जयपुर की गलियों से थिएटर और सिनेमा के पर्दे तक.. ऐसा रहा इरफान का सफर
जयपुर की गलियों से थिएटर और सिनेमा के पर्दे तक.. ऐसा रहा इरफान का सफर
थिएटर के लिए कुछ बड़ा करने का अरमान लिए ही चले गए इरफान
जयपुर/भाषा। थिएटर चलता रहा है और चलता रहेगा लेकिन इरफान जैसा शानदार अभिनेता और लाजवाब इंसान कहां से लाएंगे? वे थिएटर के लिए कुछ बड़ा करने का सपना देखते थे और उस सपने को अपने साथ ही लिए चले गए। इरफान को याद करते हुए उनके गुरु और नाट्य निर्देशक डॉ. रवि चतुर्वेदी यह बात कहते हैं।
जयपुर में इरफान खान के लिए किसी से भी बात कीजिए, उन्हें याद करते हुए हर कोई यह जरूर कहता है, ‘शानदार अभिनेता! लाजवाब इंसान!’ इरफान की जड़ें जयपुर में थीं और वे जयपुर में थिएटर के लिए कुछ बड़ा करने का सपना देखते थे।थिएटर से लेकर सिनेमा तक में अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले इरफान का बुधवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया।
इरफान का परिवार मूल रूप से राजस्थान के टोंक से है लेकिन इरफान का बचपन जयपुर के परकोटे वाले सुभाष चौक में बीता, जहां उनके परिवार की टायरों की दुकान हुआ करती थी। इरफान का बाकी परिवार आज भी जयपुर में ही रहता है।
थिएटर की जानीमानी हस्ती और इरफान के शुरुआती गुरु रहे डॉ. रवि चतुर्वेदी कहते हैं, ‘इरफान जो भी हुआ अपनी मेहनत से, अपनी लगन से हुआ। वह जमीन से जुड़ा था और जुड़ा रहा।’
‘संघर्ष’ शब्द आखिर तक इरफान से जुड़ा रहा। बचपन से लेकर आखिर तक। चतुर्वेदी के निर्देशन में इरफान की कलाकार के रूप में शुरुआती मंजाई हुई। इसके बाद वे दिल्ली के नेशनल स्कूल आफ ड्रामा चले गए। फिर मुंबई और फिर पूरी दुनिया उनको जानने लगी।
उनके जाने से थिएटर को हुए नुकसान पर वह डॉ. चतुर्वेदी कहते हैं, ‘थिएटर चलता रहा है, चलता रहेगा लेकिन वैसा शानदार अभिनेता और लाजवाब इंसान कहां होगा?’
सार्थक नाटय समिति के साबिर खान, इरफान को ‘बढ़िया इंसान और शानदार अभिनेता’ के रूप में याद करते हैं। वे कहते हैं कि इरफान से मिलकर, बातकर कभी ऐसा नहीं लगा कि यह आम-सा इंसान वही है जिसके अभिनय की दुनिया दीवानी है।
‘जयंरगम’ के दीपक गेरा कहते हैं कि इतना बड़ा अभिनेता होने के बावजूद इरफान ‘जमीन से जुड़े लाजवाब आदमी’ थे। 2016 में उन्हें ‘जयरंगम’ का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया तो वे पांच दिन तक न केवल यहां रुके बल्कि छोटे बड़े सभी नाटक देखे और स्कूली बच्चों से लेकर युवाओं तक सबसे खुलकर चर्चा की। गेरा कहते हैं, इरफान जितने शानदार अभिनेता थे, उतने बढ़िया इंसान भी थे।
साबिर खान हर साल थिएटर वर्कशॉप करते हैं जिसकी राजस्थान में खूब प्रतिष्ठा है। साबिर के कहने पर इरफान तीन साल तक इस वर्कशॉप में हर साल एक दिन जरूर आते थे। वे अपने दोस्तों, परिचितों से कभी दूर नहीं हुए।
इरफान का सपना था कि जयपुर में थिएटर के लिए कुछ किया जाए। डॉ. रवि चतुर्वेदी ने कुछ साल पहले उनसे कहा था कि सुभाष चौक इलाके से एक इरफान तो निकल गया लेकिन वहां और जयपुर में ऐसी अनेक प्रतिभाएं हैं जिन्हें मौका दिया जा सकता है। इरफान ने इस विचार को बड़े उत्साह से स्वीकार किया और कहा था कि जरूर कुछ बड़ा किया जाएगा।
गेरा के अनुसार, ‘जयरंगम के दौरान जब वह पांच दिन यहां रहे तो हमेशा कहते थे कि फुर्सत में जयपुर के लिए बड़ा थिएटर किया जाएगा। लेकिन नियती को शायद कुछ और मंजूर था। जयपुर के थिएटर के लिए कुछ बड़ा करने का उनका सपना अधूरा रह गया और बुधवार को वह इस दुनिया से रुख्सत हो गए।’