सुरक्षा में सेंध

गुजरात एटीएस द्वारा आणंद जिले के तारापुर शहर से गिरफ्तार किए गए 53 वर्षीय शख्स की कहानी भी ऐसी ही है

सुरक्षा में सेंध

यह पहला मौका नहीं है, जब आईएसआई ने किसी ऐसे व्यक्ति का इस्तेमाल किया, जो शरण लेने के इरादे से भारत आया

गुजरात एटीएस द्वारा पाकिस्तान मूल के एक व्यक्ति की गिरफ्तारी और जासूसी मामले में बड़ा खुलासा किया जाना सराहनीय है। जो लोग उसके साथ ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, उन सबका भंडाफोड़ होना जरूरी है। यह जानकर आश्चर्य होता है कि भारत की सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए कैसे ओछे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं! 

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जिस व्यक्ति को भारत ने नागरिकता दी, जीवन जीने के लिए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराईं, वह वॉट्सऐप के जरिए ट्रैकिंग मैलवेयर भेजकर भारतीय रक्षा कर्मियों की जासूसी करने में पाकिस्तानी अधिकारियों की मदद करता पाया गया! अगर इस तरीके से एक भी रक्षा कर्मी से संवेदनशील जानकारी सरहद पार चली जाती है तो उससे बड़े नुकसान की आशंका होती है। आरोपी वर्ष 2005 में भारत की नागरिकता हासिल कर चुका है। वह पाकिस्तान में रह रहे अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए खुद, अपनी पत्नी और परिवार के दो अन्य सदस्यों के लिए वीजा प्रक्रिया को तेज करने के बदले साजिश का हिस्सा बनने को तैयार हो गया! 

यह पहला मौका नहीं है, जब आईएसआई ने किसी ऐसे व्यक्ति का इस्तेमाल किया, जो शरण लेने के इरादे से भारत आया और फिर यहां के राज़ वहां भेजने लगा। अगस्त 2022 में भी ऐसा एक मामला चर्चा में रहा था। उसमें पाया गया कि 46 वर्षीय एक शख्स, जो पाक से भारत आया और उसे नागरिकता मिल चुकी थी, वह लोगों की नजरों में तो टैक्सी ड्राइवर बना रहा, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी की महत्त्वपूर्ण जानकारी पाकिस्तान भेज देता था। वह पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में था। उसका भंडाफोड़ नाटकीय ढंग से हुआ था। उससे पहले राजस्थान के भीलवाड़ा में एक व्यक्ति जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जब उसका मोबाइल फोन खंगाला गया तो पता चला कि जासूसी को अंजाम देने के काम में उसका साथी दिल्ली में मौजूद है।

अब गुजरात एटीएस द्वारा आणंद जिले के तारापुर शहर से गिरफ्तार किए गए 53 वर्षीय शख्स की कहानी भी ऐसी ही है। उसने जासूसी के लिए जो तरीका अपनाया, वह हैरान करने वाला है। आम जनता को भी मालूम होना चाहिए कि कैसे एक ओटीपी शेयर करना राष्ट्रीय सुरक्षा को मुश्किल में डाल सकता है, लिहाजा सतर्क रहना जरूरी है। आजकल लोग क्रेडिट कार्ड और इनाम के झांसे में आकर ओटीपी शेयर कर देते हैं। भारतीय सैन्य खुफिया इकाई को जानकारी मिली थी कि पाक फौज या पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने किसी तरह एक भारतीय सिम कार्ड हासिल कर लिया, जिसका इस्तेमाल वॉट्सऐप के जरिए भारतीय रक्षा कर्मियों को मैलवेयर भेजकर जासूसी करने के लिए किया जा रहा था। 

इसी सूचना के आधार पर आरोपी को पकड़ा, जो किराने की दुकान चलाता था। पिछले साल उस व्यक्ति और उसकी पत्नी ने पाकिस्तान के ‘विजिटर वीजा’ के लिए आवेदन किया था, तब उससे कहा गया कि पाकिस्तानी दूतावास से जुड़े एक व्यक्ति से संपर्क करें। उस अज्ञात व्यक्ति के हस्तक्षेप के बाद वीजा मिल गया। आरोपी शख्स ने भारत लौट आने के बाद अपनी बहन और भतीजी के लिए वीजा प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए दोबारा उसी व्यक्ति से संपर्क किया। इस बार उसने बदले में एक सिम कार्ड का उपयोग करके अपने मोबाइल फोन पर वॉट्सऐप शुरू करने के लिए कहा, जो जामनगर के किसी निवासी से मिला था। 

आरोपी शख्स ने उस व्यक्ति के साथ वॉट्सऐप शुरू करने के लिए ओटीपी शेयर कर दिया। उसके बाद जासूसी का घिनौना खेल शुरू हुआ, जिसके तहत आरोपी ने खुद को एक आर्मी स्कूल का कर्मचारी बताकर रक्षा कर्मियों को संदेश भेजे और उनसे स्कूल की आधिकारिक वेबसाइट पर अपने बच्चों के बारे में जानकारी अपलोड करने के लिए 'एपीके' फ़ाइल डाउनलोड करने का आग्रह किया। कुछ मामलों में तो उसने ऐप इंस्टॉल करने का लालच दिया था कि यह सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का हिस्सा है। 

आज सोशल मीडिया पर ऐसे सैकड़ों अकाउंट / पेज चल रहे हैं, जो तिरंगे व भारतीय सुरक्षा बलों के कर्मियों की फोटो यह लिखते हुए पोस्ट कर रहे हैं कि अगर आपको अपने देश से प्रेम है तो ज्यादा से ज्यादा लाइक करें। देशप्रेम के नाम पर लोग लाइक, कमेंट व शेयर कर देते हैं। पूर्व में ऐसे कुछ अकाउंट पाकिस्तान से संचालित होते पाए जा चुके हैं। उनका इस्तेमाल हनीट्रैप के लिए किया जा रहा था। आज सोशल मीडिया शत्रु एजेंसियों का अड्डा भी बनता जा रहा है, इसलिए जनता को इस मंच पर बहुत सावधानी बरतनी होगी। यहां ज़रा-सी लापरवाही के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

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