ब्रेवरमैन की बर्खास्तगी

ब्रिटेन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बड़ा हिमायती रहा है, लेकिन ब्रेवरमैन की बर्खास्तगी के पीछे एक विवादास्पद लेख है

ब्रेवरमैन की बर्खास्तगी

तुष्टीकरण की राजनीति जो करवा दे, कम है!

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को बर्खास्त किया जाना इस बात का संकेत देता है कि यह देश तुष्टीकरण की राह पर बढ़ता जा रहा है। ब्रेवरमैन काफी स्पष्टवादी हैं। वे अवैध 'शरणार्थियों' के मुद्दे को लेकर काफी मुखर रही हैं। उन्होंने इसी साल अप्रैल में पाकिस्तानियों द्वारा ब्रिटेन में किए जा रहे गंभीर अपराधों का 'खुलासा' किया था, जिसके बाद वे कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गई थीं। ब्रेवरमैन की वे टिप्पणियां बहुत लोगों को अतिशयोक्तिपूर्ण और भेदभावपूर्ण लगीं, लेकिन उन्हें सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। यह कड़वी हक़ीक़त है कि ब्रिटेन में अंग्रेज लड़कियों को ड्रग्स की लत लगाकर उनसे दुष्कर्म करने के कई मामलों में पाकिस्तानी पुरुष लिप्त रहे हैं। ब्रिटेन ने बहु-सांस्कृतिक समाज और उदारवाद के नाम पर विभिन्न देशों से वैध-अवैध शरणार्थियों को ले लिया, जिससे वहां गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। भारतीय मूल के जो लोग वहां वर्षों से काम कर रहे हैं और उस देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे रहे हैं, अब उनमें यह चर्चा आम है कि मौजूदा ब्रिटेन वह नहीं है, जिसका वे ख्वाब देखा करते थे। अब तो यह चर्चा शुरू हो गई है कि दस या बीस साल बाद का ब्रिटेन उनके लिए सुरक्षित होगा या नहीं? चूंकि सरकारों ने जिस तरह तुष्टीकरण को बढ़ावा दिया, उससे कई इलाकों में कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। लंदन, बर्मिंघम, लीसेस्टर समेत कई शहरों में ऐसे इलाके बन गए हैं, जहां पुलिस भी जाने से हिचकती है। वहां पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया, यमन, इराक, सोमालिया, लीबिया ... जैसे देशों से आए 'शरणार्थी' बड़ी तादाद में रहते हैं। उनका स्थानीय लोगों से टकराव होता रहता है। ऐसे में यह मांग की जा रही है कि नियम कड़े किए जाएं। अन्यथा कुछ दशकों बाद ब्रिटेन गंभीर नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे।

यूं तो ब्रिटेन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बड़ा हिमायती रहा है, लेकिन ब्रेवरमैन की बर्खास्तगी के पीछे एक विवादास्पद लेख है, जिसको प्रकाशित करने से पहले उन्होंने 'प्रधानमंत्री की सहमति' नहीं ली थी। उस लेख के प्रकाशन के बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि अब उनकी कुर्सी जाने वाली है। ब्रेवरमैन ने मेट्रोपॉलिटन पुलिस के लिए लिखा था कि उसने इजराइल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद लंदन में होने वाले प्रदर्शनों के प्रति सख्ती नहीं दिखाई थी। चूंकि सप्ताहांत में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी, जिसके बाद ब्रेवरमैन ने बयान दिया था कि 'हमारे बहादुर पुलिस अधिकारी कल लंदन में प्रदर्शनकारियों की हिंसा और आक्रामकता तथा प्रदर्शनकारियों के विरोध में प्रदर्शन करने वालों से निपटने में अपनी पेशेवर क्षमता के लिए हर सभ्य नागरिक की ओर से धन्यवाद के पात्र हैं। अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान कई अधिकारियों के घायल होने से आक्रोश है।' ब्रेवरमैन की टिप्पणियों के बाद प्रधानमंत्री सुनक पर उनकी कंजर्वेटिव पार्टी के कई सदस्यों का दबाव था। विपक्ष भी उन पर हमले बोल रहा था। ऐसे में ब्रेवरमैन की बर्खास्तगी से मामले को ठंडा करने की कोशिश की गई है। उनका यह बयान कि ‘गृह मंत्री के रूप में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य रहा है ... आने वाले समय में मेरे पास कहने के लिए और भी कुछ होगा’ से पता चलता है कि वे खामोश नहीं रहेंगी। यकीनन उनके पास ऐसा बहुत कुछ है, जो भविष्य में उन्हें चर्चा में ला सकता है। ब्रेवरमैन ने जब अप्रैल में पाकिस्तानी पुरुषों के आपराधिक गिरोहों के बारे में कड़वी हकीकत का खुलासा किया था, तब खूब हंगामा मचा था। निस्संदेह ऐसे अपराधों में ब्रिटेन समेत अन्य देशों के लोग भी पकड़े जाते रहे हैं, लेकिन बात जब गिरोह के रूप में षड्यंत्रपूर्वक नशाखोरी और दुष्कर्म की हो तो उसमें पाकिस्तानियों की लंबी सूची है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के प्रति घृणा व भेदभाव और अत्यधिक कट्टरता के माहौल में पले-बढ़े लोग जब ब्रिटेन के उदार एवं बहु-सांस्कृतिक माहौल में जाते हैं तो उसके साथ तालमेल नहीं बैठा पाते। जब कोई व्यक्ति इस समस्या की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश करता है तो उसे कुर्सी गंवानी पड़ती है। तुष्टीकरण की राजनीति जो करवा दे, कम है!

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