954 को कोनापुर गांव में स्थित उनके नाना के घर में हुआ था। यह गांव 1950 में ऊपरी मनैर बांध के निर्माण के कारण आंशिक रूप से जलमग्न हो गया था। कुछ घर बच गए थे, जिनमें मुख्यमंत्री के नाना-नानी का घर भी शामिल था।

राव के नाना-नानी के निधन के बाद गांव में उनका दो मंजिला मकान छोड़कर उनके माता-पिता तत्कालीन मेडक जिले के चिंतामदका गांव में आकर बस गए थे। उस समय केसीआर बहुत छोटे थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और स्नातक सिद्दीपेट में और स्नातकोत्तर की पढ़ाई हैदराबाद में की।

स्थानीय लोगों के अनुसार, राव के नाना-नानी का पुराना घर अब जर्जर हालत में है। पूर्व में कुछ नक्सली इसका आश्रय के रूप में इस्तेमाल करते थे। वर्तमान में इसके अंदर झाड़ियां उग आई हैं और सांपों का डेरा है।

अब 69 वर्ष के बाद केसीआर अपनी जन्म भूमि को कर्म भूमि बनाने के लिए यहां वापस आ गए हैं।

गजवेल के बाद कामारेड्डी दूसरा विधानसभा क्षेत्र है, जहां से मुख्यमंत्री पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। यहां कांग्रेस के राज्य प्रमुख रेवंत रेड्डी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के के वेंकटरमन रेड्डी से उनका मुकाबला है।

मुख्यमंत्री के रिश्तेदार और वकील जी रामाराव ने बताया, ‘केसीआर का जन्म कोनापुर में हुआ था। गांव के डूबने के बाद उनके माता-पिता चिंतामदका चले गए, जबकि नाना-नानी कुछ समय तक वहीं रहे।’

केसीआर 11 भाई-बहन (नौ बहन और दो भाई) हैं। इनमें से उनके बड़े भाई और चार बहनों का निधन हो चुका है। रामाराव ने बताया कि स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद से केसीआर की राजनीति में आने की रुचि थी और वह लोगों की नब्ज को अच्छी तरह से जानते हैं।

गांव में लगभग 400 घर हैं और केसीआर ने गांव के विकास के लिए जो किया है उस पर स्थानीय लोग गर्व करते हैं।

एक गृहिणी रजिता ने कहा, ‘यह एक छोटा-सा गांव है और पहले इसके बारे में कोई नहीं जानता था। केटी रामा राव (केसीआर के बेटे) ने इस गांव को गोद लिया था। काफी विकास हुआ है। सड़कों और पुलों के निर्माण के कारण संपर्क सुविधा बेहतर हो गई है। नलों से साफ पानी मिल रहा है। हमें उम्मीद है कि आगे और भी विकास होगा।’

वर्तमान सरपंच के बेटे बसवराज कहते हैं, ‘मुझे बचपन में बताया गया था कि केसीआर का जन्म इसी घर में हुआ था। जब केसीआर पहली बार मुख्यमंत्री बने तो पूरे गांव ने जश्न मनाया गया। अब हमारा सपना पूरा हो रहा है, क्योंकि वे हमारे निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां और अधिक विकास होगा।’

रामा राव ने अपनी दादी की स्मृति में निजी खर्च पर 2.50 करोड़ रुपए की लागत से कोनापुर गांव में एक प्राथमिक विद्यालय का निर्माण कराया। कोनापुर गांव के पूर्व सरपंच चन्नगुर सइगौड ने बताया कि चुनाव आचार संहिता के कारण विद्यालय का उद्घाटन अभी नहीं किया गया है।

About The Author

Related Posts

Post Comment

Comment List

Advertisement

Advertisement

Latest News

चुनावी हलफनामा मामला: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विधायक कनीज़ फातिमा को नोटिस जारी किया चुनावी हलफनामा मामला: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विधायक कनीज़ फातिमा को नोटिस जारी किया
Photo: twitter.com/MlaKaneezfatima
बेंगलूरु: मेट्रो ट्रेन में महिला यात्री से अशोभनीय हरकत के आरोपी के बारे में हुआ नया खुलासा
विपक्षी दलों ने सेवाभाव को सर्वोपरि रखा होता तो बहुत बड़ी आबादी तकलीफों में न रहती: मोदी
राजस्थान: बालकनाथ ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने की अटकलों पर क्या कहा?
आयकर विभाग ने ओडिशा डिस्टिलरी समूह पर छापेमारी तेज की, निकला नोटों का पहाड़!
मोदी को डराया, धमकाया या मजबूर नहीं किया जा सकता: व्लादिमीर पुतिन
मजबूत होती अर्थव्यवस्था, 10 वर्षों के परिवर्तनकारी सुधार ... इसलिए दुनिया को भारत से उम्मीदें: मोदी