भावना का विस्तार

भावना का विस्तार

हमें अपने देश को सशक्त, समृद्ध, शिक्षित और सुखी बनाना है


देशभर में स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया। आज़ादी के इस अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा अभियान ने देशप्रेम के अनूठे आयाम स्थापित कर दिए। अभियान पूर्णतः सफल हुआ, जिसके तहत जन-जन ने अपने घरों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों आदि पर तिरंगा लहराकर स्वतंत्रता सेनानियों और वीर बलिदानियों को नमन किया। अब इसी भावना का विस्तार विविध क्षेत्रों में होना चाहिए।

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हमें अपने देश को सशक्त, समृद्ध, शिक्षित और सुखी बनाना है। इसके लिए आवश्यक है कि देशप्रेम की डोर को मजबूती से थामे रहें और पूर्णतः समर्पण भाव के साथ अपनी भूमिका का निर्वहन करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अगले पच्चीस वर्षों के लिए पांच संकल्पों का मंत्र दिया है। ये संकल्प कमजोर नहीं पड़ने चाहिएं, बल्कि समय के साथ इनके प्रति और लगन पैदा होनी चाहिए। आशावाद का चिराग जलता रहना चाहिए। चुनौतियां आएंगी, जाएंगी ... इन सबके बीच भारतवासियों को दृढ़ता और एकजुटता के साथ आगे बढ़ते जाना है।

ये पच्चीस वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाले हैं। हम अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष में प्रवेश करें, उससे पहले ही बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता और उन तमाम बुराइयों से मुक्ति पा लें, जो देश की जड़ों को कमज़ोर करती हैं। यह मात्र भारत सरकार का लक्ष्य नहीं, प्रत्येक नागरिक का लक्ष्य होना चाहिए। नागरिकों की इच्छाशक्ति एवं योगदान के बिना राष्ट्रहित के किसी भी कार्य में सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती। जनता को जागरूक होना होगा, यह तय करना होगा कि स्वतंत्रता के 100वें वर्ष में वह स्वयं को कहां देखना चाहती है। देश को भाई-भतीजावाद और वोटबैंक की राजनीति से जनता ही मुक्ति दिला सकती है।

भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है, जिसके कारण देश का पैसा ग़लत हाथों में चला जाता है। इसके अलावा सरकारी दफ्तरों में घूसखोरी के रोग का पक्का इलाज होना चाहिए। जनता को इस पर गंभीर होना होगा, क्योंकि अगर वह चाहे तो सरकारों पर दबाव डालकर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कठोर कानून बनवा सकती है, उन्हें दंडित करवा सकती है। प्रधानमंत्री ने भी देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए जनता का साथ मांगा है, जो उचित ही है। सबके साथ से ही सबका विकास हो सकता है तथा सबके विश्वास से ही देश प्रगति कर सकता है।

भारत जैसे विशाल भूभाग और सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि यहां सामाजिक समरसता विश्व के लिए सुंदर एवं प्रेरक उदाहरण बने। जिस तरह सोशल मीडिया में सांप्रदायिकता और नफरत का बाज़ार गर्म है, यह देश के लिए शुभ नहीं है। शत्रु देशों की एजेंसियां इन पर नज़र रखती हैं, उनसे फायदा उठाने की फिराक में रहती हैं। खासतौर से चीन और पाकिस्तान तो भारत पर कुदृष्टि रखते ही हैं।

पाकिस्तान भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है, लेकिन चीन सुरक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता दोनों के लिए खतरा है। इसलिए भारत में उद्योगों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होनी चाहिए, आयात के लिए चीन पर शून्य निर्भरता की नीति पर काम होना चाहिए। भारत ने संपूर्ण विश्व को अपना परिवार माना है, जो एक उत्तम आदर्श है, लेकिन सदियों तक अत्याचार से पीड़ित भी रहा है। हर भारतीय स्वतंत्रता एवं स्वाभिमानपूर्वक जीवन जिए, इसके लिए भारत को शक्तिशाली एवं समृद्ध होना ही होगा।

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