देवेगौड़ा बोले- चाहता हूं कि लोग मुझे ... के तौर पर याद करें
राज्यसभा सदस्य देवेगौड़ा ने कहा कि वे 60 साल से सार्वजनिक जीवन में हैं
'मैंने ऊंचे विचारों के साथ काम करने की कोशिश की और एक मिनट का समय भी बर्बाद नहीं किया'
बेंगलूरु/भाषा। पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (एस) सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा को मंगलवार को बेंगलूरु विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाना चाहते हैं जिसने अपने लोगों का जल अधिकार सुरक्षित करने के लिए अपनी पूरी क्षमता से संघर्ष किया।
राज्यसभा सदस्य देवेगौड़ा ने कहा कि वे 60 साल से सार्वजनिक जीवन में हैं। उन्होंने कहा, जितने भी समय मैं मंत्री या मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद पर रहा, मैंने ऊंचे विचारों के साथ काम करने की कोशिश की और एक मिनट का समय भी बर्बाद नहीं किया।देवेगौड़ा (90) ने कहा, मैं चाहता हूं कि मेरे चले जाने के कई साल बाद, जब लोग मेरे बारे में सोचें तो वे मुझे ऐसे व्यक्ति के रूप में याद करें जिसने अपने लोगों के पानी के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए अपनी पूरी क्षमता से लड़ाई लड़ी।
उन्हें विश्वविद्यालय के 58वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त की गई।
पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने कहा, विकास के बड़े विचारों ने मुझे हमेशा प्रेरित किया। ऐसे विचार जो लाखों आम लोगों के लिए बड़ा बदलाव ला सकते हैं। जब मैं राजनीति में आया तो मैंने खुद को एक मकसद दिया। मैं पुराने मैसूरु क्षेत्र में किसानों के लाभ के लिए कावेरी नदी के पानी का दोहन करना चाहता था।
उन्होंने कहा, 'मैंने मद्रास और मैसूर के बीच पिछली दो सदियों के विवाद को समझने की कोशिश की।'
देवेगौड़ा ने कहा कि उसी समय, वह कृष्णा नदी के पानी के दोहन में शामिल हो गए। धीरे-धीरे जल अधिकारों और जल समझौतों को समझना और कावेरी एवं कृष्णा के पानी के लिए संघर्ष करना एक जुनून बन गया। उन्होंने कहा, ‘इस जुनून ने मुझे एक नेता के रूप में कायम रखा। इसने मेरे जीवन को एक दिशा दी। मैं चाहता हूं कि यह मेरी विरासत भी बने।'
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने नर्मदा बांध की ऊंचाई और टिहरी बांध के निर्माण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम किया, साथ ही यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि फरक्का जल संधि भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए फायदेमंद हो।